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विज्ञानकनाडा

बच्चों की आंखों में तारे भरते कनाडा के मां बाप

२६ सितम्बर २०२२

एक परिवार ने जब अपने बच्चों का आई टेस्ट कराया तो पता चला कि तीन बच्चों को एक दुर्लभ बीमारी अंधा करती जा रही है. नजर जुदा होने से पहले अब परिवार दुनिया घूम रहा है ताकि बच्चे संसार को याद रख सकें.

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तस्वीर: AFP/C. de Souza

एडिथ लेमे और सेबास्टियन पेले टियर कनाडा के क्यूबेक शहर में रहते हैं. उनके चार बच्चे हैं. कुछ साल पहले उनकी सबसे बड़ी बेटी मिया को देखने में परेशानी होने लगी. तब मिया की उम्र सिर्फ तीन साल थी. स्पेशलिस्ट को दिखाया तो पता चला कि मिया को रेटिनिटिस पिग्मेंटोसा नामकी दुर्लभ जेनेटिक बीमारी है. यह बीमारी धीरे धीरे आंखों की रोशनी पूरी तरह खत्म कर देती हैं. कुछ ही समय बाद दो बेटों को भी अपनी बड़ी बहन की तरह देखने में परेशानी होने लगी. एडिथ और सेबास्टियान सहम गए. 2019 में दोनों बेटों की आंखों का टेस्ट कराने पर डर, हकीकत में बदल गया. रेटिनिटिस पिग्मेंटोसा बीमारी उनकी भी नेत्र ज्योति खत्म कर रही थी.

इस बीमारी को दूर करने या इसकी रफ्तार थामने का कोई उपाय फिलहाल मेडिकल साइंस के पास नहीं है. एडिथ कहती हैं, "हमें नहीं पता कि ये कितनी तेजी से फैल रही है, लेकिन हमें शक है कि जवानी तक वे पूरी तरह दृष्टिहीन हो जाएंगे."

फिलहाल मिया 11 साल की है और उसके दो छोटे भाई कॉलिन और लॉरेन 7 व 5 साल के हैं. पीपल मैग्जीन से बात करते हुए एडिथ ने कहा, "ये बहुत ही मुश्किल है. मां बाप अपने बच्चों को लेकर कई सपने देखते हैं और तभी अचानक आपको सबकुछ नए सिरे से सोचना पड़ता है."

आई स्पेशलिस्ट ने एडिथ को सलाह दी कि वे बच्चों की स्मृति में ज्यादा से ज्यादा चीजों को भरें. उन्हें तस्वीरें दिखाएं. यह सुनते ही मां के दिमाग में एक प्लान कौंधा. एडिथ ने तय किया कि वे बच्चों को किताब के बजाए, असली हाथी और जिराफ दिखाएंगी. एडिथ कहती हैं, "इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हम उन्हें हमारा सुंदर संसार दिखाएंगे."

इसके बाद एडिथ और सेबास्टियन ने वर्ल्ड टूर का प्लान बनाया, लेकिन तभी कोरोना फैल गया. योजना आगे खिसकानी पड़ी. 2022 में महामारी से जरा सी राहत मिलते ही परिवार वर्ल्ड टूर पर निकल पड़ा. इस दौरान मां बाप के पास बच्चों की ख्वाहिशों की एक लिस्ट भी थी. मिया घोड़े पर बैठना चाहती थी तो लॉरेन ऊंट पर बैठकर जूस पीने की हसरत पाले हुए था. ऐसी लिस्ट के साथ मार्च 2022 में परिवार वन्यजीवन से समृद्ध नामीबिया के लिए निकल पड़ा. वहां बच्चों ने बड़े नजदीक से हाथी, जिराफ और जेब्रा देखे. इसके बाद वे जाम्बिया और तंजानिया देखने निकल पड़े. वापसी में परिवार करीब महीने भर तक तुर्की में रुका और फिर वहां से मंगोलिया घूमता हुआ, आगे इंडोनेशिया पहुंच गया.

वर्ल्ड टूर के दौरान जब बच्चे सो जाते हैं तो कभी कभार एडिथ और सेबास्टियान उदास होकर एक दूसरे को सहारा देते हैं. एडिथ कहती हैं, पांच साल साल का लॉरेन "कभी कभी पूछता है कि मां अंधापन क्या होता है? क्या मैं गाड़ी चला सकूंगा?" लॉरेन के ये सवाल मां को निढाल कर देते हैं. वह यही कह पाती हैं कि आने वाले दिनों में वे मिलकर क्या देखेंगे.