सख्त पिता, अकेला बचपन और गुफाओं में सोनाः कैसे बने शी
२४ अक्टूबर २०२२2012 में जब शी जिनपिंग पहली बार चीन के राष्ट्रपति बने थे तो कई विशेषज्ञों ने कहा था कि वह कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे उदारवादी नेता साबित होंगे. इसकी वजह थी तब तक खबरों से दूर रहा उनका व्यक्तित्व, उनका पारिवारिक इतिहास और शायद एक दिग्भ्रमित उम्मीद. रविवार को जब शी ने ऐतिहासिक तीसरी बार पार्टी का नेता पद संभाला, तो वे सारी उम्मीदें धराशायी पड़ी थीं.
माओ त्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन गए शी जिनपिंग तीसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चुने गए हैं. पहले अधिकतम दो बार ही कोई व्यक्ति चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नेता और देश का राष्ट्रपति बन सकता था लेकिन शी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान उस नियम को बदल दिया, जिसकी बदौलत उन्हें यह ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल होने जा रहा है.
शी ने दिखाया है कि उन्हें लोग अब भी कितना कम समझते हैं. अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर वह एकदम निष्ठुर साबित हुए. उन्होंने असहमति को पूरी क्रूरता से कुचला और उनका नियंत्रण आधुनिक चीन के जीवन में हर पहलू तक पहुंचा.
एक मशहूर गायिका के पति से लेकर शी की हस्ती अब खुद एक ऐसे व्यक्तित्व तक पहुंच चुकी है, जिसके अपने असंख्य प्रशंसक हैं और जिनका करिश्मा दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश में लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है.
पार्टी में विश्वास
शी की जिंदगी पर किताब लिखने वाले एल्फ्रेड एल चान कहते हैं कि सत्ता शी के लिए सिर्फ एक साधन है. वह कहते हैं, "मैं उस पारंपरिक विचार से असहमत हूं कि शी जिनपिंग का सत्ता के लिए संघर्ष सिर्फ इसलिए था क्योंकि उन्हें सत्ता हासिल करनी थी. मैं कहता हूं कि वह सत्ता के लिए कोशिश करते हैं क्योंकि यह उनके लिए अपने नजरिए को मूर्त रूप दे पाने का साधन है.”
शी की जीवनी लिखने वाले एक अन्य लेखकर एड्रियन गाइजे भी कुछ ऐसा ही मानते हैं कि शी व्यक्तिगत ऊंचाइयां छूने की इच्छा से नहीं चलते. वैसे, कई बार अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने ऐसे खुलासे किए हैं कि शी के परिवार ने अकूत दौलत जमा कर ली है. लेकिन गाइजेस कहते हैं कि उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है. वह कहते हैं, "उनकी चीन के बारे में सच में एक सोच है. वह चीन को दुनिया के सबसे ताकतवर देश के रूप में देखना चाहते हैं.”
कुछ ऐसी ही बात शी ने पार्टी कांग्रेस के अपने उद्घाटन भाषण में कही थी. उन्होंने कहा था कि पार्टी की भूमिका ‘चीन राष्ट्र का महान कायाकल्प' है. ‘शीः अ स्टडी इन पावर' के लेखक केरी ब्राउन लिखते हैं, "शी श्रद्धावान व्यक्ति हैं. उनके लिए कम्युनिस्ट पार्टी भगवान है. बाकी दुनिया सबसे बड़ी गलती यही करती है कि उनकी इस श्रद्धा को गंभीरता से नहीं लेती.”
संघर्ष भरा बचपन
शी का बचपन पार्टी के केंद्र में ही गुजरा है. उनके पिता शी जोंगजुन एक क्रांतिकारी नायक थे जो उप प्रधानमंत्री भी रहे. शी के पिता की जिंदगी पर किताब लिखने वाले जोसेफ तोरीजियां के मुताबिक वह अपने परिवार को लेकर इस कदर सख्त थे कि उनके करीबियों तक को लगता था कि वह अमानवीय हैं.
