1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दिवालिया होने की कगार पर जर्मनी के कई अस्पताल

२८ दिसम्बर २०२२

जर्मनी के कई अस्पतालों पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है. ये अस्पताल अपना खर्च उठा पाने में असमर्थ हैं और यह बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया है. अमीर देश के अस्पतालों की ये हालत कैसे हो गई?

https://p.dw.com/p/4LUCk
Deutschland Berlin | Charite | Krankenhaus
तस्वीर: Lakomski/Eibner-Pressefoto/picture alliance

जर्मनी में अस्पतालों के संगठन डीकेजी ने कई अस्पतालों के दिवालिया होने की आशंका जताई है. संगठन के प्रमुख गेराल्ड गास ने मीडिया समूह आरएनडी से बातचीत में कहा है, "2023 में दिवालिया होने की एक लहर हमारे अस्पतालों की ओर बढ़ रही है जिसे अब शायद ही रोका जा सकता है."

गास का कहना है कि स्वास्थ्य की देखभाल में यह नुकसान 2023 में कई क्षेत्रों में दिखाई देगा. उन्होंने इस खराब हालत का ब्यौरा जर्मन हॉस्पीटल इंस्टीट्यूट, डीकेआई के सालाना सर्वे के नतीजों के आधार पर दिया है.

बीमार बच्चो ंके लिए जर्मनी के अस्पतालों में जगह नहीं

संकट में अस्पताल

इस सर्वे के मुताबिक जर्मनी के 59 फीसदी अस्पताल 2022 में नुकसान में चले जायेंगे. 2021 में यह हालत 43 फीसदी अस्पतालों की थी. सर्वे के मुताबिक सकारात्मक सालाना नतीजे वाले अस्पतालों की हिस्सेदारी आधे से ज्यादा घट कर कर 44 फीसदी से 20 फीसदी पर आ गई है. संतुलित नतीजे वाले अस्पतालों की संख्या 2021 में 13 फीसदी थी जो 2022 में 21 फीसदी पर आ गई है.

2023 में 56 फीसदी अस्पतालों की आर्थिक हालत और ज्यादा खराब होने के आसार हैं. केवल 17 फीसदी अस्पतालों में हालात बेहतर होने की उम्मीद है जबकि 27 फीसदी अस्पतालों की हालत में कोई बदलाव नहीं होगा.

संकट में जर्मनी के अस्पताल
जर्मनी के अस्पताल कई तरह की दिक्कतों से जूझ रहे हैंतस्वीर: Ute Grabowsky/photothek/imago images

संघीय सरकार ने अस्पतालों को ऊर्जा की ऊंची कीमतों से राहत देने के लिए आर्थिक मदद दी है और गास इसे उचित मानते हैं. हालांकि इसके अलावा अस्पतालों को जो दूसरे तरह के घाटे हो रहे हैं उनकी भरपायी नहीं की जा सकती है. जैसे महंगाई बढ़ने के कारण अस्पतालों का सामान्य खर्च भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है. 2023 में इसके कारण होने वाला नुकसान और बढ़ कर 15 अरब डॉलर तक पहुंचने की आशंका है.

क्यों डरती हैं जर्मन महिलाएं अस्पताल जाने से?

जर्मन राज्य बवेरिया के स्वास्थ्य मंत्री क्लाउस होलेत्चेक ने बयान जारी कर कहा है, "संघीय सरकार को अस्पतालों के बारे में आखिरकार निर्णायक तरीके से सोचना होगा. मैं कई हफ्ते से चेतावनी दे रहा हूं कि अब तक संघीय सरकार ने जिस मदद का वादा किया है वह अस्पतालों के खर्च में भारी बढ़ोत्तरी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है."

कर्मचारियों की कमी

अस्पतालों में कर्मचारियों के लिहाज से खास तौर पर नर्सों के मामले में स्थिति चिंताजनक है. साल 2022 के मध्य में लगभग 90 फीसदी अस्पतालों को जनरल वार्ड के लिए नर्सों की भर्ती करने में दिक्कत हो रही थी. जनरल वार्ड के लिए नर्सों के खाली पड़े पदों की संख्या पिछले साल के 14,400 से बढ़ कर 20,600 तक जा पहुंची है.

