कहां का तेल खाते हैं भारतीय
खाने वाले तेलों का आयात करने के मामले में भारत विश्व में पहले स्थान पर है. जानिए भारत में तेल की लगातार बढ़ती मांग के पीछे क्या है और इसे कहां से पूरा किया जा रहा है.
क्यों खाते हैं इतना तेल
आपमें से कई लोग अपने घर की रसोई में घी, सरसों या फिर सूर्यमुखी और नारियल के तेल में खाना पकाते होंगे. देश में लगातार बढ़ती तेल की खपत के पीछे एक तो बढ़ती आबादी है और दूसरे प्रति व्यक्ति आय का ऊपर जाना. एक और धारणा प्रचलित है कि जितना तेल डालेंगे पकवान उतना स्वादिष्ट बनेगा.
कितनी आबादी पर कितना तेल
हर साल भारत की आबादी में करीब 2.5 करोड़ लोग जुड़ते जा रहे हैं. इसके हिसाब से खाद्य तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 प्रतिशत की बढ़त होने का अनुमान है. फिलहाल एक साल में भारत सरकार 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल खरीदती है. देश को अपनी आबादी के लिए सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाद्य तेल की जरूरत होती है.
कौन से तेल की सबसे ज्यादा खपत
भारत में सोया और पाम ऑयल का सबसे ज्यादा आयात होता है. खाने वाले तेलों में जहां पाम ऑयल यानि ताड़ का तेल कुल आयात का 40 फीसदी होता है वहीं सोयाबीन का तेल करीब 33 फीसदी होता है. सोयाबीन का तेल अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात होता है.
पाम ऑयल भी दो तरह का
भारत अपनी घरेलू खपत के लिए पाम ऑयल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से मंगाता है. क्रूड पाम ऑयल इंडोनेशिया से जबकि रिफाइंड पाम ऑयल मलेशिया से आयात किया जाता है. बाहर से मंगाए गए पाम ऑयल को कई घरेलू कारोबारी दूसरे तेलों के साथ मिलाते हैं और इस तरह अपने तेल उत्पादन के खर्च को कम रखते हैं.
भारत के घर घर में आने वाला सनफ्लावर ऑयल
सूर्यमुखी का तेल यूक्रेन और रूस से मंगाया जाता है. बीते करीब 20 सालों में भारत के रसोइघरों में रिफाइंड तेलों का इस्तेमाल काफी बढ़ा है और उसमें भी सूर्यमुखी के तेल वाले ब्रांड बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुए हैं.
भारत सरकार का 'जीरो' इम्पोर्ट प्लान
भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय को ऐसी योजना बनाने को कहा है जिससे आने वाले सालों में खाद्य तेलों का आयात बंद किया जा सके. घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया से आयात पर कस्टम ड्यूटी को 5 फीसदी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है.
भारत सरकार का 'जीरो' इम्पोर्ट प्लान
भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय को ऐसी योजना बनाने को कहा है जिससे आने वाले सालों में खाद्य तेलों का आयात बंद किया जा सके. घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया से आयात पर कस्टम ड्यूटी को 5 फीसदी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है.
बीज वाले पौधों पर ध्यान
भारत में तैलीय बीजों वाले पेड़-पौधों की उपज बहुत कम होती है. 2020 तक इसे बढ़ाकर इतना करने की योजना बनी है जिससे किसानों की आय को भी दोगुना किया जा सके. इससे पहले भी भारत को दालों की उपज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश हो चुकी है.