1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हेडफोन और क्लब एक अरब युवाओं को बहरा कर सकते हैं

१६ नवम्बर २०२२

दुनिया भर के एक अरब से ज्यादा युवाओं पर बहरे होने का खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद इसके लिए हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल और ऊंची आवाज वाले संगीत समारोहों को जिम्मेदार माना है.

https://p.dw.com/p/4Jb5N
Russland Playstore NashStore Symbolbild
तस्वीर: Mikhail Metzel/TASS/dpa/picture alliance

विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में हुई इस रिसर्च के बाद युवाओं से अपने सुनने की आदत के प्रति ज्यादा सावधान रहने को कहा गया है. इसके साथ ही सरकारों और हेडफोन या स्पीकर जैसी चीजें बनाने वाली कंपनियों से भी भविष्य में सुनने की शक्ति को बचाये रखने पर काम करने की मांग की गई है.

यह भी पढ़ेंः खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है ध्वनि प्रदूषण

बहरेपन के खतरे में 1.35 अरब युवा

बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में छपे रिसर्च रिपोर्ट बीते दो दशकों में अंग्रेजी, स्पैनिश, फ्रेंच और रूसी भाषा में छपी 33 अध्ययनों का विश्लेषण करने का बाद तैयार की गई है. इन अध्ययनों में 12 से 34 साल की उम्र के 19,000 प्रतिभागी शामिल हुए. रिसर्च में पता चला कि 24 फीसदी युवा खतरनाक स्तर की ध्वनि के संपर्क में हैं. इसका कारण है स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के साथ हेडफोन के इस्तेमाल में खतरनाक स्तर की ऊंची आवाज में संगीत या कुछ और सुनना. इनके अलावा 48 फीसदी युवा जो कंसर्ट या फिर नाइटक्लबों में मनोरंजन के लिए जाते हैं वो भी वहां की ऊंची आवाज वाली संगीत या शोर के कारण खतरे की जद में हैं. इन दोनों आंकड़ों को मिला दिया जाये तो दुनिया भर में 670,000 से 1.35 अरब युवा आबादी बहरेपन का खतरा झेल रही है.

एक अरब से ज्यादा युवाओं के बहरे होने का डर
ऊंची आवाज में संगीत सुनना युवाओं को बहरा कर रहा हैतस्वीर: Colourbox

तेज आवाज का दीर्घकालीन असर

रिसर्च रिपोर्ट की शीर्ष लेखिका और साउथ कैरोलाइना की मेडकिल यूनिवर्सिटी में ऑडियोलॉजिस्ट लॉरेन डिलार्ड का कहना है कि प्रभावित लोगों का दायरा इतना बड़ा इसलिए है क्योंकि बहुत से युवा संभवतः पहले से ही इन दोनों खतरों की चपेट में हैं. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में डिलार्ड ने कहा हेडफोन के कारण बहरेपन के जोखिम से लोगों को बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि लोग इसे कम आवाज पर और कम देर के लिए सुने. डिलार्ड ने माना, "दुर्भाग्य से लोग बहुत तेज आवाज में संगीत सुनना पसंद करते हैं."

यह भी पढ़ेंः खेलते बच्चों का शोर भी ध्वनि प्रदूषण लगने लगा है जापान के लोगों को

डिलार्ड की सलाह है कि हेडफोन इस्तेमाल कलने वालों को स्मार्टफोन में सेटिंग्स या ऐप्स का इस्तेमाल कर आवाज के स्तर पर नजर रखनी चाहिए. तेज आवाज वाले वातारण में शोर से बचाने वाले हेडफोन मदद कर सकते हैं. ये होडफोन बैकग्राउंड से आने वाली आवाज में संगीत की आवाज को दबने से रोकते हैं. उनका यह भी कहना है कि बहुत तेज संगीत वाले कंसर्ट या नाइटक्लबों में लोगों को इयरप्लग का इस्तेमाल करना चाहिए. डिलार्ड ने कहा, "शायद इसमें मजा आता हो लेकिन स्पीकर के सामने बैठना, दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा नहीं है. ये सारी आदतें और संपर्क पूरे जीवन के दौर में आप पर असर डाल सकते हैं और जब आप 67 साल के होंगे तो इनका आप पर बड़ा असर हो सकता है."

एक अरब से ज्यादा युवाओं के बहरे होने का खतरा
नाइटक्लबों और कंसर्ट में भी संगीत बहुत ऊंची आवाज में बजता हैतस्वीर: picture alliance

सरकारों और कंपनियों से मांग

डिलार्ड ने सरकारों से मांग की है कि वह डब्ल्यूएचओ के सुरक्षित रूप से सुनने के बारे में जारी दिशानिर्देशों का पालन कराएं. इसमें संगीत बजने वाली जगहों और संगीत के स्तर पर भी नजर रखी जाये. उन्होंने फोन जैसे उपकरण बनाने वाली कंपनियों से मांग की है कि वो सुनने वालों को आवाज जरूरत से ज्यादा तेज होने पर चेतावनी दें. इसके साथ ही मां बाप बच्चों के उपकरणों को ज्यादा तेज आवाज पर बजाने से रोक सकें ऐसी व्यवस्था की जाये.

इस रिसर्च की सीमा की बात करें तो अलग अलग अध्ययनों में अलग तरीकों का इस्तेमाल हुआ है और कम आय वाले देशों में कोई रिसर्च नहीं हुई है. लंदन के क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में शोर और स्वास्थ्य के विशेषज्ञ  स्टीफन स्टांसफेल्ड का कहना है कि यह दिखाता है, "आबादी के बहरे होने का खतरा गंभीर और काफी बड़ा है." स्टांसफेल्ड इस रिसर्च में शामिल नहीं थे.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया भर में करीब 43 करोड़  यानी कुल आबादी के 5 फीसदी लोगों को सुनने की समस्या है. अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक यह संख्या 70 करोड़ लोगों तक जा सकती है.

एनआर/ओएसजे (एएफपी)