अब खाड़ी के देशों में कम जा रहे हैं केरल के लोग
केरल प्रवासन सर्वे 2023 की रिपोर्ट दिखा रही है कि जहां राज्य से प्रवासन करने वालों की संख्या में मामूली इजाफा हुआ है, वहीं घर वापस लौटने वालों की संख्या भी बढ़ी है. इसके अलावा खाड़ी के देशों का आकर्षण भी कम हुआ है.
थोड़ा कम हुआ है प्रवासन
केरल प्रवासन सर्वे 2023 के मुताबिक, पिछले साल केरल से 22 लाख लोगों ने प्रवासन किया. यह संख्या 2018 में 21 लाख थी. 1998 में जब यह सर्वे शुरू हुआ था, तब केरल से 14 लाख लोगों ने प्रवासन किया था. 2013 में यह संख्या बढ़ कर 24 लाख हो गई थी, लेकिन उसके बाद से यह धीरे-धीरे घट रही है. अनुमान है कि करीब 50 लाख मलयालम-भाषी लोग भारत से बाहर रहते हैं.
घर वापस भी आ रहे केरल के लोग
दिलचस्प यह है कि रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में जहां 12 लाख मलयालम-भाषी भारत लौटे थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 18 लाख हो गई. बीते पांच सालों में वापस लौट आने वाले केरल के लोगों की संख्या 38.3 प्रतिशत बढ़ी है. वापस आने वालों में करीब 18.4 प्रतिशत लोगों ने लौटने का कारण नौकरी छूट जाना, 13.8 प्रतिशत ने कम वेतन, 11.2 प्रतिशत ने बीमारी या हादसा, 16.1 प्रतिशत ने केरल में काम करने की इच्छा को वजह बताया.
खाड़ी के देशों का आकर्षण गिरा
मलयालम-भाषी प्रवासियों के बीच बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई का आकर्षण घटा है और इनके मुकाबले दूसरे देशों का चाव 19.5 प्रतिशत बढ़ा है. यानी 80.5 प्रतिशत मलयाली प्रवासी आज भी खाड़ी देश जाना ही पसंद करते हैं, लेकिन 1998 में यह आंकड़ा 93.8 प्रतिशत था. 2023 में खाड़ी देशों के बाद मलयालम-भाषी प्रवासियों ने ब्रिटेन (छह प्रतिशत), कनाडा (2.5 प्रतिशत), अमेरिका (2.2 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया को चुना.
प्रवासी छात्रों की संख्या बढ़ी
प्रवासन करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2023 में प्रवासन करने वाले सभी मलयालम-भाषियों में से 11.3 प्रतिशत छात्र थे. यह 2018 के मुकाबले दोगुनी संख्या है. छात्र खाड़ी देश जाना पसंद नहीं करते हैं.
महिलाओं की संख्या ज्यादा
महिला प्रवासियों की संख्या भी बढ़ी है. 2018 में जहां महिला प्रवासियों की हिस्सेदारी 15.8 थी, वहीं यह 2023 में बढ़कर 19.1 हो गई. इनमें 71.5 महिलाएं स्नातक थीं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा सिर्फ 34.7 प्रतिशत है. प्रवासी मलयाली महिलाओं में से 51.6 प्रतिशत बतौर नर्स काम करती हैं. करीब 40.5 प्रतिशत प्रवासी मलयाली महिलाएं पश्चिमी देशों में हैं.
हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान प्रवासी
प्रवासी मलयालम-भाषियों में 41.9 प्रतिशत मुसलमान हैं और 35.2 प्रतिशत हिंदू. केरल की आबादी में 26 प्रतिशत मुसलमान हैं और 54 प्रतिशत हिंदू. आबादी में 18 प्रतिशत ईसाई हैं, जबकि प्रवासियों में ईसाईयों की हिस्सेदारी 22.3 प्रतिशत है.
विदेश से भेज रहे धन
रेमिटेंस (विदेश से अपने देश भेजा हुआ धन) में भी काफी बढ़ोतरी आई है. जहां 2018 में 85,092 करोड़ रुपए भेजे गए थे, वहीं 2023 में 2,16,893 करोड़ रुपए वापस भेजे गए, यानी 154.9 प्रतिशत ज्यादा. प्रति प्रवासी परिवार को 2023 में औसत 2.24 रुपए रेमिटेंस मिले. प्रवासी परिवारों ने इसमें से 15.8 प्रतिशत धन मकानों या दुकानों की मरम्मत पर, 14 प्रतिशत बैंक लोन चुकाने पर और 10 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया.
1998 से हो रहा है सर्वे
केरल सरकार द्वारा जारी किए गए इस सर्वे को इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट और गुलाटी इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड टैक्सेशन ने करवाया था. यह हर पांच साल पर करवाया जाता है. इस बार सर्वे में केरल के सभी 14 जिलों में से 20,000 परिवारों ने हिस्सा लिया है.