हालांकि सांस्कृतिक क्रांति के दौरान वह पार्टी के निशाने पर रहे. चान बताते हैं कि "शी जिनपिंग और उनके परिवार को बड़ी यंत्रणा” से गुजरना पड़ा. उनकी प्रतिष्ठा रातोरात धूमिल हो गई और परिवार बंट गया. ऐसा भी कहा जाता है कि उनकी एक सौतेली बहन का कत्ल कर दिया गया.
शी खुद कह चुके हैं कि उनके सहपाठियों से उन्हें अलगाव झेलना पड़ता था. राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञ डेविड शैम्बॉ कहते हैं कि संभवतया इस अनुभव ने शी को मनोवैज्ञनिक और जज्बाती तौर पर दूसरों से अलग कर दिया होगा और "बहुत कम उम्र में ही उन्होंने स्वयातत्ता” हासिल कर ली.
शी जब 15 साल के थे तो उन्हें मध्य चीन के ग्रामीण इलाके में भेज दिया गया, जहां उन्होंने कई साल खेतों में काम किया और कच्चों घरों में सोकर वक्त गुजारा. बाद में एक बार उन्होंने बताया था कि वहां उन्हें ‘मेहनत की कड़ाई देखकर सदमा लगा था.' शी को वहां ‘संघर्ष सत्रों' में भी हिस्सा लेना पड़ा जहां उन्हें अपने पिता को त्यागना पड़ा.
1992 में वॉशिंगटन पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "आपको समझ नहीं आ रहा हो तो भी आपको समझने को मजबूर किया जाता है. इससे आप जल्दी परिपक्व हो जाते हैं.”
शी की जीवनी लिखने वाले चान कहते हैं कि अपने युवावस्था के अनुभवों से वह ‘सख्त' हो गए. चान लिखते हैं, "जब उनके सामने कोई समस्या आती है तो दोनों मुट्ठियां भींचकर उनका सामना करने का विकल्प चुनते हैं. लेकिन वह ताकत के स्वभाव को भी समझते हैं और इसीलिए कानून-आधारित प्रशासन पर जोर देते हैं.”
जिस गुफा में शी सोते थे, वह अब एक स्थानीय पर्यटक स्थल बन गया है और उसे शी के गरीबों के प्रति भाव के प्रतीक के रूप में पेश किया जाता है.
नीचे से शुरुआत
कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता की शी की अर्जी कई बार खारिज हुई थी क्योंकि उनके परिवार का नाम कलंकित था. आखिरकार उनकी अर्जी स्वीकार हुई और 1974 में उन्होंने सरपंच से राजनीति की शुरुआत की. 1999 में वह फूजियां प्रांत के गवर्नर बने. फिर 2002 में वह जेजियांग प्रांत में पार्टी प्रमुख बने और 2007 में शंघाई पहुंचे. 1970 के दशक में माओ की मौत के बाद शी के पिता को दोबारा मान्यता मिली, जिसका शी को बहुत लाभ हुआ.
गाइजेस कहते हैं, "वह बहुत सलीके से काम कर रहे थे. उन्होंने एक गांव में सबसे नीचे से शुरुआत की और पूरा अनुभव लिया. और चालाकी से वह सुर्खियों में आने से बचते रहे.”
कम्युनिस्ट पार्टी में उच्च पद पर रह चुकीं और अब अमेरिका में निर्वासित जीवन बिताने वालीं चाई शिया कहती हैं कि शी "आत्महीनता से पीड़ित हैं क्योंकि वह जानते हैं कि वह पार्टी के अन्य नेताओं की तुलना में कम पढ़े लिखे हैं.”
फॉरन अफेयर्स पत्रिका में चाई शिया ने लिखा था कि इसी कारण वह "तानाशाही रवैया रखने वाले और जिद्दी हैं.”
वीके/एए (एएफपी)