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दक्षिण चीन सागर की घटना पर चीन और यूरोपीय संघ के बीच तनाव

२ सितम्बर २०२४

दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस और चीन के बीच तनाव का असर यूरोपीय संघ और चीन के रिश्तों तक भी पहुंच गया है. दोनों ने एक दूसरे को चेतावनियां दी हैं.

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चीन और फिलीपींस के जहाज
दक्षिणी चीन सागर में चीन और फिलीपींस के जहाजों की टक्करतस्वीर: Philippine Coast Guard /AP Photo/picture alliance

दक्षिणी चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बाद चीन और यूरोपीय संघ ने एक दूसरे को चेतावनी जारी की है. दोनों पक्षों ने इस घटना को लेकर तीखे बयान दिए हैं. यह टकराव तब हुआ जब पिछले हफ्ते चीन और फिलीपींस के तटरक्षक जहाजों के बीच टक्कर की एक और घटना हुई.

ताजा घटना सबीना शोल के पास हुई, जो दक्षिण चीन सागर में विवादित क्षेत्र है और चीन और फिलीपींस के बीच समुद्री विवाद का एक अहम केंद्र बन गया है. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर अपने तटरक्षक जहाजों को जानबूझकर टकराने का आरोप लगाया. यह पिछले एक महीने में पांचवीं बार है जब दोनों देशों के बीच समुद्री टकराव हुआ है. यह क्षेत्र संसाधनों से समृद्ध और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. चीन और फिलीपींस के बीच इस क्षेत्र को लेकर वर्षों से विवाद चल रहा है. चीन इस पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपींस समेत कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अपने-अपने दावे हैं.

यूरोपीय संघ की चेतावनी

यूरोपीय संघ ने रविवार को एक बयान जारी किया, जिसमें उसने फिलीपींस के खिलाफ चीन के तटरक्षक जहाजों की "खतरनाक कार्रवाइयों" की निंदा की. यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक जोसेप बोरेल के प्रवक्ता, नबिला मस्राली, ने इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव पर यूरोपीय संघ की चिंताओं को जाहिर किया. मस्राली ने कहा, "यूरोपीय संघ सबीना शोल क्षेत्र में फिलीपींस के वैध समुद्री अभियानों के खिलाफ चीनी तटरक्षक जहाजों की खतरनाक कार्रवाई की निंदा करता है."

यूरोपीय संघ के बयान में इस घटना के व्यापक प्रभावों पर भी जोर दिया गया, जिसमें कहा गया कि ये घटनाएं "समुद्र में जीवन की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं और उन सभी देशों के लिए अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत नौवहन और वायु मार्गों के इस्तेमाल की स्वतंत्रता हासिल है."

यूरोपीय संघ ने आगे कहा कि वह "सभी अवैध, उकसावे वाली और दबाव डालने वाली कार्रवाइयों की निंदा करता है जो इन अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को कमजोर करती हैं और क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरे में डालती हैं."

चीन की प्रतिक्रिया

चीन ने सोमवार को यूरोपीय संघ की टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इस मुद्दे पर "निष्पक्ष और तटस्थ" रहने और दक्षिण चीन सागर के मामलों पर शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतने का आग्रह किया. यूरोपीय संघ में चीनी मिशन द्वारा जारी एक बयान में, चीन ने इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ के "आरोपों" पर अपनी "कड़ी असंतुष्टि" जाहिर की. चीनी बयान में कहा गया, "यूरोपीय संघ दक्षिण चीन सागर के मुद्दे में कोई पक्ष नहीं है और इस मुद्दे पर उंगली उठाने का उसे कोई अधिकार नहीं है."

इसके अलावा, चीन ने क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता पर यूरोपीय संघ के रुख की आलोचना की और कहा कि इस मुद्दे को बार-बार "उछालना" यूरोपीय संघ के खुद के हितों और उसकी अंतरराष्ट्रीय साख के लिए फायदेमंद नहीं है. यह प्रतिक्रिया चीन के उस लंबे समय से चले आ रहे रुख पर आधारित है कि बाहरी शक्तियों को इस क्षेत्रीय मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

यह घटना तब सामने आई है जब फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर ने दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्रों पर फिलीपींस के दावों को लेकर ज्यादा आक्रामक रुख अपनाया है. 2022 में पद संभालने के बाद से, मार्कोस ने चीन के लगातार दावों के बावजूद देश की संप्रभुता की जोरदार वकालत की है. चीन और फिलीपींस के बीच समुद्री टकराव बढ़ता जा रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ रही है.

पिछले कुछ महीनों में चीन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक तनाव भी बढ़ा है. यूरोपीय संघ ने चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर भारी टैक्स लगाया है जिससे चीन नाराज है. इस कारण चीन ने ना सिर्फ यूरोपीय उत्पादों पर टैक्स लगाने की धमकी दी है बल्कि उसने डब्ल्यूटीओ में भी अपील की है. पिछले महीने ही बीजिंग में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि अपने घरेलू ईवी उद्योग के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उसने विश्व व्यापार संगठन में यूरोपीय संघ की शिकायत की है.

इस साल जुलाई में यूरोपीय संघ ने चीन की इलेक्ट्रिक कारों पर लगभग 38 प्रतिशत तक अस्थायी कर लगा दिया था. यह फैसला एक जांच के बाद हुआ था जिसमें पाया गया कि चीन, यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों को अनुचित रूप से नुकसान पहुंचा रहा है. यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने चीन की अपील को देखा है और उन्हें विश्वास है कि उसकी जांच और संघ की ओर से उठाए गए कदम विश्व व्यापार संगठन के अनुकूल हैं

फिलीपींस और यूरोपीय संघ के रिश्ते

व्यापार, तकनीक, मानवाधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर चीन के साथ यूरोपीय संघ के लगातार विवाद रहे हैं लेकिन फिलीपींस को लेकर यूरोपीय संघ का इस तरह सामने आना अचानक हुई घटना नहीं है. 2018 से ही यूरोपीय संघ और फिलीपींस के बीच रिश्ते लगातार बेहतर हुए हैं, जब एक मार्च 2018 को यूरोपीय संघ और फिलीपींस के बीच साझेदारी और सहयोग समझौता (पीसीए) आधिकारिक रूप से लागू हुआ था. यह समझौता एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य यूरोपीय संघ और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को विशेष रूप से राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मामलों में मजबूत करना है.

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि फिलीपींस के साथ यूरोप के करीबी यूक्रेन युद्ध पर चीन का रूस को समर्थन भी है. 2022 में राष्ट्रपति बनने के बाद फर्डिनांड मार्कोस जूनियर ने पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. 2023 में फिलीपींस और यूरोपीय संघ के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत फिलीपींस के साथ यूरोपीय संघ की समुद्री सुरक्षा मामलों की सब कमेटी बनाई गई थी. 2023 में, उर्सुला फोन डेर लेयेन फिलीपींस की यात्रा करने वाली पहली वर्तमान यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष बनी थीं, जहां उन्होंने "हमारे बीच सहयोग के एक नए युग" की बात की थी. इसी साल मार्च में मार्कोस जूनियर ने मध्य यूरोप का दौरा किया था.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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