यूरोपीय संघ के कर्मचारियों के लिए भी टिकटॉक बैन
१ मार्च २०२३अमेरिका के बाद अब यूरोपीय संघ ने भी चीनी ऐप टिकटॉक को अपने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के फोन से डिलीट कराने का फैसला किया है. मंगलवार को यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. टिकटॉक पर प्रतिबंध उन सभी फोन और अन्य डिवाइस पर लागू होगा जिनमें संसदीय ईमेल अकाउंट है.
पिछले हफ्ते ही यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ की परिषद ने टिकटॉक ऐप को स्टाफ के फोन से बैन कर दिया था. यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि चीनी कंपनी बाइटडांस की इस वीडियो शेयरिंग ऐप को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं, इसलिए यह फैसला किया गया है. इससे पहले अमेरिका और कनाडा भी ऐसा ही फैसला कर चुके हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देशों में इस पर विचार हो रहा है.
चीन इन देशों के टिकटॉक बैन करने के फैसले से कतई खुश नहीं है और उसने अमेरिका के फैसले पर तो आपत्ति भी जताई है. मंगलवार को चीन ने कहा था कि अमेरिका अतिशय प्रतिक्रिया दे रहा है. सोमवार को अमेरिका ने अपनी सभी सरकारी एजेंसियों को अपने-अपने कर्मचारियों की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से टिकटॉक हटवाने के लिए 30 दिन का वक्त दिया था.
चीन नाराज
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस कदम को अमेरिका द्वारा विदेशी कंपनियों के दमन के लिए ताकत के इस्तेमाल का उदाहरण बताया. प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम उन गलत कदमों का सख्त विरोध करते हैं. अमेरिका सरकार को बाजारवादी अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष प्रतिद्वन्द्विता के नियमों का सम्मान करना चाहिए और अपने यहां विदेशी कंपनियों को भेदभाव से मुक्त, निष्पक्ष और खुला माहौल उपलब्ध कराना चाहिए.”
माओ निंग ने कहा कि दुनिया की महाशक्ति अमेरिका क्या इतना असुरक्षित महसूस कर रहा है कि उसे युवाओं की पसंदीदा ऐप से डर लग रहा है.
टिकटॉक लंबे समय से एक विवादित ऐप रही है. भारत तो अपने यहां काफी पहले ही उसे बैन कर चुका है. हाल के महीनों में पश्चिमी देशों में टिकटॉक को लेकर खतरों के प्रति चिंताएं लगातार बढ़ी हैं. ऐप पर आरोप लगे हैं कि वह अपने ग्राहकों को डाटा जमा करके चीन की सरकारी एजेंसियों को देती है. दुनिया की कुछ जासूसी एजेंसियों ने चिंता जताई है कि जब सरकारी युक्तियां इस ऐप का इस्तेमाल करती हैं तो उनसे संवेदनशील जानकारियां चुराई जा सकती हैं.
टिकटॉक का कहना है कि वह किसी भी अन्य सोशल मीडिया ऐप की तरह ही काम करती है और डेटा किसी और को देने जैसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं है.
टिक टॉक पर यूरोपीय माता-पिताओं ने ठोका 1.2 खरब रुपये का मुकदमा
अमेरिकी सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को टिकटॉक का इस्तेमाल ना करने का आदेश देने के बारे में संघीय मुख्य सूचना अधिकारी क्रिस डेरूशा ने कहा कि बाइडेन सरकार अपने डिजिटल ढांचे की सुरक्षा और अपने नागरिकों की रूस में रूट्यूब का बोलबालाः घरेलू सोशल मीडिया की ओर मुड़े रूसीनिजता व सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.
टिकटॉक ने इन सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. कंपनी एक प्रवक्ता ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि ये प्रतिबंध "बिना किसी सोच-विचार” के लगाए गए हैं और "राजनीति नाटक से अधिक कुछ भी नहीं हैं.”
कितना खतरनाक है टिकटॉक?
टिकटॉक को लेकर विभिन्न सरकारों की चिंता यह है कि इस ऐप का इस्तेमाल जासूसी और संवेदनशील जानकारियां चुराने के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा लोगों के बीच भ्रामक और गलत जानकारियां फैलाने के लिए भी यह ऐप हथियार के रूप में प्रयोग हो सकती है.
घरेलू हिंसा के खिलाफ इशारे के इस्तेमाल ने बचाया
डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाली ब्रसेल्स स्थित गैर सरकारी संस्था एक्सेस नाऊ की एस्टेले मासे ने पिछले महीने डॉयचे वेले को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ये चिंताएं जायज हैं. उन्होंने कहा, "चीन सरकार द्वारा जासूसी की ये चिंताएं पूरी तरह जायज हैं क्योंकि यह दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता सोशल मीडिया है और इसके ग्राहकों की आयु बहुत कम है.”
बीते दिसंबर में ऐसी खबरें आई थीं कि बाइटडांस के कर्मचारियों ने पश्चिमी देशों के पत्रकारों के डेटा में सेंध लगाई और सूचनाएं लीक कर दीं. टिकटॉक की एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि यह कुछ लोगों के दुर्व्यवहार की घटना थी और वे लोग अब बाइटडांस के साथ काम नहीं करते. उन्होंने कहा कि चीन की सरकार ने कभी उनसे किसी तरह का डाटा नहीं मांगा है और कंपनी ने सरकार को कभी कोई जानकारी नहीं दी है.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)