क्या आप जानते थे कि चांद सिकुड़ रहा है?
नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम की वजह से एक बार फिर इंसानों के चांद पर पहुंचने की संभावनाओं ने जन्म ले लिया है. लेकिन क्या आप चांद के बारे में ये बातें जानते हैं?
सिकुड़ रहा है चांद
नासा के शोध के मुताबिक चांद धीरे धीरे अपनी गर्मी खो रहा है जिसकी वजह से उसकी सतह इस तरह सिकुड़ने लगी है जैसे अंगूर सिकुड़ कर किशमिश बन जाता है. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं हो रहा है. चांद के अंदर का भाग भी सिकुड़ रहा है. पिछले करोड़ों सालों में चांद करीब 50 मीटर (150 फुट) पतला हो गया है.
झंडा आखिर लहराया कैसे?
कुछ लोगों का मानना है कि 1969 में अंतरिक्ष यात्रियों का चांद पर उतरना एक झूठ था और असल में नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन एक नकली सेट पर चले थे. ये मानने वाले लोग कहते हैं कि एल्ड्रिन द्वारा लगाया गया अमेरिकी झंडा ऐसे लहरा रहा था जैसे हवा चल रही हो और अंतरिक्ष के निर्वात में यह नामुमकिन है. नासा का कहना है कि एल्ड्रिन झंडे को जमीन में गाड़ते समय उसे हिला रहे थे.
जलाने वाली गर्मी, जमाने वाली ठंड
चांद पर तापमान काफी चर्म पर रहता है. सूरज की किरणें सतह पर पड़ने पर तापमान 127 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है और किरणों की गर्मी के बिना तापमान धड़ाम से गिर कर माइनस 153 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है!
वहां रहता है कोई
चांद पर कोई रहता है यह एक बहुत ही पुराना मिथक है. कुछ लोगों को तो पूर्णिमा के दिन चांद की सतह पर ही एक चेहरा दिखाई देता है. कई देशों में ऐसे एक व्यक्ति को लेकर किम्वदंतियां हैं जिसने कोई बड़ी गलती की थी और उसे सजा के रूप में चांद पर भेज दिया गया था. हालांकि अभी तक किसी अंतरिक्ष यात्री को तो वो व्यक्ति नहीं मिला.
पृथ्वी से दूर भी जा रहा है
चांद हर साल पृथ्वी से लगभग चार सेंटीमीटर दूर भी खिसकता जा रहा है. यह जितना दूर होता चला जाएगा हमें उतना छोटा नजर आएगा. करीब 55 करोड़ सालों में ये इतना छोटा नजर आने लगेगा कि पृथ्वी के सबसे करीब बिंदु पर भी यह सूर्य को ढंक नहीं पाएगा. यानी तब सूर्य ग्रहण नहीं हुआ करेंगे.
जी नहीं, भेड़ियों को चांद से कोई विशेष लगाव नहीं है
हर पुरानी डरावनी फिल्म में एक भेड़िए का चांद को देख कर हुआ हुआ करने का दृश्य होता ही था. लेकिन असल में ऐसा नहीं होता. भेड़िए ना पूर्णिमा पर ज्यादा तेज हुआ हुआ करने लगते हैं और ना ही चांद को देख कर ऐसा करते हैं. वो बस रात को हुआना तेज कर देते हैं और उसी समय पूरा चांद सबसे ज्यादा दिख रहा होता है.
चांद पर चलने वालों में विविधता की कमी
अभी तक कुल 12 इंसानों ने चांद पर कदम रखा है. ये सब अलग अलग व्यवसायों से तो हैं, लेकिन ये सब अमेरिकी हैं, श्वेत हैं और पुरुष हैं. देखना होगा कि चांद पर कदम रखने वाला पहला गैर-अमेरिकी कौन होगा. शायद वो एक महिला हो और शायद वो अश्वेत हो!