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समाज

भारत में मानवाधिकारों का मुद्दा उठाएंगे ब्लिंकेन

२६ जुलाई २०२१

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन मंगलवार से भारत के अपने पहले आधिकारिक दौरे पर होंगे. उन्होंने कहा है कि चीन के अलावा भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे.

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तस्वीर: Manuel Balce Ceneta/REUTERS

एंटनी ब्लिंकेन मंगलवार को भारत पहुंच रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की उनकी बतौर विदेश मंत्री यह पहली यात्रा होगी. बुधवार को वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मिलेंगे

इसी यात्रा के दौरान ब्लिंकेन कुवैत भी जाने वाले हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री की यह यात्रा अहम मानी जा रही है क्योंकि बाइडेन सरकार ने चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ भारत उसका बड़ा सहयोगी हो सकता है. इसीलिए ब्लिंकेन की यात्रा के फौरन बाद उनकी डिप्टी यानी उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन चीन जाएंगी और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन दक्षिणपूर्व एशिया में होंगे.

ब्लिंकेन का एजेंडा

ब्लिंकेन के एजेंडे में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति के अलावा साझा सुरक्षा हित, लोकतांत्रिक मूल्य और जलवायु संकट भी होगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह कोरोना वायरस महामारी पर भी चर्चा करने वाले हैं.

जिन मुद्दों पर सीधी बात हो सकती है उनमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत के समूह क्वॉड की बैठक भी शामिल है. इस संगठन को चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए बनाया गया माना जाता है. संभव है कि यह बैठक सितंबर में हो जब संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक होगी. ये चारों देश मिलकर क्षेत्र में ऐसा आधारभूत ढांचा तैयार करना चाहते हैं जिससे चीन का मुकाबला किया जा सके.

अमेरिका ने मार्च में क्वॉड की एक वर्चुअल बैठक आयोजित की थी जहां इस बात पर सहमति बनी थी कि भारतीय दवा निर्माता कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड 2022 तक कोविड वैक्सीन की एक अरब खुराकें तैयार करेगी जिन्हें मुख्यत दक्षिणपूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों को दिया जेगा. इसका मकसद चीन की वैक्सीन डिप्लोमेसी को जवाब देना होगा.

वैक्सीन कूटनीति

वैसे, फिलहाल भारत वैक्सीन को लेकर अपनी ही जरूरतों को पूरी करने में संघर्ष कर रहा है. घातक दूसरी लहर से गुजरने के बाद वहां टीकाकरण में तेजी लाने की जरूरत है लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. अमेरिका ने भारत को वैक्सीन बनाने के लिए कच्चा माल दिया है. भारत अमेरिका से अगस्त तक 30-40 लाख खुराकें मिलने की भी उम्मीद कर रहा है.

तस्वीरों मेंः चीन के विवाद

ब्लिंकेन ने अमेरिकी समाचार चैनल एमएसएनबीसी को पिछले हफ्ते बताया, "कोविड-19 से लड़ाई में भारत एक बहुत अहम देश है. समझा जा सकता है कि फिलहाल वे अपनी अंदरूनी जरूरतों पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन जब उत्पादन का इंजन पूरी रफ्तार से दौड़ेगा तो वे बाकी दुनिया को भी सप्लाई कर सकेंगे. उससे बहुत फर्क पड़ेगा.”

मानवाधिकारों का मुद्दा

अमेरिकी विदेश मंत्री अपनी यात्रा पर भारत में मानवाधिकारो का मुद्दा भी उठाएंगे. विदेश मंत्रालय में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के प्रभारी कार्यवाहक सह सचिव डीन थॉम्पसन से पत्रकारों ने पूछा कि मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी ने नागरिकता कानून लागू किया है जिसे आलोचक मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला बताते हैं, तो ऐसे में मानवाधिकारों का मुद्दा कितना जरूरी होगा. इसके जवाब में थॉम्पसन ने कहा, "इसे उठाया जाएगा.”

उन्होंने कहा, "हम यह बातचीत जारी रखेंगे क्योंकि हम इस बात में पूरा यकीन रखते हैं कि मतभेदों से ज्याद हमारे मूल्यों समानताएं हैं.”

देखिएः 

पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत

वॉशिंगटन सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक एंड इंटरनैशनल स्टडीज में भारतीय मामलों के विशेषज्ञ रिक रॉसो कहते हैं कि अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंताओं पर भी बातचीत हो सकती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स से उन्होंने कहा, "वैक्सीन को लेकर सहयोग उतना आसान नहीं है जितना कूटनीतिज्ञों ने सोचा था. भारत और अमेरिका दोनों की राजनीतिक मजबूरी घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देना है. लेकिन आज अमेरिका के पास वैक्सीन का भंडार है जबकि अमेरिका को वैक्सीन की जरूरत. और दूसरे देश भी इसका फायदा उठाना चाहेंगे.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

तस्वीरों मेंः मीडिया पर हमलावर नेता

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