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समाजभारत

दिल्ली एयरपोर्ट पर एंट्री के लिए फेशियल रिकग्निशन तकनीक

आमिर अंसारी
१६ अगस्त २०२२

दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर सोमवार से डिजिटल यात्रा सिस्टम शुरू किया गया है. यात्रियों को एयरपोर्ट में दाखिल होने के लिए कैमरे के सामने अपने चेहरे को दिखाने होगा और उनकी एंट्री हो जाएगी.

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तस्वीर: AFP/Getty Images/N. Seelam

डीजी यात्रा ऐप की मदद से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दाखिल होने के लिए यात्रियों को कतार में लगने की जरूरत नहीं होगी और न ही उन्हें दस्तावेज दिखाने पड़ेंगे. चेहरा पहचानने की तकनीक की मदद से यात्री को एयरपोर्ट में प्रवेश मिल जाएगा. दिल्ली एयरपोर्ट इंटरनेशनल लिमिटेड (डायल) ने सोमवार को एंड्रायड सिस्टम पर आधारित डीजी यात्रा ऐप का बीटा वर्जन लॉन्च किया है. इस तकनीक की मदद से एयरपोर्ट में एंट्री, सुरक्षा जांच और बोर्डिंग गेट तक यात्री पहुंच पाएंगे. डायल ने कहा कि प्रत्येक यात्री को प्रत्येक टचपॉइंट पर तीन सेकंड से कम समय की आवश्यकता होगी और डीजी यात्रा भी सुरक्षा में सुधार करेगी.

डीजी यात्रा नागरिक उड्डयन मंत्रालय की परियोजना है और 2017 से इसका परीक्षण चल रहा है. इसे घरेलू यात्रियों के लिए दिल्ली हवाई अड्डे के टी3 पर शुरू किया गया था, जहां एयरएशिया इंडिया, एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और विस्तारा जैसी एयरलाइंस ऑपरेट करती हैं.

डीजी यात्रा ऐप का बीटा वर्जन एंड्रॉयड यूजर्स के लिए उपलब्ध है और कुछ ही हफ्तों में आईओएस प्लेटफॉर्म के लिए उपलब्ध हो जाएगा. डीजी यात्रा योजना में भागीदारी यात्रियों के लिए स्वैच्छिक है और इसे चुनने वालों को ऐप डाउनलोड करना होगा, खुद को पंजीकृत करना होगा, आधार डिटेल्स लिंक करना होगा, एक सेल्फी लेनी होगी और कोविड-19 टीकाकरण की जानकारी जोड़नी होगी.

डायल का कहना है कि यह एक बायोमीट्रिक एनेबिल्ड सीमलैस ट्रेवल एक्सपीरियंस लाएगा जिसके जरिए यात्री फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से अब एयरपोर्ट में एंट्री और एक्सेस कर पाएंगे.

डायल के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार ने एक बयान में कहा, "चेहरे की पहचान प्रणाली यात्रियों को कई बिंदुओं पर पहचान जांच की प्रक्रिया से बचाएगी और उन्हें कागज रहित यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और हवाई अड्डे पर सुरक्षा को भी बढ़ाएगी."

इस तकनीक को शुरू करने से पहले एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक उपकरण लगाकर करीब 20 हजार यात्रियों के साथ इसका ट्रायल किया गया था.

डेटा तक किसके पास पहुंच होगी?

बताया जा रहा कि डीजी ऐप का इस्तेमाल करने वाले हवाई अड्डे भारत सरकार द्वारा लागू और अनिवार्य डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुरूप होंगे और उनका पालन करेंगे, वर्तमान में भारत में डेटा सुरक्षा पर कोई विशिष्ट कानून नहीं है. चूंकि नीति में कानून का बल नहीं है, किसी भी नीति या कानूनी ढांचे से अनैतिक होने के कारण, यहां तक कि इसमें शामिल गोपनीयता सुरक्षा सिद्धांत सीधे किसी भी प्राधिकरण के खिलाफ लागू नहीं होंगे.

जानकारों का कहना है कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस योजना के तहत इकट्ठा किए गए डेटा को केवल उन विशिष्ट उद्देश्यों के लिए संसाधित किया जाए जो योजना को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए आवश्यक हैं. हालांकि, योजना के चारों ओर किसी भी कानूनी ढांचे की गैरमौजूदगी के कारण इस तरह के एक लागू करने योग्य उद्देश्य सीमा सिद्धांत की अनुपस्थिति में, एकत्र किए गए व्यक्तिगत डेटा को आगे साझा किया जा सकता है. उन उद्देश्यों के लिए संसाधित किया जा सकता है जिनके लिए डेटा देने वाले ने सहमति नहीं दी हो.

अगर डेटा निजी संस्थाओं के साथ साझा किया जाता है तो क्या होगा?

एक सवाल यह भी उठता है कि अगर डेटा साझा किया जाएगा तो क्या होगा. यह योजना कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक संयुक्त उद्यम कंपनी (जेवीसी) या एसपीवी द्वारा लागू की जाएगी, जिसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और सभी निजी हवाईअड्डा ऑपरेटरों द्वारा स्थापित किया जाएगा. वर्तमान में संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के तरीके को नियंत्रित करने वाला एकमात्र कानूनी ढांचा सूचना प्रौद्योगिकी (उचित सुरक्षा प्रथाओं और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा या सूचना) नियम, 2011 (एसडीपीआई) हैं. एक अहम बात यह है कि एसपीडीआई नियम कुछ सुरक्षा प्रदान करते हैं, यह केवल बायोमेट्रिक जानकारी पर लागू होता है. 

भारत सरकार ने इसी महीने डेटा प्रोटेक्शन और प्राइवेसी बिल वापस ले लिया था जिसे लेकर कई टेक कंपनियों ने चिंता जताई थी. 2019 में लाए गए बिल को वापस लेते हुए सरकार ने कहा कि नए कानून पर काम किया जाएगा.

केंद्र सरकार की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया था कि संसदीय पैनल ने 2019 के बिल की समीक्षा की थी जिसके बाद इसे वापस लेने का फैसला किया गया. नोटिस के मुताबिक पैनल ने कई बदलावों की सिफारिश की थी जिसके बाद एक विस्तृत कानूनी बदलाव की जरूरत को देखते हुए इसे वापस ले लिया गया और अब सरकार एक नया बिल पेश करेगी.

इस कानून में कुछ बेहद कड़े नियमों का प्रावधान रखा गया था जिसके तहत निजी कंपनियों को अपने ग्राहकों के बारे में विस्तृत सूचनाएं भारत सरकार के साथ साझा करनी होतीं. 

2019 में यह बिल पेश करने के बाद केंद्र सरकार ने "गैर-निजी डेटा" को नियमित करने संबंधी प्रस्ताव भी पेश किया था. यह डेटा वे सूचनाएं हैं जिनके विश्लेषण का इस्तेमाल निजी कंपनियों अपना कारोबार बढ़ाने के लिए करती हैं. संसदीय पैनल ने सुझाव दिया था कि इन नियमों को भी निजता बिल में शामिल किया जाना चाहिए.

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