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दूसरे देश अपनाएंगे ग्रीस का हफ्ते में 6 दिन काम वाला मॉडल?

टिमोथी रुक्स
२७ जून २०२४

ग्रीस में हफ्ते में छह दिन काम करने का मॉडल अपनाया जा रहा है, जबकि अन्य देशों में काम के घंटे कम करने पर प्रयोग किए जा रहे हैं. आखिर कौन सा मॉडल ज्यादा कारगर है?

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संसद में विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान से पहले सांसदों को संबोधित करते ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस. यह तस्वीर मार्च 2024 की है.
कई देशों में फाइव-डे वीक, यानी हफ्ते में पांच दिन काम करना आम हो चुका है. ग्रीस में कामकाज से जुड़े कई क्षेत्रों में यह व्यवस्था खत्म हो सकती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कामगारों की कमी का सामना कर रहे अन्य देशों के लिए यह एक बेहतर रोल मॉडल साबित होगा कि नहीं. तस्वीर: Aris Messinis/AFP/Getty Images

ज्यादातर लोगों के लिए श्रम कानून उबाऊ विषय हो सकता है. हालांकि, जब कोई एक अतिरिक्त दिन काम करने के लिए कहे, तो अचानक से सभी लोग ध्यान देने लगते हैं. यूरोप के देश ग्रीस में 1 जुलाई से नए नियम लागू होने जा रहे हैं. इसके बाद लोगों को हफ्ते में छह दिन काम करना पड़ सकता है.

नए नियम के तहत, कुछ उद्योगों और कारखानों के साथ-साथ जो कंपनियां 24 घंटे खुली रहती हैं, उनमें हफ्ते में पांच की जगह छह दिन काम कराने की छूट दे दी गई है. एथेंस स्थित कानूनी फर्म 'पॉलिटिस एंड पार्टनर्स' में लेबर लॉ के प्रमुख एमानुएल सावोआदाकिस ने यह जानकारी दी है. गौर करने वाली बात यह है कि पर्यटन और खाने-पीने की चीजों से जुड़े कारोबारों को इस नई व्यवस्था से अलग रखा गया है. 

इसका मतलब है कि कानून के दायरे में आने वाले उद्योगों, कारखानों और कंपनियों से जुड़े लोगों को अब हफ्ते में 40 की जगह 48 घंटे काम करना पड़ सकता है. सैद्धांतिक तौर पर अगर कंपनी चाहती है, तो कर्मचारी ज्यादा काम करने का विकल्प चुन सकते हैं. जो लोग ज्यादा काम करेंगे, उन्हें ज्यादा वेतन भी दिया जाएगा.

ग्रीक सरकार का कहना है कि ये नए नियम प्रशासनिक काम को आसान बना देंगे, प्रोबेशन पीरियड घटकर छह महीने का हो जाएगा और लोग ज्यादा काम करने पर ध्यान देंगे. सावोआदाकिस का कहना है कि इस नए कानून से कुशल कर्मचारियों की कमी को भी पूरा करने में मदद मिलेगी. दरअसल, नए कानून के लागू होने से अब कंपनियां आधिकारिक तौर पर लोगों से ज्यादा काम करा सकेंगी. पहले भी कंपनियां लोगों से ज्यादा काम कराती थीं, लेकिन उन्हें रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता था.

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नई व्यवस्था में कर्मचारियों को मुफ्त में ट्रेनिंग मिलेगी, ताकि वे अपना कौशल विकसित कर सकें और बाजार की बदलती हुई जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल सकें. हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि हफ्ते में छह दिन काम करने का यह मॉडल हर जगह लागू नहीं होगा, बल्कि कुछ खास कारोबारों तक ही सीमित रहेगा. 

ग्रीस की राजधानी एथेंस में प्राचीन एक्रोपोलिस के पास गर्मी से बचने के लिए छाता तानकर घूमते सैलानी.
ग्रीक की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है, लेकिन कामगारों की कमी के कारण इस आर्थिक संसाधन को नुकसान पहुंच रहा है. तस्वीर: Petros Giannakouris/AP/picture alliance

ऑफिस में काम के घंटे को लेकर जारी है प्रयोग

ग्रीस में कई चुनौतियां हैं. जैसे कम वेतन, ज्यादा बेरोजगारी और घटती जनसंख्या. हालांकि, सिर्फ ग्रीस ही ऐसी समस्याओं से नहीं जूझ रहा है. फिर भी ग्रीस में ज्यादा काम कराने का यह नया मॉडल उसके पड़ोसी यूरोपीय देशों से बिल्कुल अलग है.

