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एक तो टीका नहीं, फिर लगवाने की इच्छा नहीं

हारून जंजुआ (इस्लामाबाद से)
२५ जून २०२१

पाकिस्तान में कोविड-19 के मामलों की संख्या में गिरावट आ रही है क्योंकि पूरे देश में टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है. हालांकि, टीके की पर्याप्त आपूर्ति न होने की वजह से समस्या बनी हुई है.

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Afghanistan Coronavirus Pandemie Covid-19
तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

पाकिस्तान के मुल्तान शहर की रहने वालीं 25 वर्षीय पत्रकार लाईबा जैनब ने 10 जून को कोरोना वायरस टीके की पहली खुराक ली. वह चीन के सिनोफार्म कोविड वैक्सीन की पहली खुराक ले रही थीं. इस मौके पर वह काफी उत्साहित दिखीं. उन्हें टीका लगवाने के लिए देश में टीकाकरण की शुरुआत के बाद पांच महीने तक का इंतजार करना पड़ा.   

टीके की आपूर्ति में कमी और टीके को लेकर हिचकिचाहट की वजह से, इस साल पाकिस्तान में टीकाकरण अभियान की शुरुआत बेहद खराब रही. फरवरी महीने में, सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों को ही टीका लगाने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, पिछले महीने चीनी टीके आने के बाद, पाकिस्तान ने सभी व्यस्कों को टीका लगाने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू किया. इसके लिए ऑनलाइन सिस्टम बनाया गया.

देश के लोगों को टीका लगवाने के लिए सबसे पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. टीके की उपलब्धता होने के बाद, टीका लगाने वाले को मेसेज के जरिए एक कोड मिलता है. इस कोड की मदद से, वे देश भर में फैले 2,000 टीकाकरण केंद्रों में से किसी एक पर जाकर टीका लगवा सकते हैं.

जैनब को टीका लगाने के लिए नंबर मिलने में कई सप्ताह लग गए. वह कहती हैं, "सरकार ने जब 18 साल या उससे ज्यादा के उम्र के लोगों को टीका लगाने की घोषणा की, उसके बाद से मैं हर दिन रजिस्ट्रेशन के लिए मेसेज करती थी. कभी-कभी एक दिन में दो या तीन बार तक.”

मई महीने में पूरे दक्षिण एशिया में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े. जैनब कहती हैं कि वह काफी सतर्क रहती थीं और टीका लगवाना काफी जरूरी हो गया था. वह कहती हैं, "टीका लगाने की प्रक्रिया काफी आसान थी और इसमें महज 20 मिनट लगे. मैं लोगों से आग्रह करती हूं कि वे टीका लगवाएं. मैंने सोशल मीडिया पर भी अपना अनुभव शेयर किया, ताकि टीका लगाने से जुड़ी अफवाह दूर हो सकें.”

तेज हुआ टीकाकरण अभियान

पाकिस्तान की कुल आबादी करीब 23 करोड़ है. इनमें से 1.3 करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक लग चुकी है. जुलाई महीने में दूसरी खुराक लगेगी. पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री फैसल सुल्तान ने डॉयचे वेले को बताया, "टीका लगाने की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. यह संख्या 4 लाख खुराक प्रतिदिन तक पहुंच चुकी हैं. हमें उम्मीद है कि यह रफ्तार और तेज होगी. हम एक दिन में 5 लाख लोगों को टीका लगा पाएंगे.”

स्वास्थ्य नीति और प्रबंधन के विशेषज्ञ और सरकारी चिकित्सक फरीहा इरफान ने डॉयचे वेले को बताया कि पाकिस्तान की सरकार ने टीकाकरण की व्यवस्था को बेहतर बनाया है और देश की जनता भी टीका लेने को लेकर जागरूक हुई है. वह कहती हैं, "कोरोना संक्रमण के मामले काफी कम हुए हैं. अब सरकार लोगों तक पहुंच रही है. इससे आम जनता के लिए टीका लगाना काफी सुविधाजनक हो जाएगा.”

पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है. बीते सोमवार को 660 नए मामले दर्ज किए गए और 25 मौतें हुईं, जो पिछले आठ महीनों में सबसे कम है. सरकार ने इस साल के अंत तक 7 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

पाकिस्तान में नौकाओं पर बसा गांव

टीके की कमी

पिछले सप्ताह, पाकिस्तान में टीके की अस्थायी तौर पर कमी देखी गई. इससे यह चिंता बढ़ रही है कि लोगों को टीके की दूसरी खुराक लगने में देर हो सकती है. जैनब को उम्मीद है कि जुलाई महीने में उन्हें दूसरी खुराक लग जाएगी, लेकिन टीके की आपूर्ति में कमी के कारण उन्हें देर होने का डर है. बीते सोमवार को लाहौर में एस्ट्राजेनेका की खुराक में कमी को लेकर सैकड़ों लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया.

सरकारी चिकित्सक फरीहा इरफान कहती हैं, "टीके की खरीद के लिए काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है और इसके लिए पैसे चाहिए होते हैं. एक संघर्षरत अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए पर्याप्त मात्रा में खुराक खरीद पाना मुश्किल है. पश्चिमी देश पहले से ही काफी मात्रा में टीके की खुराक खरीद चुके हैं और एडवांस ऑर्डर भी दे चुके हैं. इस वजह से कम विकसित देशों को टीका खरीदने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. आपूर्ति प्रभावित हो रही है.”

इस्लामाबाद में रहने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कमर चीमा ने डॉयचे वेले को बताया कि "सरकार ने टीकाकरण के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है, लेकिन समय पर टीके की खरीद और आपूर्ति नहीं हो पा रही है.” वे आगे कहते हैं, "स्वास्थ्य व्यवस्था और चीनी टीकों के प्रति विश्वास की कमी भी समस्या की एक वजह है. सरकार को सभी प्रकार के टीके खरीदने चाहिए. हालांकि, यूरोपीय और पश्चिमी देश इस बात पर जोर देते हैं कि केवल उन लोगों को ही यूरोप की यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी जिन्हें फाइजर, एस्ट्राजेनेका, मॉडर्ना या जॉनसन एंड जॉनसन के टीके लगाए गए हैं.”

स्वास्थ्य मंत्री सुल्तान ने कहा कि पाकिस्तान "चीन, अमेरिका, यूरोप और रूस सहित कई अन्य देशों से टीके खरीदने पर लगातार काम कर रहा है.” वह कहते हैं, "हमने फाइजर वैक्सीन की 1.3 करोड़ खुराक खरीदने का समझौता किया है. पाकिस्तान के भीतर एक चीनी वैक्सीन का आंशिक तौर पर उत्पादन भी शुरू कर दिया है.”

टीके को लेकर अफवाह

पाकिस्तान में टीकाकरण के खिलाफ मिथक और पोलियो का टीका लगाने से जुड़ी अफवाह फैलाने का एक लंबा इतिहास है. इन अफवाहों को बच्चे पैदा करने और पश्चिमी देशों की कथित साजिशों से जोड़ दिया जाता है. कोरोना के टीके को लेकर भी इसी तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. इसमें कहा जा रहा है कि टीका लगाने से उनके शरीर पर बुरा असर पड़ेगा और पश्चिमी देश उनके ऊपर निगरानी रख सकेंगे. जैनब कहती हैं, "टीके को लेकर मैंने अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया, ताकि लोग जागरूक हो सकें और टीका लगवाने के लिए प्रेरित हों.” 

स्वास्थ्य मंत्री सुल्तान ने कहा कि सरकार "विभिन्न चैनलों पर प्रचार-प्रसार के माध्यम से" वैक्सीन से जुड़ी अफवाहों को दूर कर रही है. वह कहते हैं, "जहां तक संभव हो, हम टीका लगाने के लिए लोगों तक पहुंच रहे हैं. हम शिक्षा, वाणिज्य, और सरकारी विभागों से जुड़े लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि वे टीका लगवाएं.”

हालांकि, कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के शुरुआती चरण में पाकिस्तानी अधिकारी बेहतर काम कर सकते थे. इरफान कहती हैं, "हमने कोविड को लेकर लोगों को अच्छे से जागरूक नहीं किया. यही वजह रही कि अधिकांश लोगों ने वायरस को तब तक गंभीरता से नहीं लिया जब तक कि वे खुद और उनके परिवार के लोग संक्रमित नहीं हो गए. लोगों को अधिक जागरूक करने के लिए हमें सामुदायिक नेताओं को शामिल करना चाहिए.”

 

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