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तकनीकउत्तरी अमेरिका

इलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के काम पर विवाद क्यों?

६ दिसम्बर २०२२

दिमाग में फिट होने वाली चिप बनाने का प्रोजेक्ट है न्यूरालिंक. इलॉन मस्क की कंपनी फिलहाल इसे जानवरों पर आजमा रही है और आने वाले महीनों में इंसानों के दिमाग में अपना चिप लगा कर ट्रायल करना चाहती है.

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फाइल फोटो: इलॉन मस्क
फाइल फोटो: इलॉन मस्क तस्वीर: Susan Walsh/AP/dpa/picture alliance

अरबपति उद्यमी और तकनीक की दुनिया में जाने माने इलॉन मस्क की बहुत सारी कंपनियों में से एक है न्यूरालिंक. इस कंपनी में दिमाग में लगने वाला चिप बनाने पर काम चल रहा है. कंपनी का दावा है कि इससे नेत्रहीन लोग फिर से देख सकेंगे और लकवे के शिकार लोग फिर से अपने पैरों पर चलने लगेंगे.

यह प्रोजेक्ट अभी एनिमल ट्रायल फेज में है. लेकिन इस पर काम कर रहे कंपनी के ही कुछ कर्मचारियों की शिकायत के बाद कंपनी के कामकाज की जांच अमेरिकी फेडरल एजेंसी से कराई जानी है.

क्यों हुई शिकायत?

मेडिकल डिवाइस बनाने में लगी न्यूरालिंक पर आरोप हैं कि अपने ट्रायल में वह जानवरों की भलाई को ध्यान में नहीं रह रही है. उसके ही कुछ कर्मचारियों ने बताया है कि एनिमल टेस्टिंग को इतनी तेज रफ्तार से किया जा रहा है जिसमें जानवरों को ज्यादा तकलीफ झेलनी पड़ी रही है और उनकी जानें भी जा रही हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ऐसी शिकायतों से जुड़े दस्तावेज देखे हैं. इसके अलावा कंपनी से जुड़े कुछ और लोगों और जांच एजेंसी ने इनकी पुष्टि भी की है.

क्या बना रही है न्यूरालिंक?

सन 2016 में मस्क ने कुछ इंजीनियरों के एक समूह के साथ मिल कर न्यूरालिंक शुरु की. इनका मकसद है ऐसा ब्रेन-चिप इंटरफेस बनाना जिसे किसी इंसान की खोपड़ी के भीतर इम्प्लांट किया जाएगा. इसे बनाने वालों का आइडिया है कि चिप की मदद से कई तरह की शारीरिक अक्षमताओं के शिकार हो चुके लोगों की शक्तियां वापस लौटाई जा सकती हैं. जैसे कि जो देख नहीं सकते, उनकी देखने की शक्ति लौट सकती है, जो लकवे जैसी बीमारी के कारण चल नहीं पाते, उनके पैरों में चलने की शक्ति लौटाई जा सकती है.

न्यूरालिंक की डिवाइस में जो चिप लगी होगी वो न्यूरल साइन यानि तंत्रिका तंत्र के इशारों को समझ कर आगे भेज सकती है. इन सिग्नलों को कंप्यूटर या फोन तक पहुंचाने का विचार है. कंपनी की आशा है कि कोई इंसान इसकी मदद से कंप्यूटर का माउस और कीबोर्ड चला पाएगा, या कंप्यूटर की मदद से जो सोच उसके दिमाग में है उसे टेक्स्ट के रूप में लिख कर जता पाएगा.

अप्रैल 2021 में मस्क ने कहा था, "न्यूरालिंक प्रोडक्ट से एक पैरालाइज्ड इंसान केवल अपने दिमाग से इतनी तेजी से स्मार्टफोन चला पाएगा जितना कोई दूसरा अपने अंगूठे से भी नहीं कर पाता."

कंपनी का यह भी मानना है कि इसके इस्तेमाल से लोगों में अल्जाइमर्स और डिमेंशिया जैसी तंत्रिका तंत्र की कई बीमारियां धीरे धीरे ठीक भी हो सकती हैं. 

डिवाइस बनाने के कितने करीब है न्यूरालिंक?

न्यूरालिंक ने 2021 में ही एक वीडियो दिखाया था जिसमें एक मकाक बंदर को वीडियो गेम खेलते दिखाया गया था. इस बंदर के सिर में चिप लगाई गई थी. हाल ही में एक वेबकास्ट के दौरान कंपनी ने चिप के कामकाज में आई बेहतरी को सबके सामने पेश किया था.

अभी भी इनकी जानवरों पर ही टेस्टिंग चल रही है. न्यूरालिंक को इसके बाद अमेरिकी नियामकों की अनुमति लेनी होगी ताकि इंसानों पर इसे टेस्ट किया जा सके. मस्क घोषणा कर चुके थे कि कंपनी 2022 में ही ह्यूमन ट्रायल शुरु कर देगी जो कि हो नहीं पाया. फिलहाल फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के पास कंपनी ने अर्जी डाली हुई है और मस्क ने उम्मीद जताई है कि 2023 की पहली छमाही में इंसानों पर इसका ट्रायल शुरु हो जाएगा.

आरपी/वीके (रॉयटर्स)