जर्मनी, बेल्जियम, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन और आइसलैंड जैसे कई देशों में कंपनियां हफ्ते में काम के दिनों को लेकर अलग-अलग मॉडल आजमा रही हैं. कुछ कंपनियां 40 घंटे के काम को हफ्ते के चार दिनों में इस तरह बांट रही हैं कि हर दिन 10-10 घंटे काम करना पड़े. वहीं, कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को पूरे हफ्ते का काम सिर्फ 80 फीसदी समय में पूरा करने की छूट दे रही हैं और उन्हें पूरी तनख्वाह भी दे रही हैं.

इस साल की शुरुआत में जर्मनी में राष्ट्रीय रेलवे कंपनी डॉयचे बान और रेलवे चालक संघ ने हफ्ते में काम के घंटे को 38 से घटाकर धीरे-धीरे 35 घंटे करने पर सहमति जताई थी. अन्य क्षेत्रों में भी हफ्ते में काम करने के घंटे को कम करने की मांग की जा रही है.

जर्मनी में शुरू हुई हफ्ते में बस चार दिन काम की आजमाइश

बुरे दौर से वापसी कर रहा है ग्रीस

वहीं, ग्रीस दूसरी राह पर चल रहा है. यह पहली बार नहीं है, जब यहां हफ्ते में छह दिन काम करने की बात हो रही है. 2009 में शुरू हुए ऋण संकट के दौरान कुछ कर्जदाताओं ने मांग की थी कि यहां के लोग ज्यादा काम करें. इस ऋण संकट की वजह से देश को यूरोजोन से लगभग बाहर कर दिया गया था.

इस संकट से उबारने के लिए यूरोजोन के देशों ने अरबों यूरो का बेलआउट पैकेज दिया था, लेकिन साथ ही खर्च को कम करने से जुड़ी शर्तें भी लगा दी थीं. हालांकि, उस समय भी हफ्ते में छह दिन काम करने के मॉडल को लागू नहीं किया गया था. फिलहाल, ग्रीस के हालात सुधर गए हैं. मई में जारी यूरोपीय आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल देश की जीडीपी में 2.2 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है. अगले साल यह बढ़कर 2.3 फीसदी तक पहुंच सकता है, जो यूरोजोन के औसत से अधिक है.

ग्रीस ने क्या आर्थिक संकट से मुक्ति पा ली है?

इस साल बेरोजगारी दर भी घटकर 10.3 फीसदी तक पहुंच सकती है. 2025 तक यह कम होकर 9.7 फीसदी होने का अनुमान है. इसके बावजूद, पिछले दशक में कई शिक्षित युवा देश छोड़कर चले गए क्योंकि उन्हें विदेशों में बेहतर अवसर दिखे. देश की आबादी लगातार कम हो रही है. 2019 में यहां की जनसंख्या 10.7 मिलियन थी, जो 2029 तक घटकर 10.4 मिलियन तक पहुंच सकती है. इससे कृषि, पर्यटन और निर्माण जैसे कुछ क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की कमी बदतर स्थिति में पहुंच सकती है.

ओईसीडी के मुताबिक, ग्रीस के लोग सालाना सबसे ज्यादा काम करने वाले लोगों में से एक हैं. हालांकि, ओईसीडी के आंकड़ों की तुलना करना कभी-कभी मुश्किल होता है, लेकिन इसके रुझान स्पष्ट हैं. ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी की तुलना में यहां के लोग काफी ज्यादा काम करते हैं. 

ग्रीस की राजधानी एथेंस में जूस की एक दुकान पर काम कर रहा युवा कर्मचारी.
नए नियम के तहत, कुछ उद्योगों और कारखानों के साथ-साथ 24 घंटे खुली रहने वाली कंपनियों में हफ्ते में छह दिन काम कराने की छूट दे दी गई है. पर्यटन और खाने-पीने की चीजों से जुड़े कारोबारों को इस नई व्यवस्था से अलग रखा गया है.तस्वीर: Louisa Gouliamaki/AFP/Getty Images

ग्रीस की हकीकत को दिखा रहा नया कानून

सकारात्मक पहलू यह है कि किसी ऑफिस में प्रशासनिक या प्रबंधन से जुड़े काम करने वाले लोगों का न्यूनतम मासिक वेतन 1 अप्रैल से बढ़ाकर 830 यूरो कर दिया गया है, जो कि 2019 से 650 यूरो था. लोगों का औसत मासिक वेतन अब करीब 1,250 यूरो है. ग्रीस के प्रधानमंत्री ने हाल ही में घोषणा की है कि उनकी योजना 2027 तक इसे 1,500 यूरो तक बढ़ाने की है.

