बार-बार वैक्सीन से उठे सिस्टम पर सवाल
२४ जनवरी २०२२बिहार के मधेपुरा जिले के एक रिटायर्ड पोस्टमास्टर ने दावा किया है कि कोरोना का टीका लेने के बाद उनकी पीठ, कमर व घुटने का दर्द ठीक हो गया और वह सीधा होकर चलने लगे. वहीं झारखंड के बोकारो जिले के एक शख्स का दावा है कि वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर के शिथिल पड़े अंग काम करने लगे, उसकी आवाज वापस आ गई और वह फिर से बोलने लगा.
पहला मामला बिहार के मधेपुरा जिले के पुरैनी थाना क्षेत्र अंतर्गत औराय गांव का है. यहां रहने वाले 84 वर्षीय रिटायर्ड पोस्टमास्टर ब्रह्मदेव मंडल ने 13 फरवरी 2021 से 4 जनवरी 2022 के बीच 12 बार कोरोना की वैक्सीन ली. 12वीं बार टीका लेने के बाद किसी ने उन्हें पहचान लिया. इसके बाद मामले का पर्दाफाश हुआ.
किस वजह से उन्होंने इतनी बार टीका लिया, इस सवाल के जवाब में ब्रह्मदेव मंडल कहते हैं, ‘‘कोरोना का टीका लेने के बाद कई बीमारियों में आराम मिला है. कमर, पीठ व घुटनों का दर्द कम हो गया, भूख भी बढ़ गई. भरपेट भोजन कर पा रहा हूं. पहले सीधे खड़ा होना और चलना मुश्किल था, अब अच्छी तरह चल लेता हूं. पहली बार वैक्सीन लेने से दर्द कम हुआ तो फिर इसे लगातार लिया. अब काफी स्वस्थ महसूस कर रहा हूं. मेरा ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ गया है. मैं अब स्वस्थ रहना चाहता हूं.''
दर्ज हुआ केस
ब्रह्मदेव मंडल का मामला पकड़ में आते ही पुरैनी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कृष्ण प्रसाद ने स्वास्थ्यकर्मी से झूठ बोलकर कोरोना वैक्सीन लेने के आरोप में मंडल के खिलाफ पुरैनी थाने में आइपीसी की धारा 419, 420 तथा 188 के तहत एफआइआर दर्ज करा दी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने उनके घर पर दबिश दी. गिरफ्तारी के भय से मंडल फरार हो गए. यह मामला जैसे ही मीडिया में उछला, वैसे ही जांच शुरू हो गई.
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार, ‘‘यह एक बड़ा अपराध है. ऐसी घटना करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.'' हालांकि ब्रह्मदेव मंडल को अंतत: थाने से ही जमानत दे दी गई. वह कहते हैं, ‘‘अब मैं बूस्टर डोज लेकर इसका असर देखूंगा और अगर यह प्रभावकारी हुआ तब मैं 12 क्या 24 डोज लूंगा.''
वहीं उनकी पत्नी निर्मला देवी कहती हैं, ‘‘ स्थानीय डॉक्टर भरत लाल से घुटने के दर्द के लिए दवा ले रहे थे. 13 फरवरी को जब कोरोना का पहला टीका उन्होंने लिया तो दर्द में आराम मिला. दर्द के कारण वे पहले झुक कर चलते थे. टीका लेने के बाद सीधे होकर चलने लगे. इसी वजह से वे और डोज लेते गए. अपने स्वास्थ्य के लिए सोचना अपराध है क्या?''
वहीं, अधिवक्ता राजेश कुमार कहते हैं, ‘‘कानूनी नजरिए से यह अपराध है. दावे के अनुसार ब्रह्मदेव मंडल ने जो किया, वह अपने स्वास्थ्य कारणों से किया. अतएव इसका मानवीय पहलू भी देखा जाना चाहिए. अदालत भी इसका ख्याल रखती है.''
