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यूरोप में सस्ती चाइनीज ई कारों की जांच शुरू

१४ सितम्बर २०२३

दाम इतने घटा दो कि दूसरे बर्बाद हो जाएं, क्या ऑटो सेक्टर में चीन यही कर रहा है? यूरोपीय संघ की जांच, इसी बात की तह तक पहुंचना चाहती है.

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जर्मनी में बीवाईडी की इलेक्ट्रिक कार
तस्वीर: Matthias Balk/dpa/picture alliance

बुधवार को यूरोपीय आयोग ने यूरोप में सस्ती चाइनीज इलेक्ट्रिक कारों की जांच शुरू कर दी. यूरोपीय आयोग यह जांच कर रहा है कि यूरोपीय कार निर्माताओं को बचाने के लिए सस्ती चाइनीज कारों पर दंडात्मक शुल्क लगाया जाए या नहीं. यूरोपीय आयोग के मुताबिक चीनी ऑटो कंपनियों को अपनी सरकार से सब्सिडी मिल रही है, जिसके चलते बाजार में उन्हें अनुचित बढ़त मिल रही है.

जानबूझ कर रखा कम दाम

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सुला फोन डेय लायन ने बुधवार को अपने वार्षिक संबोधन में कहा, "वैश्विक बाजारों में सस्ती इलेक्ट्रिक कारों की बाढ़ जा चुकी है और भारी सरकारी रियायत देकर उनकी कीमत जानबूझ कर कम रखी गई है." यूरोपीय संसद को संबोधित कर रहीं फोन डेय लायन का इशारा बीजिंग की तरफ था.

यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सुला फोन डेय लायन
यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सुला फोन डेय लायनतस्वीर: Jean-Francois Badias/AP Photo/picture alliance

अब यूरोपीय आयोग के पास चाइनीज ई-कारों पर फैसला करने के लिए 13 महीने हैं. फिलहाल यूरोप में चाइनीज कारों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगता है. एक दशक पहले भी ऐसे ही एक विवाद में चीन के सोलर पैनल निर्माता बाल बाल बचे थे.

यूरोपीय आयोग की इस जांच को एंटी सब्सिडी इंवेस्टीगेशन कहा जा रहा है. इसके तहत चीन में बनने वाली सभी इलेक्ट्रिक कारों की जांच होगी. जांच के दायरे में चीन में उत्पादन करने वाली यूरोपीय कंपनियां, रेनॉ और बीएमडब्ल्यू व अमेरिकी कंपनी टेस्ला भी आएगी. आम तौर पर ऐसी जांच किसी शिकायत के बाद शुरू होती है, लेकिन इस बार यूरोपीय आयोग ने खुद ही चीनी सरकार की सब्सिडी की पड़ताल का एलान किया है.

57 अरब डॉलर की रियायत

ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म एलिक्स पार्टनर्स के मुताबिक, चीन सरकार ने 2016 से 2022 के बीच इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन निर्माता कंपनियों को 57 अरब डॉलर की सब्सिडी दी. इस सब्सिडी के कारण चीन दुनिया का सबसे बड़ा ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) प्रोड्यूसर बना है. 2023 की पहली तिमाही ने चीन, जापान को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो एक्सपोर्टर बन चुका है.

गैलियम निर्यात पर चीन की रोक से इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग दुविधा में

2022 में चीन ने 11 साल लंबा सब्सिडी प्रोग्राम बंद जरूर किया, लेकिन राज्य स्तरों पर प्रशासन अब भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर लोगों को टैक्स में छूट व अन्य रियायतें दे रहा है. यूरोपीय संघ की जांच में इस तरह की रियायतों के साथ साथ बैटरी उत्पादन और कच्चे माल पर दी जा रही सब्सिडी की पड़ताल भी होगी. रिसर्चरों के मुताबिक चीन में मिलने वाले सस्ते माल के कारण ही टेस्ला की कार 20 परसेंट सस्ती हो सकी है.

म्यूनिख के ऑटो एक्सपो आईएए मोबिलिटी में बीवाईडी की कार में जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक
म्यूनिख के ऑटो एक्सपो आईएए मोबिलिटी में बीवाईडी की कार में जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉकतस्वीर: Sven Hoppe/dpa/picture alliance

यूरोपीय संघ को चीन की चेतावनी

यूरोपीय संघ में चीन के चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इस जांच पर चिंता जताई है. चीनी कारोबारी प्रतिनिधि मंडल के मुताबिक इलेक्ट्रिक कार बाजार में चीन की बढ़त, किसी सब्सिडी के कारण नहीं है.

जर्मनी को पछाड़कर इलेक्ट्रिक कारों के बाजार का सिरमौर बनता चीन

इस मुद्दे पर 24 घंटे बाद बीजिंग की भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है. चीन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यूरोपीय संघ की जांच, ईयू और बीजिंग के कारोबारी रिश्तों पर "नकारात्मक असर" डालेगी. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी करते हुए कहा, "चीनी पक्ष को लगता है कि यूरोपीय संघ की प्रस्तावित जांच, 'फेयर कंपिटीशन' के नाम पर अपने उद्योग को बचाने के इरादे से हो रही है...और इसका चीन और ईयू के आर्थिक और कारोबारी संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा."

यूरोपीय आयोग पर ताना सा कसते हुए बीजिंग ने कहा, ये जांच "नग्न संरक्षणवादी व्यवहार है, जो ग्लोबल ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की सप्लाई चेन पर गंभीर व्यवधान डालेगी." चीन ने यूरोपीय संघ ने इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने की अपील भी की.

चीन की चुनौती के सामने कमजोर पड़ रहे हैं जर्मन और यूरोपीय कार निर्माता
चीन की चुनौती के सामने कमजोर पड़ रहे हैं जर्मन और यूरोपीय कार निर्मातातस्वीर: Christof Stache/AFP

चाइनीज दाम से निपटना आसान नहीं

चीन की इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी बीवाईडी, दुनिया की सबसे बड़ी ई-कार कंपनी बन चुकी है. चाइना पैंसेजर कार एसोसिएशन के डाटा के मुताबिक अगस्त 2023 में ही कंपनी के निर्यात में 31 फीसदी उछाल आया है. बीवाईडी के एक्सपेंग और नियो जैसे छोटे और सस्ते मॉडल दूसरी कार कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं.

यूरोपीय आयोग के मुताबिक ईयू में चाइनीज ई कारों की हिस्सेदारी 8 फीसदी हो चुकी है. 2025 तक इसके 15 परसेंट पहुंचने का अनुमान है. चाइनीज ई कारों की कीमत, यूरोप में बनी ई कारों के मुकाबले करीब 20 फीसदी कम हैं. सस्ते दाम के कारण चाइनीज कारें, यूरोपीय कार निर्माताओं की नाक में दम कर रही हैं. दुनिया की सबसे बड़ी कार रेंटल कंपनियों में शुमार जर्मन कंपनी सिक्स्ट ने हाल ही में एक लाख इलेक्ट्रिक कारें खरीदने के लिए बीवाईडी से सौदा किया है. कारें पांच साल के भीतर डिलीवर होंगी.

यूरोपीय कार निर्माता भारी दबाव में हैं. जर्मन एसोसिएशन ऑफ दी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री (वीडीए) की प्रमुख हिल्डेग्राड म्युलर कहती हैं, "बड़े सुधारों के बिना" जर्मनी ऑटो हब के रूप में अपनी पहचान खो देगा.

ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)

जर्मनी चीन पर से अपनी निर्भरता घटाने में इतना विवश क्यों है?