'इंडिया' का नाम बदलने की कवायद पर विवाद
६ सितम्बर २०२३इस विषय पर चर्चा की शुरुआत जी20 सदस्य देशों के नेताओं के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से भेजे गए निमंत्रण को लेकर हुई. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस निमंत्रण की तस्वीर एक्स (ट्विटर) पर साझा की.
निमंत्रण के अंग्रेजी हिस्से में मुर्मू को 'प्रेजिडेंट ऑफ भारत' लिखा हुआ है. साथ ही बीजेपी नेता संबित पात्रा ने एक्स पर आसियान-भारत बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंडोनेशिया दौरे से संबंधित एक सूचना की तस्वीर साझा की जिस पर अंग्रेजी में 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा हुआ है.
इसके बाद कुछ पत्रकारों ने दावा किया कि कुछ ही दिनों पहले मोदी की दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की यात्राओं के दौरान भी उनके नाम के आगे इसी तरह 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा गया था.
आरएसएस का आह्वान
'इंडिया' और भारत दोनों ही भारत के आधिकारिक नाम हैं, लेकिन सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों में अंग्रेजी में भी भारत लिखना नई बात है. भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट पर 'रिपब्लिक ऑफ इंडिया' और 'भारत गणराज्य' दोनों लिखा होता है.
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से अपनी शब्दावली में 'भारत' और 'हिंदुस्तान' नामों का प्रयोग करता रहा है. संघ के मुखिया मोहन भागवत ने कुछ ही दिनों पहले कहा था देश के लोगों को अब 'इंडिया' नाम का इस्तेमाल करना बंदकर देना चाहिए.
भागवत ने कहा था, "हमारा देश भारत है और हमें इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करना पड़ेगा. हमें हर क्षेत्र में भारत नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर देना चाहिए, तभी बदलाव आएगा. हमें अपने देश को भारत बुलाना पड़ेगा और दूसरों को भी समझाना पड़ेगा."
हालांकि इस पहल को विपक्षी पार्टियों द्वारा अपने गठबंधन को 'इंडिया' नाम देने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. विपक्ष ने जब से अपने गठबंधन के नाम की घोषणा की है, तब से खुद मोदी और बीजेपी के अन्य नेताओं ने इस नाम पर कई टिप्पणियां की हैं.
मोदी ने इसे "घमंडिया" गठबंधन भी बताया है और अन्य बीजेपी नेताओं ने 'इंडिया' छोड़ कर 'भारत' शब्द का इस्तेमाल करने की अपील भी की है. लेकिन राजनीतिक शब्दावली में बदलाव और संवैधानिक बदलाव दो अलग अलग चीजेंहैं.
विपक्ष की भूमिका
अगर सरकार आधिकारिक रूप से देश का नाम बदल कर सिर्फ 'भारत' करना चाहती है तो उसके लिए संविधान में बदलाव करना होगा. इसके लिए सरकार को एक अधिनियम लाना होगा, उसे संसद में दो-तिहाई बहुमत से पारित करवाना होगा और फिर देश की कम से कम आधी विधान सभाओं से भी पारित करवाना होगा.
देश में इस समय 31 विधान सभाएं हैं, जिनमें से एक (जम्मू और कश्मीर) निलंबित है. एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए इस समय 15 राज्यों में सत्ता में है, लेकिन सभी राज्यों में उसके पास इस तरह का बहुमत नहीं है कि इस तरह के विधेयक को निर्विरोध पारित करवा सके.
विपक्षी पार्टियों ने इस कदम का समर्थन भी नहीं किया है. कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना की एक तस्वीर साझा करते हुए एक्स पर कहा है कि 'इंडिया' को मिटाना नामुमकिन है.
ऐसे में अभी यह स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता है कि केंद्र सरकार इस कदम की तरफ आगे बढ़ रही है. लेकिन संसद का जो विशेष सत्र बुलाया गया है, उसका एजेंडा अभी तक सामने नहीं लाया गया है. ऐसे में एजेंडा को लेकर जो कई अटकलें चल रही हैं उनमें यह कवायद भी शामिल हो गई है.