किलर व्हेल के साथ डांस करने वाला शख्स
आर्थर ग्वेरिन-बोएरी बर्फीले आर्क्टिक महासागर में किलर व्हेलों के साथ तैरते हैं. वो मुक्त गोताखोरी में विश्व चैंपियन हैं और इन व्हेलों को उनके प्राकृतिक परिवेश में देखना उन्हें बेहद पसंद है.
व्हेलों की तलाश
नॉर्वे में आर्क्टिक सर्किल के द्वीप स्पिल्ड्रा के इर्द गिर्द समुद्र की गहराइयों में से मछली के इस पंख के निकल आने का मतलब है कि एक ओर्का, या किलर व्हेल, सांस लेने सतह पर आई है. ये व्हेलें इस इलाके के बर्फीले पानी में हेरिंग मछलियों का शिकार करने आती हैं.
शानदार तजुर्बा
फ्रांस के रहने वाले आर्थर ग्वेरिन-बोएरी इसी लम्हे का इंतजार कर रहे थे. वो एक लंबी सांस लेते हैं और महासागर के तीन डिग्री सेल्सियस तापमान के पानी में छलांग लगा देते हैं. कभी कभी आर्क्टिक की हवाएं समुद्र के पानी के तापमान को हिमांक बिंदु से भी नीचे पहुंचा देती हैं. 38 साल के ग्वेरिन-बोएरी कहते हैं, "मैं पानी में ऐसे दो सुपर परभक्षियों के बगल में हूं जिन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया है. यह शानदार है."
आर्क्टिक की बर्फ में विश्व चैंपियन
ग्वेरिन-बोएरी बिना ऑक्सीजन टैंक के बर्फ के नीचे मुक्त गोताखोरी में पांच बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं. वो 120 मीटर से भी ज्यादा नीचे गोता लगा सकते हैं और कई मिनटों तक सांस रोके रख सकते हैं. हालांकि नॉर्वे में वो बस 30 सेकंड तक गोता लगाते हैं. वो करीब 15 मीटर नीचे जाते हैं और इन व्हेलों के करीब पहुंच जाते हैं. ये व्हेलें अमूमन इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होती हैं.
पानी के नीचे बैले
सुदूर उत्तर में स्थित इस द्वीप पर सिर्फ मुट्ठी भर लोग रहते हैं. ग्वेरिन-बोएरी ने यहां एक सप्ताह तक गोता लगाया. व्हेलों के बारे में वो कहते हैं, "वो समकालिक तरीके में तैरती हैं, जैसे बैले कर रही हों. मैं उनका पीछा करना चाहूंगा लेकिन यह नामुमकिन है. वो बहुत तेज तैरती हैं और मैं पीछे रह जाता हूं."
सुंदर नजारा
ग्वेरिन-बोएरी कहते हैं, "इस माहौल मैं आप थकान, ठंड, आशंका, सब भूल जाते हैं." आर्क्टिक सर्किल में अपनी यात्रा में उन्होंने सबसे ज्यादा प्रकृति का आनंद लिया. "मैं जब सांस लेने के लिए फिर से सतह पर पहुंचता हूं, तो मेरे इर्द-गिर्द बर्फ से ढकी चोटियां होती हैं...आप सुंदरता से घिरे होते हैं."
शरण लेने की जगह
गोते लगाने के बीच ग्वेरिन-बोएरी इस कठोर मौसम से बचने के लिए इस पारंपरिक नार्वेजियन झोपड़ी में शरण लेते हैं. यह देखने में एक छोटे से पहाड़ जैसी लगती है लेकिन यह लकड़ी से बनी है और इसे मिट्टी और घास से ढक दिया गया है. झोपड़ी के अंदर आग उन्हें खुद को गर्म रखने में मदद करती है.
ध्रुवीय रात में रोशनी
ध्रुवीय रातों के दौरान रोशनी ना के बराबर होती है. यहां ग्वेरिन-बोएरी की मदद करने के लिए उनके साथी एक स्पॉटलाइट से रेशनी दे रहे हैं. तूफान भी आया था जिसकी वजह से व्हेलों को ढूंढने में देर हो गई. लेकिन ग्वेरिन-बोएरी कहते हैं कि इसके बावजूद इतनी मेहनत सफल रही. वो कहते हैं, "मैं मुक्त गोताखोरी के सार तक लौटना चाहता हूं: यानी समुद्र के नीचे की दुनिया की खोज."