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कनाडा और चीन में विवाद गहराया, अधिकारियों को निकाला

१० मई २०२३

कनाडा और चीन के बीच जारी खींचतान अब एक-दूसरे के राजनयिकों को निकालने तक पहुंच गई है. कनाडा द्वारा अपने राजनयिकों को देश से निकाले जाने का चीन ने हू ब हू जवाब दिया है.

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जस्टिन ट्रूडो
जस्टिन ट्रूडोतस्वीर: Spencer Colby/ZUMA/IMAGO

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि उनका देश चीन से डरने वाला नहीं है. कनाडा की कार्रवाई का जवाब देते हुए मंगलवार को चीन ने भी कनाडा के राजनयिक को अपने यहां से निकाल दिया था.

सोमवार को कनाडा ने अपने यहां चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी का आरोप लगाते हुए चीनी राजनयिक जाओ वेई को देश से चले जाने का आदेश दिया था. कुछ ही घंटे बाद चीन ने भी कनाडा के एक राजनयिक को 13 मई तक देश छोड़ देने का आदेश दे दिया. चीन ने कनाडा की कार्रवाई को ‘बेतुका' बताया था.

चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "कनाडा के लापरवाही भरे कदम की जवाबी कार्रवाई के तौर पर चीन ने शंघाई स्थिति कनाडा के कांस्युलेट में काउंसल लिन लालोंदे को पर्सोना नोन ग्राटा घोषित करने का फैसला किया है.”

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चीनी कार्रवाई पर जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा, "हम समझ सकते हैं कि बदले की कार्रवाई की जा रही है लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं. अपने नागरिकों को विदेशी दखलअंदाजी से बचाने के लिए हम जो भी जरूरी होगा, करते रहेंगे.”

क्या है विवाद?

कनाडा और चीन के बीच करीब पांच साल से विवाद चल रहा है. 2018 में चीनी टेक कंपनी वावे के अधिकारी मेंग वानजू को हिरासत में ले लिया गया था. उसके बदले में चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को जासूसी का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया था. तीनों को 2021 में रिहा कर दिया गया.

ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब सोमवार को कनाडा की विदेश मंत्री मेलनी जोली ने कहा कि विपक्षी नेता माइकल चोंग के खिलाफ अभियान में जाओ वेई की कथित भूमिका के कारण उन्हें निष्कासित करने का फैसला लिया गया. माइकल चोंग ने चीन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था, जिसके बाद उनके खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मुहिम चल रही थी.

कुछ जानकारों का मानना है कि ताजा मामले का कनाडा को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है. पिछले साल चीन ने कनाडा से 74.8 अरब डॉलर का आयात किया था, जो कि 2021 के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा था और कनाडा के लिए नया रिकॉर्ड था. अमेरिका के बाद चीन कनाडा के लिए दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है.

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पिछले साल चीन ने कनाडा की सबसे बड़ी फसल कनोला के आयात पर तीन साल से जारी प्रतिबंध हदा लिया था, जो 2018 में लगाया गया था. चीन कनाडा से पोटाश और गेहूं भी बड़ी मात्रा में खरीदता है.

चीन का नपा-तुला जवाब

कनाडा के एग्री-फूड पॉलिसी इंस्टिट्यूट के प्रबंध निदेशक टाइलर मकैन कहते हैं, "चीन के मामले में खतरा तो हमेशा रहता है. लेकिन ऐसा लगता है कि चीनी सरकार पिछले सालों के मुकाबले खाद्य सुरक्षा को लेकर अब कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गई है. इसके कारण खतरा कुछ कम हो सकता है.”

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से गेहूं और खाद्य तेलों की सप्लाई काफी मुश्किलों में घिरी रही है, जिसके कारण चीन के लिए कनाडा से गेहूं और कनोला का आयात रोकना आसान नहीं होगा.

रिपोर्ट: देश छोड़ने से रोकने के लिए चीन उठा रहा सख्त कदम

चीन में कनाडा के पूर्व राजदूत साँ-ज्याक ने कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्प को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि चीन ने बहुत नपा-तुला जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि चीन कई वरिष्ठ अधिकारियों को निष्कासित कर सकता था.

साँ-ज्याक को ऐसा नहीं लगता कि अभी चीन आर्थिक प्रतिबंधों जैसा कोई कदम उठाएगा क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण बेहद कड़े लॉकडाउन से उबर रहा चीन विदेशी कंपनियों को अपने यहां काम करने के लिए मनाने की कोशिशों में जुटा है.

इस साल कई राष्ट्र प्रमुख चीन का दौरा कर चुके हैं जिनमें फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों भी शामिल हैं. चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग भी कई देशों के दौरों में वहां के उद्योगपतियों और सरकारों को अपने यहां आने का न्योता दे रहे हैं.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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