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समाज

क्यों फेल हो रहा है आगरा मॉडल?

आमिर अंसारी
४ मई २०२०

दिल्ली में हर एक घंटे में 17 लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं तो वहीं पश्चिमी यूपी में 20 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जिसमें आगरा भी है. आखिर क्या वजह है कि पहले आगरा मॉडल की तारीफ हुई और अब मामले बढ़ते जा रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/AA

उत्तर प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मामले सोमवार 4 मई तक 2,645 पहुंच गए हैं और अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा खराब हाल ताज नगरी आगरा का है. उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला आगरा ही है. यहां कोरोना के कुल मरीजों की संख्या 4 मई तक 612 पर पहुंच चुकी है. जैसे-जैसे आगरा में नए मरीज मिल रहे हैं वैसे-वैसे प्रशासन संक्रमण को रोकने के लिए हॉटस्पॉट भी बना रहा है. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप के सफेद इमारत को देखने आगरा पहुंचने के अगले दिन ही एक कारोबारी इटली से आगरा लौटा. कपूर नाम का यह शख्स आगरा में जूता बनाने वाली फैक्ट्री में पार्टनर है.

इटली से लौटने के एक हफ्ते बाद कपूर कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाया गया. कपूर का मामला आगरा शहर में पहला था और यह देश के सबसे बड़े वायरस क्लस्टर में से एक था. 16 लाख की आबादी वाले शहर ने वायरस को काबू पाने के लिए बहुत तेजी से काम किया. प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन बनाए. हजारों-लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की गई और बड़े पैमाने पर कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग की गई. लोग कहां-कहां गए किस-किस से मिले, इन सबकी जानकारी जुटाई गई. इसके बाद हॉटस्पॉट और 38 एपिसेंटर की पहचान की गई . इसके साथ ही 3 किलोमीटर का कंटेनमेंट जोन और 5 किलोमीटर का बफर जोन बनाया गया. अप्रैल तक शहर को लगा कि उसने कोरोना को हरा दिया है, कोरोना के मामले 50 के भीतर सीमित हो गए, जबकि भारत के अन्य शहरों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते गए. केंद्र सरकार ने भी आगरा मॉडल की प्रशंसा की और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में इस मॉडल पर अमल करने का सुझाव जताया गया. 

फिर कहां हुई चूक?

आगरा में वक्त रहते कंटेनमेंट उपायों और तमाम सख्ती के बावजूद शहर अब संक्रमण के दूसरे दौर को झेल रहा है. यहां के अस्पताल और डॉक्टर रोज नए मामले को लेकर चिंतित हैं. इससे पता चलता है कि वायरस पर काबू पाने के बावजूद वह पूरी ताकत से साथ पलटवार कर सकता है. आगरा के डीएम प्रभु एन सिंह समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहते हैं, "अगर यह अस्पताल में नहीं फैलता तो हम इस पर काबू पा लेते." ऑस्ट्रिया से होते हुए 44 साल के कपूर जब आगरा पहुंचे तो उन्हें एक मार्च को एहसास हुआ कि वे कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं. उनके रिश्तेदार को भी बुखार था और उन्होंने दिल्ली के अस्पताल में जांच कराया तो पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव है.वह भी कपूर के साथ विदेश से लौटा था.

कपूर की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई. साथ ही उनके पिता, मां, बेटे,पत्नी और भाई, सभी छह लोगों को दिल्ली के अस्पताल में शिफ्ट करा दिया गया. बाद में कपूर के अकाउंटेट और उसकी पत्नी को भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया. जबकि शहर के आसपास भी ऐसे मामले सामने आने लगे. सांस रोग विशेषज्ञ और सांस फाउंडेशन के संस्थापक डॉ.पीपी बोस कहते हैं, " हमें कभी भी मामलों की संख्या से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मामलों की संख्या ज्यादा होगी ही क्योंकि वायरस फैलता है. मामले पकड़ में भी ज्यादा आ रहे हैं. हमारे देश में ऐसे भी लोग हैं जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण नहीं हैं लेकिन वह वायरस के कैरियर हो सकते हैं. मामलों की संख्या बढ़ने से हमें उतना चिंतित नहीं होना चाहिए जब तक मौत का आंकड़ा उसी अनुपात में नहीं बढ़ता है."

यह मामला सिर्फ आगरा का नहीं है लेकिन देश के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कोरोना वायरस का तांडव है. अब केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह से प्रभावित देश के 20 जिलों में स्वास्थ्यकर्मियों की अपनी टीमें भेजने का फैसला किया है. दिल्ली और अन्य नौ राज्यों में फैले इन जिलों में ये टीमें हालात से निपटने में खामियों के विश्लेषण के साथ क्लस्टर कंटेनमेंट प्लान और निगरानी उपायों के कार्यान्वयन में प्रशासन की मदद करेंगी. 

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि देश में कोरोना से मृत्यु दर 3.2 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे कम है. ठीक होने वालों की दर में भी सुधार हुआ है और अब तक 10 हजार से ज्यादा मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं. डॉ. पीपी बोस कहते हैं, "भारत जैसे बड़े देश में मृत्यु दर बेहद कम है. यह हो सकता है कि जो वायरस भारत में आया है वह कम तीव्रता वाला हो. अमेरिका जैसे देश का हाल आप देखिए वहां क्या हो रहा है. हमारे देश में इम्युनिटी सिस्टम भी अच्छी है इस वजह से कम लोग संक्रमण के कारण मर रहे हैं." डॉ. पीपी बोस कहते हैं कि मामले की गंभीरता मृत्यु दर से ही तय होगी और अभी देश में स्थिति उतनी चिंताजनक नहीं है.

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