आवाज लौटने का दावा
ऐसा ही एक और मामला झारखंड प्रांत के बोकारो जिले में पेटरवार प्रखंड के उतासारा पंचायत अंतर्गत सलगाडीह गांव में भी सामने आया है. पेशे से दिहाड़ी मजदूर रहे दुलारचंद एक सड़क दुर्घटना में 2015 में बुरी तरह जख्मी हो गए थे. कुछ दिनों के इलाज के बाद वे स्वस्थ हो गए, किंतु 2020 में अचानक उनके हाथ-पैर सुन्न पड़ गए और चलने-फिरने के साथ-साथ उन्हें बोलने में भी परेशानी होने लगी. तब से उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ रहा था. बीते 6 जनवरी को उन्होंने कोरोना का टीका लिया. वह कहते हैं, ‘‘दो दिन बाद ऐसा लगा जैसे वह बोल सकते हैं. कोशिश की तो बोलने लगे. धीरे-धीरे आवाज साफ होने लगी. फिर अपने से उठने भी लगे. हालांकि चलने में अभी परेशानी है.''
पंचायत की मुखिया सुमित्रा देवी ने भी इसे वैक्सीन का असर बताया है, वहीं सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘रीढ़ की समस्या के कारण कुछ साल से दुलारचंद बिस्तर पर थे. अब वे स्वस्थ होने का दावा कर रहे हैं. इस मामले की जांच के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है. रिपोर्ट मिलने पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को इस प्रकरण की जानकारी दी जाएगी.''
पेटरवार के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एक्का के नेतृत्व में चिकित्सकों की एक टीम ने विगत रविवार को दुलारचंद की जांच के बाद कहा कि फिलहाल उनके दावे पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. वैक्सीन के प्रभाव के अध्ययन के बाद ही इस मामले में कुछ स्पष्ट हो सकेगा. अभी वे टीबी और न्यूरोलॉजिकल बीमारी से ग्रसित हैं.
एक आधार कार्ड पर लिए आठ डोज
ब्रह्मदेव मंडल ने अपनी डायरी में यह लिखकर रखा है कि उन्होंने कब और कहां टीके की कौन सी डोज ली. वैक्सीन की डोज उन्होंने विभिन्न वैक्सीनेशन सेंटर या फिर टीकाकरण शिविरों में ली. कोरोना का पहला टीका उन्होंने 13 फरवरी 2021 को तथा दूसरा 13 मार्च को पुरैनी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में लिया. पुरैनी में ही लगाए गए टीकाकरण शिविर में 19 मई को तीसरा व यहीं पर 16 जून को चौथा टीका लिया. इसके बाद 24 जुलाई को पांचवीं, 31 अगस्त को छठी, 11 सितंबर को सातवीं, 22 सितंबर को आठवीं तथा 24 सितंबर को नौवीं डोज ली.
इसके बाद उन्होंने अपना मोबाइल फोन नंबर बदल कर पत्नी के मोबाइल नंबर तथा अपने मतदाता पहचान पत्र पर समीपवर्ती खगडिय़ा जिले के परबत्ता में स्वास्थ्य केंद्र पर 29 दिसंबर को 10वां तथा भागलपुर के कहलगांव स्वास्थ्य केंद्र पर 30 दिसंबर को 11वां टीका लिया.
ब्रह्मदेव बताते हैं, ‘‘एक ही आधार कार्ड पर वैक्सीन की आठ डोज ली. 29 व 30 दिसंबर को 24 घंटे के अंदर दो बार टीका लिया.'' वह चाहते हैं कि उन्हें वैक्सीन की और डोज दी जाए. समाजसेवी शेखर सुधाकर कहते हैं, ‘‘टीका लेने के बाद दर्द का दूर हो जाना चमत्कार से कम नहीं है. यह पता किया जाना चाहिए कि उनके शरीर में इससे क्या बदलाव आया. इस पर चिकित्सा जगत को शोध करने की जरूरत है. कोई दूसरा देश होता तो वहां इस पर काम अब तक शुरू हो जाता.''