बर्लिन स्थित जर्मन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के जेन्स बास्टियान कहते हैं कि वेतन में हुई यह वृद्धि पिछली कटौतियों और लगातार बढ़ती महंगाई की भरपाई नहीं करती है. बढ़ती महंगाई ने कई नागरिकों को ज्यादा काम करने के लिए मजबूर कर दिया है. वे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए दो-दो नौकरियां कर रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि नए नियम ग्रीस के कामगारों के लिए वर्षों से चले आ रहे हालात को ही अब कानूनी मान्यता दे रहे हैं. सीधे शब्दों में कहें, तो पहले से ही कई लोग हफ्ते में पांच दिन से ज्यादा काम कर रहे थे, अब सिर्फ कानूनी तौर पर मान्यता दे दी गई है. बास्टियान ने डीडब्ल्यू को बताया, "ज्यादा काम करने और ज्यादा कमाने से कई कर्मचारी ऊंचे टैक्स स्लैब और सोशल सिक्यॉरिटी ब्रैकेट में आ सकते हैं. इसका मतलब है कि उन्हें ज्यादा टैक्स देना होगा. इस तरह से ज्यादा घंटे काम करने का फायदा कम हो सकता है क्योंकि कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स में चला जाएगा."

ग्रीस की राजधानी एथेंस से करीब 30 किलोमीटर दूर जहाज बनाने के एक कारखाने में वेल्डिंग करता एक श्रमिक.
मई में जारी यूरोपीय आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल देश की जीडीपी में 2.2 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है. अगले साल यह बढ़कर 2.3 फीसदी के स्तर तक पहुंच सकता है, जो यूरोजोन के औसत से अधिक है.तस्वीर: Michalis Karagiannis/Eurokinissi/ANE/picture alliance

काम के ज्यादा घंटे की जगह संरचनात्मक बदलाव

नए नियम के तहत, नौकरी देने वालों को काफी अधिकार दिए गए हैं. ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या नौकरी की तलाश करने वाले लोग इस पेशकश से इनकार कर सकते हैं और हफ्ते में पांच दिन ही काम करने की मांग कर सकते हैं? इस मुद्दे पर बास्टियान ने कहा, "इस दौरान नियोक्ता और कर्मचारी के बीच बातचीत हो सकती है, जहां नियोक्ता ज्यादा काम करने की मांग कर सकता है और कर्मचारी इससे इनकार कर सकता है."

ग्रीस में, खासकर छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों में काम के घंटों को लेकर होने वाले कई फैसलों में ट्रेड यूनियन शामिल नहीं होते हैं. बास्टियान कहते हैं, "ऐसे में नौकरी बचाए रखना, नियोक्ता की मांग पर ज्यादा घंटे काम करने से इनकार करने की तुलना में कहीं ज्यादा अहम हो सकता है. इसका मतलब है कि ज्यादा घंटे काम करने से इनकार करने पर नौकरी जाने का खतरा ज्यादा है, इसलिए लोग इनकार नहीं कर पाते."

पॉलिटिस एंड पार्टनर्स फर्म के एमानुएल सावोआदाकिस का कहना है कि कई कंपनियां छह दिन काम करने के मॉडल को अपनाने में दिलचस्पी दिखा रही हैं. इसके पीछे उनकी मंशा है कि वह अपना काम बेहतर तरीके से कर सकें और ग्राहकों को बेहतर सेवा दे सकें. खासकर ऐसे कारोबार जो कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं और जहां सीजन के हिसाब से काम बढ़ जाता है. मिसाल के तौर पर दुकानें, कारखाने और अस्पताल. वहां छह दिन काम करने के मॉडल को लागू किया जा सकता है.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह समाधान सिर्फ कुछ समय के लिए कारगर साबित हो सकता है. बास्टियान कहते हैं कि छह दिन काम वाले मॉडल से ग्रीस की व्यापक आर्थिक समस्याओं का हल नहीं निकाला जा सकता. लंबे समय तक काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारियों की कमी पूरी नहीं होगी और दूसरे देशों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए.

वह आगे कहते हैं, "ग्रीस को संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान देना चाहिए. इनमें कर्मचारियों को करियर में आगे बढ़ने के लिए मौके देना, समान अवसर प्रदान करना और कुशलता के हिसाब से बेहतर वेतन जैसी चीजें शामिल होनी चाहिए. यूरोप के ज्यादातर देशों की बराबरी करने के लिए ग्रीस को अभी एक लंबा सफर तय करना है. ज्यादा काम के घंटे और शनिवार को काम कराना, वास्तव में विपरीत दिशा में चलने जैसा है."

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