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मंकीपॉक्स को रोकने के लिए स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन को मंजूरी

२५ जुलाई २०२२

यूरोपीय आयोग, अमेरिका और कनाडा ने मंकीपॉक्स के खिलाफ वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. भारत समेत 72 देशों में करीब 16,000 मामले आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है.

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बवेरिया नॉर्डिक की वैक्सीन इमवैनेक्स
बवेरिया नॉर्डिक की वैक्सीन इमवैनेक्सतस्वीर: Sven Hoppe/dpa/picture alliance

डेनमार्क की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बवेरियन नॉर्डिक के मुताबिक यूरोपीय आयोग ने उसकी वैक्सीन इमवैनेक्स को मंकीपॉक्स के मामलों में इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है. बवेरियन नॉर्डिक ने अपने बयान में कहा, "यूरोपीय आयोग ने कंपनी की स्मॉलपॉक्स वैक्सीन, इमवैनेक्स को मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए मंजूरी दे दी है."

मंजूरी के बाद यह वैक्सीन, यूरोपीय संघ के सभी देशों के साथ साथ आइसलैंड, लिष्टेनश्टाइन और नॉर्वे में भी मान्य होगी. यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका और कनाडा ने भी मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए इमवैनेक्स को मंजूरी दी है.

मूल रूप से स्मॉलपॉक्स बीमारी की रोकथाम करने वाली इमवैनेक्स को यूरोपीय संघ में पहली बार 2013 में मंजूरी मिली थी. इस बीच दुनिया भर में बढ़ते मंकीपॉक्स के मामलों के दौरान इस वैक्सीन को मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कारगर पाया गया. इसके बाद ही मंकीपॉक्स के ट्रीटमेंट के तौर पर इमवैनेक्स को मंजरी दी गई. स्मॉलपॉक्स और मंकीपॉक्स के वायरस में काफी समानता है, इसी वजह से इमवैनेक्स असरदार साबित हो रही है.

दुनिया भर में इस वक्त मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. शनिवार को 72 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 16,000 मामले सामने आए. इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की श्रेणी में डाल दिया.

स्पेन में मंकीपॉक्स टेस्ट किट अनपैक करते मेडिकल अधिकारी
स्पेन में मंकीपॉक्स टेस्ट किट अनपैक करते मेडिकल अधिकारीतस्वीर: Pablo Blazquez Dominguez/Getty Images

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स वायरस की चपेट में आने के बाद इंसान को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और कमर में दर्द होने लगता है. ये लक्षण करीब पांच दिन तक रहते हैं. इसके बाद चेहरे, हथेली और पैर के तलवों में खरोंच के निशान से उभरने लगते हैं. फिर खरोंच जैसे ये निशान फुंसी या धब्बों में बदलते लगते हैं. जिस जगह ऐसे निशान उभरते हैं, वहां पर ऊतक टूट या बुरी तरह संक्रमित हो जाते हैं. आखिर में धब्बे या फुंसियां बड़े घाव में बदलने लगते हैं.

DW फैक्ट चेकः मंकीपॉक्स के बारे में फैल रही गलत जानकारियों का सच

मई 2022 में पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के कुछ देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए. विषाणु से फैलने वाली यह बीमारी अब यूरोप, अमेरिका और एशिया तक फैल चुकी है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स जानवरों से इंसान में और इंसान से इंसान में फैलता है. मंकीपॉक्स से पीड़ित इंसान की त्वचा के संपर्क में आने पर यह बीमारी फैलती है. यह संपर्क छूकर, पीड़ित द्वारा इस्तेमाल किए गए कपड़े, चादर, तकिए या बर्तनों के जरिए भी फैल सकती है. संक्रमित इंसान के संपर्क में आने के तीन हफ्ते बाद तक इस बीमारी के लिए लक्षण उभरने शुरू हो सकते हैं. भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को केरल में सामने आया. इस बीच दिल्ली में भी एक संदिग्ध केस सामने आया है.

शरीर में इस तरह के चकत्ते बनाने लगता है मंकीपॉक्स
शरीर में इस तरह के चकत्ते बनाने लगता है मंकीपॉक्सतस्वीर: Rafael Henrique/SOPA Images/ZUMA/picture alliance

कैसे पड़ा नाम मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स वायरस का पता सबसे पहले 1958 में चला. वैज्ञानिकों को रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों के एक झुंड में यह वायरस मिला. तब से इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा. इंसान में मंकीपॉक्स के संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया.

वैक्सीन का कितना स्टॉक

बवेरियन नॉर्डिक के चीफ एक्जीक्यूटिव पॉल चैप्लिन के मुताबिक अभी कंपनी के पास इमवैनेक्स का पर्याप्त स्टॉक नहीं है. चैप्लिन ने कहा, "अप्रूव की गई वैक्सीन की उपलब्धता फिर से पनप रही बीमारियों से लड़ने की तैयारी में देशों की प्रभावशाली तरीके से मदद कर सकती है, लेकिन इसके लिए बायलॉजिकल तरीके से विस्तृत निवेश और सुनियोजित प्लानिंग की जरूरत है." कंपनी के मुताबिक बीते दो दशकों में बड़े अमेरिकी निवेश की वजह से इमवैनेक्स इस मुकाम पर पहुंची है.

ओएसजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)