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जर्मनी: भारी विरोध के बीच केमेरिख का इस्तीफा

एलिजाबेथ शूमाखर
६ फ़रवरी २०२०

जर्मनी के थुरिंजिया राज्य में मुख्यमंत्री पद संभालने के चंद घंटों के भीतर एफडीपी पार्टी के नेता थॉमस केमेरिख ने इस्तीफा दे दिया है. धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का समर्थन लेने पर हुए हुए विवाद के बीच उन्होंने पद छोड़ा है.

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Ministerpräsidentenwahl in Thüringen
तस्वीर: Imago Images/K. Hessland

केमेरिख के इस्तीफे के बाद शायद जर्मनी की राजनीति में एक बड़े नाटकीय घटनाक्रम का पटाक्षेप हो गया है. विवाद की वजह धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का समर्थन था, जिससे अब तक जर्मनी की बाकी पार्टियों ने दूरी बनाई हुई थी. ना सिर्फ एफडीपी को एएफडी से समर्थन लेने के लिए कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही थी बल्कि चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू के सदस्य भी केमेरिख के पक्ष में वोट देने की वजह से एएफडी के साथ एक पाले में खड़े नजर आ रहे थे.

एएफडी से दूरी की वजह उसकी राजनीति और विचारधारा है. यह पार्टी यूरोप में दूसरे महाद्वीपों से आने वाले लोगों का विरोध करती रही है. इसके नेताओं के विवादित बयान हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. एएफडी दूसरे देशों से आ रहे लोगों पर जर्मनी के इस्लामीकरण का आरोप लगाती है. साथ ही वह जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का विरोध करती रही है.

अब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा करने वाले थॉमस केमेरिख ने कहा कि वह राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करेंगे ताकि नए सिरे से चुनाव हो सकें. उन्होंने इस्तीफे को एक जरूरी कदम बताया.

केमेरिख व्यापार समर्थक एफडीपी पार्टी के सदस्य हैं. 5 फरवरी को राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए हुए तीसरे चरण के मतदान में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी ने उन्हें अपना समर्थन दे दिया था. उन्होंने सत्ताधारी गठबंधन के उम्मीदवार और निवर्तमान मुख्यमंत्री बोडो रामेलो को सिर्फ एक वोट से हरा दिया. इस तरह वह मुख्यमंत्री बन गए. चांसलर मैर्केल की पार्टी सीडीयू भी उनका समर्थन कर रही थी. 

इस मुद्दे पर भारी विवाद के बीच केमेरिख ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा, "थुरिंजिया में एफडीपी पार्टी के मेरे सहयोगियों और मैंने तय किया है कि हम राज्य विधानसभा के भंग करने की मांग करते हैं. हम नए सिरे से चुनाव चाहते हैं ताकि राज्य के मुख्यमंत्री के चुनाव में लगा एएफडी समर्थन का धब्बा साफ हो सके."

उन्होंने धुर वामपंथी और धुर दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन में आने वाली समस्याओं के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, "लोकतांत्रिक पार्टियों को लोकतांत्रिक बहुमत चाहिए होती है जो इस विधानसभा में हमें नहीं मिल सकी. एफडीपी पार्टी राजनीतिक बदलाव की अपनी लड़ाई जारी रखेगी और धुर वामपंथ और दक्षिणपंथ का विरोध करती रहेगी."

केमेरिख ने उन अफवाहों को भी खारिज किया जिनमें कहा जा रहा था कि मैर्केल की पार्टी सीडीयू और उनकी पार्टी एफडीपी को पहले से ही पता था कि एएफडी उन्हें समर्थन देगी. केमेरिख ने कहा कि "ना हमारा कभी एएफडी से कोई समझौता था और ना ही कभी होगा. एएफडी ने चालाकी से हमारे साथ आने की कोशिश की जिसे हमने अस्वीकार कर दिया.

थुरंजिया में पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब सत्ताधारी लेफ्ट पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसे 31 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं एएफडी ने पिछले चुनाव की तुलना में अपने वोट दोगुने कर लिए और 23.4 प्रतिशत वोट हासिल किए. एफडीपी और एएफडी के साथ आने का विरोध करने के लिए कई समर्थकों ने पार्टी मुख्यालय और राज्य विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया.

वोटिंग से पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि थुरंजिया की विधानसभा में सत्ताधारी लेफ्ट पार्टी के उम्मीदवार बोडो रामेलो आसानी से जीत जाएंगे. लेकिन वोटिंग के तीसरे दौर में एएफडी ने तय किया कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए अपना समर्थन अपने उम्मीदवार को नहीं, बल्कि एफडीपी को देगी. अपनी पार्टी के साथ चांसलर मैर्केल की पार्टी सीडीयू और एएफडी का समर्थन मिलने की वजह से केमेरिख को 45 वोट मिले जबकि लेफ्ट उम्मीदवार रामेलो को 44 वोट मिले.

एएफडी, एफडीपी और सीडीयू के एक पक्ष में आने से सोशल मीडिया पर हंगामा हो गया. सामान्य नागरिकों, जाने माने लोगों और राजनीतिज्ञों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एफडीपी और सीडीयू ने फासीवादी लोगों के साथ समझौता कर लिया है. लेफ्ट पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर एफडीपी पर हमला बोलते हुए लिखा कि एफडीपी को लगता है कि फासीवादी लोगों के साथ शासन करना सत्ता से बाहर रहने से अच्छा है.

लेफ्ट पार्टी के प्रमुख बैर्न्ड रिक्सिंगर ने डीडब्ल्यू  से कहा कि यह जर्मन राजनीति के लिए एक काला दिन है और याद दिलाता है कि कैसे 1920 के दशक में राजनीतिक पार्टियों ने नाजियों के लिए रास्ता तैयार किया था. उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि ना तो सीडीयू और ना ही एफडीपी ने इतिहास से कोई सबक लिया है. चुनाव से पहले हर पार्टी कहती है कि हम एएफडी का समर्थन नहीं लेंगे. लेकिन अब इस वादे का कोई मतलब नहीं रह जाता है."

संसद में एफडीपी की प्रवक्ता मारी आग्नेस श्ट्राक सिम्मरमान ने कहा कि केमेरिख को वो एक अच्छा व्यक्ति मानती हैं लेकिन ब्योर्न होएके जैसे व्यक्ति के समर्थन से किसी के पद पर बैठने को वह स्वीकार नहीं कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि एफडीपी का सदस्य होने के नाते आज उनके लिए भी एक मुश्किल दिन है.

ब्योर्न होएके एएफडी के सबसे विवादास्पद चेहरे हैं. उन्होंने यूरोप में मारे गए यहूदियों की याद में बर्लिन में बने म्यूजियम की भी आलोचना की थी. साथ ही उन्होंने उस कानून को भी खत्म करने की मांग की थी जिसके मुताबिक जर्मनी में हुए नरसंहार की तारीफ करने पर सजा होती है. अब ये देखने होगा कि आगे क्या होता है लेकिन केमेरिख ने कहा है कि वो एएफडी के साथ गठबंधन कर सत्ता में आना पसंद नहीं करेंगे.

Thüringen Björn Höcke gratuliert dem neu gewählten Ministerpräsidenten Kemmerich
केमेरिख से हाथ मिलाते ब्योर्न होएके.तस्वीर: Reuters/H. Hanschke

मैर्केल की पार्टी सीडीयू के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी की अध्यक्ष आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने कहा कि केमेरिख के पास सत्ता में रहने का कोई आधार नहीं है. उनकी पार्टी राज्य में नए सिरे से चुनाव करवाने की मांग करती है. 

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