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राजनीतिफ्रांस

फ्रांस में सत्ता के दरवाजे पर पहुंचे धुर दक्षिणपंथी

१ जुलाई २०२४

फ्रांस के धुर दक्षिणपंथी दल देश में सरकार बनाने के इतने नजदीक कभी नहीं थे. संसदीय चुनावों का पहला चरण जीतने के बाद वे प्रधानमंत्री पद पर दावा करने की उम्मीद कर रहे हैं.

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पश्चिम फ्रांस के नांतेस में चुनाव के नतीजे देखते वामपंथी समर्थक
फ्रांस के मतदाता इतने विभाजित कभी नहीं रहेतस्वीर: Sebastien Salom-Gomis/AFP/Getty Images

फ्रांस में रविवार को हुए आम चुनावों में नतीजे अनुमानों से ज्यादा दूर नहीं रहे. पहले चरण में धुर दक्षिणपंथी दलों को बड़ी बढ़त मिली जबकि सत्ताधारी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की पार्टी तीसरे नंबर पर रही.

हालांकि अभी 7 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होगा और तभी यह स्पष्ट हो पाएगा कि कट्टरवादी नेता मरीन ला पेन की पार्टी नेशनल रैली (आरएन) को नेशनल असेंबली में बहुमत मिलेगा या नहीं. उसके बाद ही यह तय होगा कि ला पेन की पार्टी के चर्चित नेता 28 वर्षीय जोर्डन बार्डेला प्रधानमंत्री बन पाएंगे या नहीं.

इस महीने यूरोपीय संसद के लिए हुए चुनावों में मिली हार के बाद राष्ट्रपति माक्रों ने अचानक संसदीय चुनावों का एलान कर दिया था. विशेषज्ञों ने इसे एक राजनीतिक जुआ बताया था और माक्रों के लिए बाजी उलटी पड़ गई.

रविवार को हुए पहले चरण के चुनावों के बाद कहा जा रहा है कि माक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन को संसद में बहुमत से कम सीटें मिल पाएंगी. इससे राष्ट्रपति के रूप में माक्रों की ताकत बहुत घट जाएगी जबकि अभी उनके कार्यकाल के तीन साल बाकी हैं.

दूसरे चरण में होगा फैसला

फ्रांस की सर्वेक्षण संस्थाओं के मुताबिक आरएन को 33.2 से 33.5 फीसदी मत मिलने का अनुमान है जबकि वामपंथी न्यू पॉप्युलर फ्रंट को 28.1 से 28.5 फीसदी और माक्रों के उदारवादी गठबंधन को 21 से 22.1 फीसदी मत मिल सकते हैं.

इस मत प्रतिशत के आधार पर आरएन को 577 सीटों वाली संसद में दूसरे चरण के बाद बहुमत मिलने की संभावना जाहिर की गई है. हालांकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ला पेन की पार्टी पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटें जीत पाएगी.

सर्वेक्षण संस्था इप्सोस ने आरएन के 230-280 सीटें जीतने का अनुमान जताया है जबकि आईफोप (आईएफओपी) ने उसे 240-270 सीटें दी हैं और इलेब ने 260-310 सीटों की जीत का अनुमान जाहिर किया है.

विभाजित मतदाता

दूसरे चरण में नतीजों को पलटने की कोशिश में माक्रों ने दक्षिणपंथी दलों के खिलाफ एक विस्तृत गठबंधन की अपील की है. फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था के मुताबिक दूसरे चरण में उन सीटों पर मतदान होगा जहां पहले चरण में कोई स्पष्ट विजेता नहीं बना.

वामपंथी दलों और माक्रों के गठबंधन में शामिल पार्टियों को अब उम्मीद है कि आरएन के उम्मीदवारों को जीतने से रोकने के लिए मतदाता एक जुट होकर वोट कर सकते हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ेगी.

फ्रांस के प्रधानमंत्री 34 वर्षीय गैब्रिएल अताल ने चेतावनी भरे बयान में कहा, "धुर दक्षिणपंथी सत्ता के दरवाजे तक पहुंच चुके हैं. दूसरे चरण में उन्हें एक भी वोट नहीं मिलना चाहिए.”

वामपंथी नेता रफाएल ग्लुक्समान ने कहा, "फ्रांस को विनाश से बचाने के लिए हमारे पास सात दिन हैं.”

हाल के चुनावी इतिहास में फ्रांस के मतदाता इस बार सबसे विभाजित नजर आए हैं और बहुत बड़ी संख्या में वोट डाले गए हैं. 2022 में सिर्फ 47.5 फीसदी मतदान हुआ था जबकि इस बार 65 फीसदी मतदान हुआ है.

माक्रों ने कहा, "पहले चरण में मतदान की ऊंची दर दिखाती है कि यह चुनाव कितना अहम है और लोग राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट करना चाहते हैं.”

बहुमत ना मिलने पर क्या होगा?

अगर आप्रवासीविरोधी और यूरोपीय संघ को संदेह की नजर से देखने वाली पार्टी नेशनल रैली चुनाव जीतने में कामयाब होती है तो आधुनिक फ्रांस के इतिहास में यह एक मोड़ साबित हो सकता है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार होगा जबकि अति दक्षिणपंथी दल सत्ता में होंगे.

ला पेन ने कहा, "अभी जीत नहीं हुई है और फैसला दूसरे चरण में होगा. हमें पूर्ण बहुमत चाहिए ताकि आठ दिन बाद माक्रों जोर्डन बार्डेला को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकें.”

बार्डेला ने कहा कि वह सभी फ्रांसीसियों के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह तभी सरकार बनाएंगे जब आरएन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा.

अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो विभिन्न दलों के बीच एक स्थिर गठबंधन बनाने की कोशिश होगी. यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है जिसमें महीनों का समय लग सकता है.

रिस्क एनालिसिस करने वाली एक संस्था यूरेशिया ग्रुप ने कहा कि आरएन को बहुमत मिलने की संभावना कम है और ऐसे में देश कम से कम 12 महीने लंबे एक ऐसे दौर से गुजरेगा जिसमें नेशनल असेंबली का कामकाज रुका रहेगा और उसके बाद ‘नेशनल यूनिटी' की सरकार बन सकती है जिसके पास सरकार चलाने की बहुत सीमित क्षमता होगी.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)