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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

मंगल जैसे माहौल में 12 महीने बिताकर बाहर निकले यात्री

८ जुलाई २०२४

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स मिशन के अभियान दल ने एक साल लंबे सफर के बाद अपने यान से बाहर कदम रखा. हालांकि यह यान कभी पृथ्वी से बाहर नहीं गया.

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मार्सवॉक के दौरान नासा के अभियान दल का एक सदस्य
मंगल जैसे वातावरण में वैज्ञानिकों ने कई प्रयोग किएतस्वीर: Nasa/Chapea Crew/dpa/picture alliance

अभियान दल के चार स्वयंसेवी सदस्यों ने ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में नासा के पहले सिम्युलेटेड मार्स एनवायरमेंट यानी मंगल जैसे माहौल में 12 महीने से अधिक समय बिताया. वे शनिवार को शाम 5 बजे के करीब इस कृत्रिम वातावरण से बाहर आए.

केली हेस्टन, आंका सेलारियू, रॉस ब्रॉकवेल और नेथन जोन्स ने 25 जून 2023 को नासा के क्रू हेल्थ एंड परफॉर्मेंस एक्सप्लोरेशन एनालॉग (सीएचएपीईए) प्रोजेक्ट के पहले क्रू के रूप में 3डी-प्रिंटेड घर में प्रवेश किया था.

हेस्टन इस मिशन की कमांडर थीं. बाहर आने के बाद उन्होंने एक सरल शब्द "हैलो" के साथ अपनी बात शुरू की. उन्होंने कहा, "आप सभी से 'हैलो' कहना वाकई बहुत अच्छा लग रहा है."

नेथन जोन्स एक डॉक्टर हैं और मिशन के मेडिकल ऑफिसर थे. उन्होंने कहा कि "378 दिन का यह कैद का समय जल्दी बीत गया."

इस चौकड़ी ने 1,700 वर्ग फीट (157 वर्ग मीटर) के क्षेत्र में रहते हुए काम किया ताकि लाल ग्रह, मंगल के लिए एक मिशन का अनुभव किया जा सके. विज्ञान जगत को सौर मंडल का चौथा ग्रह मंगल बेहद रोमांचित करता रहा है. दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल पर पहुंचने की कोशिश कर रही हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मंगल पर अपने कई मानवरहित अभियान भेज चुकी है.

कई प्रयोग और शोध हुए

पहले सीएचएपीईए अभियान दल ने भविष्य के मंगल अभियानों के संभावित हालात को स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया. इसमें सिम्युलेटेड स्पेसवॉक (जिसे 'मार्सवॉक' कहा गया) शामिल थी. साथ ही वे सब्जियों को उगाने और उनकी फसल काटने का काम भी करते थे ताकि अपने खाने की सप्लाई को बढ़ा सकें और आवास और उपकरणों को बनाए रख सकें.

उन्होंने उन चुनौतियों का भी सामना किया जो एक असली मार्स क्रू को अनुभव होने की उम्मीद होती है, जैसे सीमित संसाधन, अलगाव और पृथ्वी से संवाद में 22 मिनट की देरी. नासा ने कहा कि ये सभी चुनौतियां उन्हें इस कृत्रिम वातावरण की दीवारों के दूसरी ओर महसूस हुईं.

अभियान दल के सदस्य घर से बाहर आने के बाद
आंका सेलारियू, नेथन जोन्स, रॉस ब्रॉकवेल और केली हेस्टन एक साल बाद मंगल जैसे घर से बाहरतस्वीर: Nasa/Chapea Crew/dpa/picture alliance

नासा ने कहा कि ऐसे ही दो और अभियानों की योजना बनाई गई है और इन अभियानों में सिम्युलेटेड स्पेसवॉक जारी रहेंगी. साथ ही शारीरिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन से संबंधित डेटा जमा किया जाएगा.

जॉनसन स्पेस सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर स्टीव कोएर्नर ने कहा कि पहले अभियान दल के अधिकतर प्रयोग खाने-पीने पर केंद्रित थे और यह देखा गया कि यह उनके प्रदर्शन को कैसे प्रभावित करता है. उन्होंने कहा, "यह काम हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण विज्ञान है, क्योंकि हम लोगों को लाल ग्रह पर भेजने की तैयारी कर रहे हैं."

मंगल पर इंसान बस तो जाएंगे, खाएंगे क्या

कोएर्नर ने कहा, "वे अपने परिवारों से अलग रहे हैं. उन्हें एक निर्धारित डाइट पर रखा गया और उन पर बहुत से परीक्षण किए गए हैं. मंगल हमारा लक्ष्य है. यह प्रोजेक्ट अंतरिक्ष की खोजों के प्रयास में अमेरिका के नेतृत्व करने के इरादे में एक महत्वपूर्ण कदम है."

कैसा रहा अनुभव?

जॉनसन स्पेस सेंटर के फ्लाइट ऑपरेशंस के डिप्टी डायरेक्टर और खुद एक अंतरिक्ष यात्री, क्येल लिंडग्रेन के एक दस्तक देने के बाद चारों स्वयंसेवकों ने घर के दरवाजे से बाहर निकलकर उन सभी के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने बाहर उनका इंतजार किया था. साथ ही, उन्होंने मंगल पर मानव मिशन और पृथ्वी पर जीवन के बारे में सीखे गए सबक भी साझा किए.

मंगल ग्रह में वैज्ञानिकों की इतनी दिलचस्पी क्यों

ब्रॉकवेल इस अभियान के फ्लाइट इंजीनियर थे. उन्होंने कहा कि इस मिशन ने उन्हें बताया कि पृथ्वी पर क्यों हमें सबके भले की कोशिश करते हुए जीवन जीना चाहिए.

उन्होंने कहा, "मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे इस अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनने का मौका मिला. मैंने इस साल को एक साहसिक भावना के साथ जिया और मैं आभारी हूं कि मैंने यह सीखा कि हमें संसाधनों का उपयोग उतनी तेजी से करना चाहिए जितनी तेजी से वे दोबारा पैदा किए जा सकें. हमें कचरा उतनी तेजी से पैदा करना चाहिए जितनी तेजी से उसे वापस संसाधनों में बदला जा सके."

ब्रॉकवेल ने कहा "अगर हम इन सिद्धांतों पर जीवन नहीं जीते हैं तो हम लंबे समय तक ना तो जी सकते हैं और ना सपने देख सकते हैं या कुछ नया रच सकते हैं. हां, अगर हम (इन सिद्धांतों पर) जीते हैं तो हम दूसरी दुनियाओं की खोज जैसी अद्भुत और प्रेरक उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं.”

साइंस ऑफिसर आंका सेलारियू ने कहा कि उनसे कई बार पूछा गया कि मंगल पर इतना ध्यान क्यों है. उन्होंने कहा, "मंगल पर क्यों जाएं? क्योंकि यह संभव है. क्योंकि अंतरिक्ष हमें एकजुट कर सकता है और हमारे सर्वश्रेष्ठ को उभार सकता है. क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिसे 'पृथ्वीवासी' अगली सदियों में रास्ता दिखाने के लिए उठाएंगे."

वीके/एए (एपी)

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