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विज्ञानउत्तरी अमेरिका

कोलंबिया हादसे के 20 साल बाद भी सदमे में अमेरिका

३० जनवरी २०२३

2003 में अंतरिक्ष यात्रा से वापसी के दौरान दुर्घटना का शिकार बने कोलंबिया स्पेस शटल से अमेरिका को काफी बड़ा झटका लगा. 20 साल बाद भी नासा ने अंतरिक्षयात्रियों को लेकर अपना कोई शटल अंतरिक्ष में नहीं भेजा है.

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20. Jahrestag Unglück Landung des Space Shuttle Columbia 2003 | Gedenkstätte
तस्वीर: Brett Coomer/Getty Images

1 फरवरी, 2003 को अंतरिक्ष से लौट रहे कोलंबिया स्पेस शटल का एक्सीडेंट हो गया था. भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला भी क्रू के सात सदस्यों में शामिल थीं. कोलंबिया के कमांडर थे रिक हसबैंड, पायलट विलियम मैककूल, मिशन स्पेशलिस्ट थे माइकल एंडरसन, डेविड ब्राउन, कल्पना चावला और लॉरेल क्लार्क, और पेलोड स्पेशलिस्ट थे ईलान रामॉन जो कि पहले इस्राएली एस्ट्रोनॉट थे. 

कोलंबिया जब धरती से 203,000 फीट की ऊंचाई पर था तब उसमें विस्फोट हुआ. उस समय कमांडर रिक हसबैंड अमेरिका के ह्यूस्टन में मौजूद मिशन कंट्रोलर से बात कर रहे थे. कंट्रोलर ने कहा, "कोलंबिया, ये ह्यूस्टन है... हमें आपका आखिरी मैसेज नहीं मिला." 

एक पल बाद उधर से हसबैंड का जवाब आया: "रॉजर लेकिन..."

फिर एक शोर सा हुआ और संपर्क टूट गया. 

कोलंबिया के क्रू में शामिल थीं भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला भी
कोलंबिया के क्रू में शामिल थीं भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला भी तस्वीर: NASA/Getty Images

स्थानीय समय के अनुसार सुबह के 9 बजे कोलंबिया रेडार की स्क्रीन से गायब हो गया. इसके 16 मिनट बाद ही उसके लैंड होने का समय तय किया गया था. लेकिन उस समय तक तो टीवी न्यूज में उस 80 टन भारी स्पेसक्राफ्ट की धज्जियां दिखाई जाने लगीं. विस्फोट के बाद आग की लपटों में लिपटा उसका मलबा टूट कर टेक्सस और लुजियाना के अलग अलग हिस्सों में जा गिरा था. 

अंतरिक्ष से लौटना इतना मुश्किल क्यों?

सबसे अनुभवी स्पेस शटल

कोलंबिया 20 साल से सर्विस में था और ऑर्बिट में उड़ने वाला सबसे पुराना शटल बना. 16 जनवरी, 2003 को जब वह इस मिशन पर भेजा गया तो यह उसकी 28वीं उड़ान थी. मिशन 16-दिनों में पूरा किया जाना था, जिसमें बहुत सारे वैज्ञानिक प्रयोग किए गए. 

दुर्घटना की जांच में पता चला कि जब शटल ने लिफ्ट-ऑफ किया था, तभी बाहरी फ्यूल टैंक से निकले एक फोम के टुकड़े से ऑर्बिटर के बाएं डैने को नुकसान पहुंचा था. धरती के वातावरण में प्रवेश के दौरान पैदा होने वाले बहुत ऊंचे तापमान को वह झेल नहीं पाया.

धरती के वातावरण में प्रवेश के समय हुआ विस्फोट
धरती के वातावरण में प्रवेश के समय हुआ विस्फोटतस्वीर: Scott Lieberman/AP Photo/picture alliance

इसके पहले भी एक स्पेस शटल बड़ी दुर्घटना का शिकार बना था, जब 1986 में चैलेंजर के सभी अंतरिक्षयात्री मारे गए थे. तब भी सुरक्षा इंतजामों में नासा की कमजोरियों को लेकर खूब आलोचना हुई थी. 

चैलेंजर के बाद कोलंबिया ऐसा दूसरा स्पेस शटल दुर्घटना का मामला था. इसके बाद तो शटल फ्लीट को ही अगले ढाई साल के लिए ग्राउंड कर दिया गया. अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम ने एक तरह से अपने रिसर्च की दिशा ही बदल दी. कोलंबिया हादसे के अगले ही साल 2004 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने घोषणा कर दी कि ऐसे बेहद महंगे स्पेस प्रोजेक्ट रिटायर कर दिए जाएंगे. 

हादसे की जांच से नासा से लिए बहुत सारे सबक
हादसे की जांच से नासा से लिए बहुत सारे सबकतस्वीर: NASA/Getty Images

नासा में बदलावों की लहर

कोलंबिया हादसे के बाद से नासा में कई बदलाव लाए गए. वहां काम के माहौल को बेहतर और मिशन को और सुरक्षित बनाने के मकसद से कई सुधार हुए. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने जुलाई 2005 में डिस्कवरी के साथ अपना शटल प्रोग्राम फिर शुरु किया. फिर 2011 तक एंडेवर और एटलांटिस भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजे गए.  

2011 में नासा ने अपनी आखिरी शटल फ्लाइट उड़ाई थी, जिसके बाद से वह रूस की मदद से अपने अंतरिक्षयात्रियों को आईएसएस भेजता रहा. फिर 2020 में जाकर ईलॉन मस्क के स्पेस एक्स से पहली बार अमेरिका ने यात्रियों को अंतरिक्ष भेजना शुरु किया, जो कि अब भी जारी है. 

भविष्य में अमेरिका अपने अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा पर भेजना चाहता है. इसके बाद नासा मंगल ग्रह पर भी इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है. योजना के अनुसार मंगल पर एस्ट्रोनॉट को ले जाने वाला मिशन 2030 के आखिर या 2040 के दशक की शुरुआत तक भेजा जा सकता है. 

अमेरिका में 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में स्पेस शटल प्रोग्राम की नींव पड़ी. इसके बाद के चार दशकों में इंसान को अंतरिक्ष भेजने वाले मिशन पर खूब जोर रहा. इंसानों के अलावा इस फ्लीट का इस्तेमाल भारी माल ढोने के लिए भी हुआ. जैसे पहला अंतरिक्ष टेलिस्कोप हब्बल और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन बनाने के लिए इनसे 1,500 टन से भी भारी उपकरण ले जाए गए. 

आरपी/एसएम (एएफपी)

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_