डीकेजी के मुताबिक अस्पतालों के हालत का पता लगाने के लिए किये सर्वेक्षण में 100 या उससे अधिक बिस्तरों वाले आम अस्पतालों को शामिल किया गया था. यह सर्वेक्षण अप्रैल के मध्य से जून के आखिर तक हुआ जिसमें कुल 309 अस्पतालों ने हिस्सा लिया.

संकट में हैं जर्मनी के अस्पताल
ऊर्जा की कीमतों के साथ बढ़ी महंगाई ने भी अस्पतालों को संकट में डाला हैतस्वीर: Marcel Kusch/dpa/picture alliance

यह सर्वे तो एक बात है लेकिन जर्मनी के अस्पतालों की खराब हालत पहले से ही जगजाहिर है. यहां औसतन हर महीने एक छोटा अस्पताल बंद हो रहा है. खराब हालत के कारण कई अस्पातलों को इंश्योरेंस कंपनियां अपने नेटवर्क से बाहर कर रही हैं.

अस्पतालों की सुधार योजना

जर्मन सरकार के स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख ने हाल ही में अस्पतालों के लिए बड़े सुधारों का एलान किया है. इसके तहत जर्मनी में तीन तरह के अस्पताल होंगे. इनमें पहला है क्लिनिक जहां मूलभूत देखभाल की जायेगी. इनमें से कुछ क्लिनिक में उपकरणों से लैस आपातकालीन कक्ष भी होंगे. दूसरे लेवल के अस्पतालों में सामान्य और विशेष देखभाल की व्यवस्था होगी और तीसरे लेवल के अस्पताल बड़े यूनिवर्सिटी अस्पताल होंगे जैसे कि भारत में मेडिकल कॉलेज.

बर्लिन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी में हेल्थकेयर मैनेजमेंट के प्रोफेसर राइहार्ट बुसे भी सरकार की योजना के आलोचकों में हैं. उनका कहना है कि जीडीपी की हिस्सेदारी के मामले में सिर्फ अमेरिका ही दुनिया में जर्मनी से ज्यादा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है लेकिन फिर भी जर्मनी के अस्पतालों की हालत खराब है. पिछले साल जर्मनी ने करीब 466 अरब यूरो स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किये. जर्मन स्वास्थ्य सेवा दुनिया की सबसे महंगी स्वास्थ्य सेवाओं में हैं. बुसे का कहना है कि पैसे की कमी नहीं समस्या उसे खर्च करने के तरीके में है.

Bundesgesundheitsminister Karl Lauterbach
तस्वीर: Robert Michael/dpa ZB/picture alliance

बुसे का कहना है, "अस्पताल ज्यादा से ज्यादा डॉक्टरों को स्पंज की तरह सोखते जा रहे हैं जो कुछ हद तक रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी के लिए जिम्मेदार है. हमारे पास दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा नर्सिंग स्टाफ है. हालांकि हमारे यहां ज्यादा बेड हैं बहुत ज्यादा भर्ती मरीज इसलिए नर्स और मरीज का औसत हमारे यहां खराब है क्योंकि हम संसाधनों का बंटवारा बहुत व्यापक तौर पर करते हैं."

लोगों को डर है कि नई व्यवस्था में आपात स्थिति में कई जगहों पर मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में ज्यादा वक्त लगेगा और इससे उन्हें नुकसान हो सकता है.

आलोचकों का यह भी कहना है कि आने वाले समय में बहुत से अस्पताल बस नर्सिंग होम बन कर रह जायेंगे जिन्हें सिर्फ प्रशिक्षित नर्सें चलाएंगी.

जर्मनी में कुल 426 अस्पताल ऐसे हैं जिन्हें सरकार की नयी व्यवस्था के तहत लेवल 2 या 3 में शामिल किया जा सकता है. बुसे कहते हैं, "पैंक्रियाटिक कैंसर के 70 फीसदी मरीजों का इलाज जर्मनी के कैंसर सेंटरों में नहीं बल्कि बिना स्पेशलाइजेशन वाले अस्पतालों में हो रहा है."

एनआर/आरपी (डीपीए)