नवाज शरीफ लौटे पाकिस्तान लेकिन राजनीतिक भूमिका साफ नहीं
२१ अक्टूबर २०२३पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शनिवार को स्वदेश लौटे. वह दुबई से एक चार्टर्ड प्लेन में इस्लामाबाद पहुंचे. दुबई छोड़ने से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा, "आज मैं चार साल बाद पाकिस्तान लौट रहा हूं और अल्लाह के करम से बहुत खुश हूं". नवाज शरीफ की वापसी तो हुई है लेकिन उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई ठोस बात सामने नहीं आई है. हालांकि वह उस वक्त वापिस लौटे हैं जब पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक दिक्कतों में डूबा है. मीडिया में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद वह वापस आकर अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) यानी पीएमएलएन की कमान संभालेंगे जो फिलहाल उनके भाई शाहबाज शरीफ के हाथ में है.
अदालत ने दी जमानत
इस साल अगस्त में शाहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया जिसके बाद पाकिस्तान में चुनाव होने तक कार्यवाहक सरकार ने सत्ता संभाली. पाकिस्तानी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक नवाज शरीफ के प्रतिद्वंद्वी रहे इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि नवाज शरीफ ने सेनाके साथ डील करके जनवरी में होने वाले चुनावों से सत्ता में वापसी का प्लान बनाया है.
पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को गुरुवार को सुरक्षा जमानत दी. इससे उनकी गिरफ्तारी टल गई है और घर वापसी का रास्ता साफ हुआ है. उनके वकील अजम नजीर तरार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सुरक्षा जमानत की वजह से अधिकारी अब नवाज शरीफ को तब तक गिरफ्तार नहीं कर पाएंगे जब तक कि वह 24 अक्टूबर को अदालत के सामने पेश ना हो जाएं. रिपोर्टों के मुताबिक नवाज शरीफ शनिवार को अपने राजनीतिक गढ़ लाहौर पहुंचेंगे जहां उनके स्वागत में एक रैली का आयोजन किया गया है. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में पीएमएलएन के अध्यक्ष राजा मोहम्मद जफर उल हक ने कहा, "उनकी वापसी एक अहम मौका होगा."
नवाज शरीफ का राजनीतिक सफर
'पंजाब का शेर' कहलाने वाले 73 वर्षीय नवाज शरीफ तीन बार प्रधानमंत्री पदसंभाल चुके हैं. वह पहली बार 1990 में सत्ता में आए लेकिन 1993 में उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में निकाला गया. 1997 में वह फिर सत्ता में आए लेकिन दो साल बाद 1999 में उनकी सरकार सैन्य तख्तापलट की भेंट चढ़ गई. उनकी राजनीतिक पारी का अंत 2017 में उस वक्त आया जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिश्वत लेने से जुड़े एक मुकदमे में राजनीति से प्रतिबंधित कर दिया. उन्हें किसी भी सार्वजनिक पद पर बैठने पर प्रतिबंध लग गया. हालांकि शरीफ ने इन आरोपों को गलत बताया था.
2018 में उन्हें भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सात साल कैद की सजा सुनाई गई. लेकिन 2019 में एक कोर्ट ने उन्हें इलाज के लिए लंदन जाने की इजाजत दे दी, तभी से वह देश नहीं लौटे हैं.
क्यों अहम है यह वापसी
नवाज शरीफ ने अपने राजनीतिक अंत के लिए पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर देश की कमान संभालते रहे हैं. हालांकि बाद में वह सेना के खिलाफ अपने बयान से पीछे भी हटे. शरीफ के वकील का कहना है कि वह अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों से बरी होकर जनवरी में होने वाले आम चुनावों में हिस्सेदारी करना चाहते हैं. उनकी पार्टी का कहना है कि वह चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं. नवाज शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे हैं. इमरान खान भी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल की सजा काट रहे हैं.
एसबी/एनआर(एएफपी, रॉयटर्स)