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भारत-पाकिस्तान की आपसी कड़वाहट को दूर कर पाएगा बॉलीवुड?

मोहम्मद सलमान, कराची
२९ दिसम्बर २०२३

भारत और पाकिस्तान के बीच की आपसी कड़वाहट जगजाहिर है. फिलहाल पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्में दिखाने पर रोक लगा दी गई है, लेकिन फिल्म वितरक इस रोक को हटाने की मांग कर रहे हैं.

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भारतीय शहर कोलकाता में शाहरुख खान के प्रशंसकों की मस्ती
भारतीय शहर कोलकाता में शाहरुख खान के प्रशंसकों की मस्तीतस्वीर: Sankhadeep Banerjee/NurPhoto/picture alliance

पाकिस्तान में किसी भी फिल्म को दिखाने के लिए प्रांतीय बोर्ड से अनुमति लेनी होती है. ये बोर्ड देश के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का उल्लंघन मानी जाने वाली किसी भी चीज को सेंसर करते हैं. मुंबई में स्थित भारत के हिंदी फिल्म उद्योग ‘बॉलीवुड' की किसी फिल्म को 2019 के बाद से पाकिस्तान के सिनेमाघरों में दिखाने की अनुमति नहीं दी गई है. 

जब जनवरी 2023 में बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शाहरुख खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘पठान' को सार्वजनिक तौर पर कराची के पॉश इलाके डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी (डीएचए) में दिखाया गया, तो पाकिस्तान के दक्षिणी प्रांत सिंध के सेंसर बोर्ड ने स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी. कराची भी इसी प्रांत का हिस्सा है.

पाकिस्तान और पड़ोसी भारत के बीच संबंध शायद ही कभी सौहार्दपूर्ण रहे हैं, खासकर विवादित कश्मीर क्षेत्र के कारण. इसके बावजूद, कई पाकिस्तानी सिनेप्रेमी बॉलीवुड और उसके सितारों के जबरदस्त प्रशंसक हैं. पाकिस्तान में शाहरुख खान के साथ-साथ आमिर खान, दीपिका पादुकोण और रणवीर कपूर जैसे अन्य बॉलीवुड सितारों के प्रशंसकों की संख्या भी अच्छी-खासी है. 

पिछले कुछ सालों में दक्षिण भारत में बनने वाली फिल्में या दक्षिण भारत के निर्देशकों की बनाई गई ऐक्शन और नई टेक्नोलॉजी से जुड़ी कहानियों वाली फिल्में पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय हुई हैं.

वहीं दूसरी ओर, हिंदी में होने की वजह से बॉलीवुड की फिल्में दोनों देशों के लोगों को पसंद आती हैं. हिंदी भाषा भी उर्दू से काफी मिलती-जुलती है. उर्दू पाकिस्तान में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. इसके अलावा, बॉलीवुड में काम करने वाले कुछ कलाकार और तकनीशियन मुस्लिम समाज से आते हैं.

बॉलीवुड: मार्केटिंग या कॉन्टेंट?

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद, दोनों देशों की संस्कृति में गहरी समानता है, खासकर जब फिल्मों और संगीत की बात आती है. पाकिस्तानी अभिनेता मोहिब मिर्जा ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैंने एक दिन टीवी होस्ट को इस विषय पर बात करते हुए सुना. उनका मानना था कि 1947 से पहले, अविभाजित भारत में हम इसी तरह की फिल्में बना रहे थे.”

मिर्जा ने कहा, "हमारे नायक भी घाटियों और पेड़ों के आसपास गाना गाते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इसके प्रभाव पर बात करना एक अलग विषय है. बॉलीवुड खुद ओरिजनल नहीं है. यह कई अन्य देशों से काफी प्रभावित है. हमारे दर्शक भारतीय फिल्में इसलिए देखते हैं क्योंकि वे अपनी चीजों की 'मार्केटिंग' करते हैं. चाहे कुछ भी हो, हमें खबर मिल जाएगी कि भारत में क्या हो रहा है.”

हालांकि, पत्रकार गाजी सलाहुद्दीन इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "बॉलीवुड का पाकिस्तान में काफी प्रभाव है क्योंकि इसकी फिल्में अपनी गुणवत्ता और कॉन्टेंट की वजह से पूरे देश में देखी जाती हैं. हमारी फिल्मों में गुणवत्ता और कॉन्टेंट की कमी है.”

वह आगे कहते हैं, "भारतीय फिल्मों में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. उनके पास बड़ा अंतरराष्ट्रीय बाजार है. इस वजह से वे नए-नए प्रयोग कर सकते हैं और अपनी फिल्मों पर काफी पैसा खर्च कर सकते हैं. भारत की आर्थिक सफलता भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती है.”

फिल्म निर्माता शोएब सुल्तान के निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘गुंजल' 15 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई. वह कहते हैं, "भारतीय और पाकिस्तानी फिल्मों, दोनों में गाने और डांस होते हैं. यह एक विशाल उद्योग है. हमारे दर्शक इसे मनोरंजन के तौर पर देखते हैं और वे इससे भावनात्मक रूप से भी जुड़ते हैं.”

पाकिस्तान का फिल्म उद्योग बेहतर स्थिति में नहीं है. इस वजह से देश में फिल्म वितरक और सिनेमा मालिक अपना कारोबार चलाने के लिए हॉलीवुड की फिल्मों पर निर्भर हैं.

बॉक्स ऑफिस पर पाकिस्तानी फिल्मों की कमी

फिल्म वितरक और प्रदर्शक नदीम मांडवीवाला ने कहा, "जब तक हम पाकिस्तान में फिल्में बनाना शुरू नहीं करेंगे, लोग बॉलीवुड की फिल्में देखते रहेंगे. ये दुनिया के एकमात्र दो ऐसे देश हैं जो एक ही तरह से फिल्में बनाते हैं. इनकी फिल्मों में गीत, संगीत, डांस, वेशभूषा, भाषा वगैरह एक जैसी होती हैं. वे इसे हिंदी भाषा कहते हैं और हम उर्दू. वे हिंदी में 80 फीसदी उर्दू के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.”

सलाहुद्दीन कहते हैं, "दोनों देशों में शांति चाहने वाले लोग इस तनाव को कम करने की कोशिश करते रहते हैं. भारतीय और पाकिस्तानी काफी यात्रा भी करते हैं और बड़ी संख्या में प्रवासी के तौर पर विदेशों में भी रहते हैं. इस वजह से वे दक्षिण एशिया के बाहर एक-दूसरे से मिलते हैं.”

मांडवीवाला ने पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "हमारे लोग फिल्मों की वजह से भारत के बारे में बहुत कुछ जानते हैं. पिछले 40 वर्षों से पाकिस्तान की जनता भारतीय फिल्में देख रही है.”

हालांकि, जब से पाकिस्तान ने 2019 में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया है, देश में प्रदर्शकों और वितरकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. मांडवीवाला ने कहा, "हम फिल्म वितरक और प्रदर्शक के तौर पर अपनी सरकार से कहते हैं कि वे या तो भारतीय फिल्में दिखाने की अनुमति दें या साल में कम से कम 100 से 150 फिल्में बनाएं. इससे पाकिस्तानी फिल्म उद्योग को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिलेगी.”

जैसे-जैसे दोनों देशों की सरकारें आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए आगे बढ़ेंगी, उनके लोग अपनी सांस्कृतिक समानताओं पर और ध्यान देने लगेंगे.