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विज्ञानदक्षिण कोरिया

क्यों मचती है भगदड़ और कैसे मरते हैं लोग?

३१ अक्टूबर २०२२

फिर एक आयोजन त्रासदी में बदल गया. उत्सव मनाने गए लोग भगदड़ का शिकार हुए और मातम पीछे छोड़ गए. बार-बार ऐसे हादसे क्यों होते हैं और इनमें इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे मरते हैं? इन सवालों के वैज्ञानिक जवाब...

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दक्षिण कोरिया के सोल में भीड़ में हादसा
दक्षिण कोरिया के सोल में भीड़ में हादसातस्वीर: NEWSIS/Xinhua/picture alliance

ह्यूस्टन का म्यूजिक फेस्टिवल, भारत का वैष्णोदेवी मंदिर, इंडोनेशिया का फुटबॉल स्टेडियम, सऊदी अरब में हज. इन सभी में एक बात साझी है. इन सभी जगहों पर भीड़ जमा हुई और लोग मारे गए. ठीक उसी तरह, जैसे शनिवार की रात दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में हुआ, जब हैलोवीन मनाने निकले लोग भीड़ के कारण दम घुटने से मारे गए.

इन सभी जगहों पर एक ही बात हुई. भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ी कि लोग आपस में ही पिस गए और उनका दम घुट गया. कोविड-19 महामारी के दौरान ना के बराबर हुईं ऐसी त्रासदियों का दौर एक बार फिर लौट आया है. और इस बार तो खतरा ज्यादा है क्योंकि कोविड के दौरान घर में रहे लोग ज्यादा बड़ी तादाद में बाहर निकल रहे हैं. दक्षिण कोरिया में यही हुआ. पिछले दो साल से सोल में आयोजित होने वाला हैलोवीन उत्सव बहुत छोटे और नियंत्रित पैमाने पर हुआ था लेकिन इस साल कोई नियंत्रण नहीं था. नतीजा यह निकला कि 150 लोग मारे गए और इससे भी ज्यादा घायल हो गए.

वैसे, तथ्य यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि जितनी भीड़भाड़ वाली जगहों पर हादसे होते हैं, उससे कहीं-कहीं ज्यादा आयोजनों में, ज्यादा भीड़ के बावजूद हादसे नहीं होते और लोग सुरक्षित आयोजन में शामिल होने के बाद लौट जाते हैं. लेकिन जहां हादसे होते हैं, वहां ऐसा क्या हो जाता है कि एक खुशनुमा माहौल अचानक हमेशा के लिए कचोटने वाली त्रासदी में बदल जाता है?

भीड़ में कैसे मरते हैं लोग?

फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि जब भगदड़ मचती है तो लोग गिर जाते हैं और भागते लोगों के पांवों तले कुचलने से मारे जाते हैं. पर वास्तविकता में ऐसा कम होता है. भगदड़ के दौरान ज्यादातर लोग दम घुटने से मरते हैं.

जब भीड़ एक दूसरे के ऊपर चढ़ती है तो उसकी शक्ति इतनी अधिक होती है की स्टील को भी मोड सकती है. इतनी ताकत से जब किसी का शरीर भिंचता है तो सांस लेना असंभव हो जाता है. सड़क पर गिरकर मरने से ज्यादा लोग खड़े-खड़े मरते हैं. जो लोग नीचे गिरकर मरते हैं, वे भी दरअसल, सांस घुटने से मरते हैं क्योंकि उनके ऊपर गिरे या भागते लोग उनका दम घोंट देते हैं.

भीड़ से निपटता जापान मेट्रो स्टेशन

इंग्लैंड की सफोल्क यूनिवर्सिटी में भीड़-विज्ञान पढ़ाने वाले जी कीथ स्टिल कहते हैं कि सांस घुटने से 30 सेकंड में व्यक्ति बेहोश हो जाता है. एनपीआर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "जब लोग गिर जाते हैं तो वे खड़े होने को संघर्ष करते हैं. तब उनकी बाहें और टांगें मुड़ जाती हैं. इससे उनके मस्तिष्क तक रक्त का संचार धीमा पड़ जाता है. 30 सेकंड में व्यक्ति बोहेश हो जाता है और छह मिनट के भीतर वह एसफिक्सिया का शिकार हो जाता है. यही मौत की असली वजह होती है. यानी कुचलने से नहीं, लोग दम घुटने से मरते हैं.”

कैसा होता है भगदड़ के बीच होना

ऐसे हादसों से बचे हुए बहुत से लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं. वे बताते हैं कि वे हांफ रहे थे, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, ऐसा लग रहा था कि वे मांस के ढेर के नीचे दबे जा रहे हैं. बचने को बेचैन लोग उन्हें कुचलकर आगे बढ़ जाना चाहते थे. उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्हें एक दरवाजे पर भींचा जा रहा है और दरवाजा खुल नहीं रहा.

1989 में इंग्लैंड के शेफील्ड में हिल्सबोरो फुटबॉल स्टेडियम में मची भगदड़ में करीब सौ लोग मारे गए थे. उस हादसे की जांच रिपोर्ट में बचने वालों के बयान दर्ज थे. रिपोर्ट के मुताबिक, "बचे हुए लोगों ने बताया कि उन्हें धीरे-धीरे दबाए जाने का अहसास हुआ था. वे हिल नहीं पा रहे थे, अपने सिरों को हिला नहीं पा रहे थे, वे अपनी ही बाहों और कंधों के बीच फंस गए थे. वे सांस लेने के लिए हांफ रहे थे. वे जानते थे कि लोग मर रहे हैं लेकिन वे खुद को बचाने में भी बेबस थे.”

क्यों मचती है भगदड़?

2003 में शिकागो के एक नाइटक्लब में तब भीड़ बढ़नी शुरू हो गई, जब कुछ लोगों की लड़ाई छुड़ाने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने मिर्ची स्प्रे छिड़क दिया. भीड़ में भगदड़ मच गई और 21 लोग मारे गए. इसी महीने इंडोनेशिया के एक मैच के बाद स्टेडियम में उतर आए दर्शकों को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़ दी. इससे भगदड़ मच गई और 131 लोग मारे गए.

भीड़ पर काबू

नेपाल में 1988 में एकाएक तेज बारिश शुरू हो गई तो सभी लोग स्टेडियम से बाहर निकलने को भागने लगे. लेकिन दरवाजे बंद थे और वे कुचले गए. 93 लोग मारे गए. इसी तरह दक्षिण कोरिया के सोल में हैलोवीन के उत्सव के दौरान क्या हुआ, इसके बारे में कुछ स्थानीय अखबारों ने लिखा है कि भीड़ को अचानक पता चला कि एक बार में कोई मशहूर हस्ती आई है. तब बड़ी तादाद में लोग उस बार की ओर दौड़ पड़े.

भीड़ में रहें पर भगदड़ से बचें

इस बारे में एक ब्रिटिश प्रोफेसर कहते हैं कि ऐसे हादसे अक्सर किसी एक व्यक्ति द्वारा चिल्ला देने के कारण होते हैं. भगदड़ के मामलों में विशेषज्ञ के तौर पर अदालत में गवाही दे चुके इस प्रोफेसर ने पिछले साल एक इंटरव्यू में कहा था कि सदियों पुरानी वही मिसाल सबसे सही है कि किसी ने चिल्लाकर कहा, आग-आग, भागो भागो. यह प्रोफेसर कहते हैं कि अमेरिका में सबसे ज्यादा घटनाएं तब होती हैं, जब भीड़ में से कोई बोल देता है कि किसी के पास बंदूक है.

वीके/सीके (एपी)

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