अनूठी परंपरा: कुछ इस तरह होती है हंसों की गिनती
कुछ देशों में तो सही ढंग से जनगणना नहीं हो पाती, लेकिन ब्रिटेन की थेम्स नदी पर हंसों की हर साल गिनती होती है. जानिए, क्या यह परंपरा.
हंसों की गिनती क्यों
यूके में काफी समय पहले हंस का मांस बहुत लोकप्रिय था और ब्रिटेन में मुख्य खाद्य सामग्रियों में से एक था. इसलिए, थेम्स नदी के हंसों की गिनती की शुरुआत शाही परिवार द्वारा की गई थी.
शाही अफसर
हंसों की गिनती हर साल की जाती है और यह एक तरह का शाही आयोजन जैसा होता है.
वर्दी में कर्मचारी
हंसों की गणना करने वाले कर्मचारी खास वर्दी पहनते हैं. उनकी वर्दी पर राजा हंस मार्कर लिखा होता है.
हंसों की जांच
इस गतिविधि का आधिकारिक नाम 'स्वॉन अपिंग' है, जिसका उद्देश्य थेम्स नदी पर हंसों और सिग्नेट्स यानी हंसों के बच्चों की गिनती करना और उनकी सेहत की जांच करना है.
स्वॉन अपर की टीम
जो लोग स्वॉन अपिंग यानी हंसों की गिनती करते हैं उन्हें स्वॉन अपर्स नाम दिया गया है. तस्वीर में स्वॉन अपर्स की एक टीम विंडसर कासल के पास शेपर्टन से थेम्स नदी पर अपना काम कर रही है.
हंसों की सेहत की जांच
शाही कर्मचारी इस दौरान हंसों की सेहत की जांच करते हैं. हंसों के बच्चों को रिंग भी पहनाई जाती है ताकि उनकी पहचान आसानी से हो पाए.
तलाश जारी है
'किंग्स स्वॉन मार्कर' डेविड बार्कर और उनके सहयोगी एक रोइंग नाव में थेम्स नदी पर हंसों की तलाश करते हुए.
लौट गए अपनी दुनिया में
जब यह काम खत्म हो जाता है तो हंसों को दोबारा पानी में छोड़ दिया जाता है.
इन हंसों का मालिक कौन
थेम्स नदी में पाए जाने वाले सभी हंसों का मालिक ब्रिटिश शाही परिवार नहीं है, लेकिन वह केवल उन पर मालिकाना हक का दावा करने का अधिकार सुरक्षित रखता है जिनका पहले से हिसाब नहीं है.