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स्लो-मोशन जीने वाली -लिविंग-फॉसिल मछली

२१ जून २०२१

वैज्ञानिकों को लिविंग फॉसिल कही जाने वाली मछली ने एक बार फिर हैरान किया है. पता चला है कि यह मछली सौ साल तक जिंदा रहती है और पांच साल तक गर्भवती. पुराने अनुमान गलत साबित हुए हैं.

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तस्वीर: George Mulala/REUTERS

डायनासोर काल की इस मछली को 1938 में पहली बार देखा गया था. उससे पहले वैज्ञानिक मानते थे कि डायनासोरों के साथ ही साढ़े छह करोड़ साल पहले इस मछली का भी अंत हो गया था. लेकिन 1938 में दक्षिण अफ्रीका में इस मछली को जिंदा देखकर वैज्ञनिक जगत हैरान रह गया था. तब इसे जिंदा जीवाश्म यानी ऐसी मछली कहा गया जो जीवाश्वम के रूप में ही सोची जाती थी.

सीलाकांथ प्रजाति की इस मछली के बारे में कुछ और दिलचस्प व हैरतअंगेज बातें पता चली हैं. एक नए शोध में प्राणीविज्ञानियों ने पाया है कि इसका जीवन काल पहले के अनुमान से पांच गुना ज्यादा यानी सौ साल का होता है. और मादाएं अपने बच्चों को पांच साल तक गर्भ में रखती हैं. किसी भी प्राणी के लिए यह सबसे लंबी गर्भावधि है.

55 साल तक बचपन

अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने जाना कि यह सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ने वाली मछली है. 55 की आयु तक यह यौन सक्रियता भी हासिल नहीं करती. समुद्र जीव-विज्ञानी केलिग माहे फ्रांस के IFREMER संस्तान से जुड़ी हैं. वह बताती हैं कि इस मछली की वृद्धि का अध्ययन वैसे ही किया गया, जैसे पेड़ों की वृद्धि पर शोध होता है. पिछले हफ्ते करंट बायोलॉजी पत्रिका में छपे अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है.

इस मछली का आरंभिक अस्तित्व लगभग 40 करोड़ साल पुराना है, यानी डायनासोर से भी 17 करोड़ साल पुराना. इस युग को डोवोनियन युग कहते हैं. जीवाश्म (आधारित प्रमाणों के आधार पर विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि जिस खगोलीय पिंड की टक्कर से धरती के तीन चौथाई जीव खत्म हो गए थे, उसी ने इस मछली को भी खत्म कर दिया था. जब इस मछली को 1938 में दोबारा देखा गया, तो समुद्र-जीविज्ञानियों की हैरत का ठिकाना नहीं था.

गलत साबित हुए वैज्ञानिक

पेरिस स्थित नैशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री से जुड़े जीवविज्ञानी मार्क हर्बिन भी फॉसिल-फिश पर हुए शोध में शामिल थे. वह कहते हैं, "परिभाषा के अनुसार फॉसिल यानी मृत. लेकिन डोवोनियन युग से अब तक इस मछली ने तो बहुत विकास किया है.”

सीलाकांथ समुद्र की गहराई में करीब आठ सौ मीटर नीचे रहती हैं. दिन में वे गुफाओं में अकेली या बहुत छोटे समूहों में रहती हैं. मादाओं का आकार कुछ बड़ा होता है. ये सात फुट तक लंबी और 110 किलोग्राम वजनी हो सकती हैं. इस मछली की दो ही प्रजातियां हैं – अफ्रीकी सीलाकांथ और इंडोनेशियाई सीलाकांथ. वैज्ञानिकों ने फिलहाल अफ्रीकी प्रजाति पर अध्ययन किया है, जिसके लिए दो संग्रहालयों में रखी गईं 27 मछलियों को शोध के केंद्र में रखा गया था.

पहले इस मछली पर जो शोध हुए थे, उनमें इसकी उम्र 20 साल होने का अनुमान लगाया गया था. और माना गया था कि यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली मछली है. लेकिन अब वह अनुमान पूरी तरह गलत साबित हुआ है.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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