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राजस्थान में कांग्रेस फिर से संकट में

चारु कार्तिकेय
२६ सितम्बर २०२२

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की पहेली अभी सुलझी भी नहीं है और इस बीच राजस्थान में फिर से संकट खड़ा हो गया है. 2020 में भी राज्य में पार्टी के अंदर इसी तरह की कलह दिखाई दी और अशोक गहलोत सरकार पर मुसीबत आन पड़ी थी.

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Ministerpräsident von Rajasthan Ashok Gehlot
अशोक गहलोततस्वीर: Vishal Bhatnagar/NurPhoto/picture alliance

ऐसी आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दौड़ में कूदेंगे तो राज्य में नेतृत्व का संकट उभरेगा. मौजूदा घटनाक्रम इसी ओर इशारा कर रहा है कि यह संकट अब गहराता जा रहा है.

गहलोत के केंद्रीय नेतृत्व संभालने के बाद मुख्यमंत्री पद कौन संभालेगा इसे लेकर राज्य में पार्टी के अंदर जंग छिड़ गई है. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि गहलोत के करीबी माने जाने वाले कम से कम 90 विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व से कहा है कि अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया गया तो वो इस्तीफा दे देंगे.

संकट का समाधान करने के लिए केंद्र से अशोक माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा गया लेकिन इन विधायकों ने दोनों नेताओं से मिलने से इनकार कर दिया. बताया गया कि नवरात्रि शुरू हो जाने के कारण सभी विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र लौट गए हैं.

अशोक गहलोत
अशोक गहलोत मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों पद अपने पास ही रखने में दिलचस्पी दिखा चुके हैंतस्वीर: Sumit Saraswat/Pacific Press/picture alliance

सब विधायकों की तरफ से राज्य के तीन वरिष्ठ नेता शांति धारीवाल, महेश जोशी और प्रताप सिंह खाचरियावास केंद्रीय नेताओं से मिले और तीन मांगें रखीं - पहला, अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा के बाद ही की जाए, दूसरा, मुख्यमंत्री उन्हीं 102 विधायकों में से हो जिनकी बदौलत 2020 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी रही और तीसरा, विधायक एक एक कर केंद्रीय नेताओं से नहीं मिलेंगे बल्कि समूह में ही मिलेंगे.

माकन ने विधायकों के कदमों को अनुशासनहीनता बताया है, लेकिन देखना होगा कि वो इसकी वजह से इन विधायकों के खिलाफ कदम उठाए जाने की अनुशंसा करते हैं या नहीं. कुल मिलाकर पूरे घटनाक्रम को गहलोत खेमे द्वारा इस दबाव को बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है कि अगला मुख्यमंत्री गहलोत का कोई विश्वासपात्र ही हो.

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गहलोत खुद पहले ही मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों पद अपने पास ही रखने में दिलचस्पी दिखा चुके हैं, जिसके बाद पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा था पार्टी के "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत का आदर होना चाहिए. लेकिन इसके बावजूद मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गहलोत ताजा प्रकरण से अपना पल्ला झाड़ चुके हैं और केंद्रीय नेतृत्व से कहा है कि इसमें वो कुछ नहीं कर सकते.

अब देखना यह है कि पार्टी के पर्यवेक्षक जिसे "अनुशासनहीनता" बता रहे हैं उसके खिलाफ पार्टी कोई कदम उठाएगी या नहीं. गहलोत मंगलवार 27 तारीख को अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरने वाले हैं.

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