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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

ब्लैक होल ने सितारे को थोड़ा-थोड़ा करके खाया

१२ सितम्बर २०२३

वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एक अनोखी घटना देखी है. एक ब्लैक होल अपने चक्कर लगाते सितारे को टुकड़ों में निगल रहा है. ऐसा लग रहा है कि वह निवाले बनाकर सितारे को खा रहा है.

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आकाशगंगाओं के केंद्र में ब्लैकहोल मिलते हैं
आकाशगंगाओं के केंद्र में ब्लैकहोल मिलते हैंतस्वीर: Andrew C. Fabian/Remco C. E. van den Bosch/ESA/NASA

ब्रह्मांड के सबसे बड़े अनसुलझे रहस्यों में से एक ब्लैक होल अपनी कुछ भी निगल जाने की असीमित क्षमता के लिए जाने जाते हैं. अक्सर वे उन सितारों को निगल जाते हैं जो घूमते हुए उनके करीब पहुंच जाते हैं. अपने अतुलनीय गुरुत्वाकर्षण बल के खिंचाव से वे इन अभागे सितारों को निगल जाते हैं.

लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने एक अलग ही नजारा देखा. उन्होंने देखा कि एक ब्लैक होल ने सूरज जैसे विशाल सितारे को निगला नहीं बल्कि निवाला दर निवाला इस तरह खाया जैसे वह कोई मजेदार स्नैक खा रहा हो.

वैज्ञानिकों ने यह अद्भुत और हैरतअंगेज दृश्य हमारी पड़ोसी आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद एक ब्लैक होल में देखा. इस ब्लैक होल ने हमारे सूर्य के बराबर आकार के सितारे को धीरे-धीरे निगला. हर निवाला लगभग हमारी पृथ्वी जितना बड़ा था. जब-जब सितारा उस अंडाकार ब्लैक होल के करीब से गुजरता, ब्लैक होल उसका एक टुकड़ा गटक जाता.

ब्लैक होल अत्यधिक घनत्व वाले अंधकारमय आकाशीय पिंड होते हैं. उनका गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत होता है कि प्रकाश तक उनमें से पार नहीं हो पाता, इसलिए उनके भीतर क्या है, इसका कोई अंदाजा विज्ञान को नहीं है.

अद्भुत घटना

वैज्ञानिकों ने हमारे सौर मंडल से करीब 52 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एक तारे को ब्लैक होल द्वारा निगले जाने की यह अद्भुत घटना देखी है. एक प्रकाश वर्ष उतनी दूरी होती है, जितना प्रकाश एक साल में तय करता है. यह लगभग नौ लाख करोड़ किलोमीटर बनती है. यह तारा एक सर्पिलाकार आकाशगंगा सैजिटेरियस ए के केंद्रीय हिस्से में था.

उसी आकाशगंगा में मौजूद यह ब्लैक होल बहुत ज्यादा बड़ा नहीं था. आमतौर पर जो ब्लैक होल देखे गये हैं, वे इससे कहीं ज्यादा बड़े होते हैं. इस ब्लैक होल का भार हमारे सूर्य से कुछ लाख गुना ही बड़ा था. कई आकाशगंगाओं में इससे करोड़ों गुना बड़े ब्लैक होल भी खोजे गये हैं. अधिकतर ब्लैक होल आकाशगंगाओं के केंद्रों में पाये जाते हैं और उनके आसपास का वातावरण ब्रह्मांड में सबसे हिंसक होता है.

ताजा घटना नासा की नील गेहरल्स ऑब्जर्वेटरी द्वारा भेजे गये आंकड़ों के जरिये पता चली. उन आंकड़ों के अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि सितारा इस ब्लैक होल के चक्कर लगा रहा था. उसका एक चक्कर 20 से 30 दिन का था. उस परिक्रमा के दौरान एक जगह पर सितारा इस ब्लैक होल के बहुत करीब से गुजरता था.

सालों से सदियों लंबी प्रक्रिया

हर बार जब सितारा उस ब्लैक होल के पास से गुजरता, उसका कुछ हिस्सा ब्लैक होल में समा जाता. यह दूरी इतनी थी कि ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के कारण सितारे का कुछ हिस्सा ही टूटता और बाकी आगे बढ़ जाता. लेकिन सितारा इतना पास भी नहीं था कि ब्लैक होल सितारे को पूरा का पूरा निगल पाता. वैज्ञानिक इस घटना को ‘रिपीटिंग पार्शल टाइडल डिसरप्शन' नाम देते हैं.

जब सितारे का टुकड़ा ब्लैक होल में गिरता तो उसका तापमान 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता. इस अत्यधिक ऊर्जा के कारण ब्लैक होल से बहुत बड़ी मात्रा में एक्स रे निकलतीं जिन्हें नील गेहरल्स ऑब्जर्वेटरी ने दर्ज किया.

इन आंकड़ों के आधार पर नासा वैज्ञानिकों ने अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है जो नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है. इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता इंग्लैंड की लेस्टर यूनिवर्सिटी में खगोलविज्ञानी रॉब आइल्स-फेरिस हैं.

खुलेंगे करोड़ों साल पुराने ब्लैकहोल के रहस्य

वह बताते हैं, "अब संभवतया होगा ये सितारे की कक्षा धीरे धीरे घटती जाएगी और वह ब्लैक होल के और पास सरकता जाएगा. वह धीरे धीरे पास जाएगा और एक वक्त इतना करीब पहुंच जाएगा कि ब्लैक होल उसे पूरा निगल जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में कई साल से लेकर कई दशक और सदी भी लग सकती हैं.”

ऐसा वैज्ञानिकों ने पहली बार देखा है जबकि किसी सितारे को ब्लैक होल ने धीरे-धीरे निगला हो. आइल्स-फेरिस कहते हैं, "टाइडल डिसरप्शन के बारे में बहुत से सवाल अनसुलझे हैं. मसलन, सितारे की कक्षा असल में किस तरह प्रभावित होती है. ताजा घटना ने दिखाया है कि नयी खोजें किसी भी वक्त सामने आ सकती हैं.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

सुधार: इस लेख में 21 फरवरी को सुधार कर लिखा गया है कि एक प्रकाश वर्ष की दूरी लगभग नौ लाख करोड़ किलोमीटर बनती है ना कि '950 करोड़ किलोमीटर' जैसा कि पहले लिखा गया था.