सवालों के घेरे में कोविन पोर्टल
राजधानी पटना की सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह द्वारा भी कोरोनारोधी वैक्सीन कोविशील्ड की पांच डोज लेने का मामला उजागर हुआ है. हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने अपने आधार नंबर से वैक्सीन की दो निर्धारित तथा एक प्रीकॉशनरी डोज ही ली है.
अन्य दो डोज के संबंध में उनके अनुसार किसी ने फर्जीवाड़ा कर ऐसा किया है. उनके स्तर से आधार कार्ड के अलावा किसी अन्य आईडी का इस्तेमाल नहीं किया गया है. अन्य दो डोज उनके पैन कार्ड पर लिए गए हैं. उनका कहना है कि जिस स्तर से भी उनकी आईडी का दुरुपयोग किया गया है, उसकी जांच की जाएगी. अब सवाल यह है कि सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह के नाम पर दूसरा रजिस्ट्रेशन कैसे किया गया.
भारत सरकार ने वैक्सीनेशन में पारदर्शिता के लिए कोविन पोर्टल बनाया, जिसमें आम व खास के लिए एक ही नियम है. गड़बड़ी को रोकने के लिए ही वैक्सीनेशन के पहले रजिस्ट्रेशन का नियम भी बनाया गया. एक ही व्यक्ति द्वारा वैक्सीन की दो से अधिक डोज लिया जाना कोविन पोर्टल को सवालों के घेरे में खड़े करता है. भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एक व्यक्ति वैक्सीनेशन के लिए एक ही बार रजिस्ट्रेशन करा सकता है. अलग-अलग आईडी से रजिस्ट्रेशन करवा कर वैक्सीन लेना गाइडलाइन का उल्लंघन है.
काम का बोझ और गलतियों की गुंजाइश
यहां यह प्रश्न भी लाजिमी है कि जब टीकाकरण से जुड़े सभी रिकॉर्ड रखे जाते हैं, वैक्सीन देने के पहले आधार नंबर व फोन नंबर लेकर उसकी सॉफ्टवेयर में इंट्री की जाती है तो ऐसी स्थिति में एक वृद्ध कैसे बार-बार टीका लेता रहा और वह पकड़ा नहीं जा सका.
ब्रह्मदेव मंडल कहते हैं, ‘‘कोरोना वैक्सीन से मुझे फायदा हुआ है. इसलिए ही बार-बार वैक्सीन ली. यह तो स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है कि बिना जांच किए मुझे 12 बार वैक्सीन दे दी. लापरवाही को छिपाने के लिए मेरे खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई. मेरा दोष सिर्फ इतना है कि मैंने हेल्थ वर्कर से हरेक बार यह झूठ कहा कि मैंने इसके पहले टीका नहीं लिया है.''
वहीं नाम नहीं प्रकाशित करने पर एक महिला स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि दरअसल छोटे केंद्रों पर व ऑफलाइन कैंपों में वैक्सीन देने के पहले फोन व आधार नंबर पूछकर एक कागज पर लिख दिया जाता है और काम खत्म होने के बाद उसकी कंप्यूटर में इंट्री की जाती है. यहां गड़बड़ी की पूरी गुंजाइश है.
मधेपुरा के राजद विधायक प्रो. चंद्रशेखर कहते हैं, ‘‘12 बार वैक्सीन लेना उस व्यक्ति के अलावा कोरोना टीकाकरण को लेकर बनाई गई व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है. जब वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को आधार कार्ड से जोड़ा गया है तो फिर उसके बार-बार वैक्सीन लेने से स्वास्थ्य विभाग कैसे अनजान बना रहा. क्या इसके लिए सिर्फ वैक्सीन लेने वाला ही दोषी है?''