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रूस से मंगोलिया भाग कर जा रहे लोग

२९ सितम्बर २०२२

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए रूस के आम नागरिकों को सेना में शामिल करने की घोषणा की थी. उनकी घोषणा से पूरे देश में चिंता की लहर दौड़ गई और एक अंतरराष्ट्रीय पलायन शुरू हो गया.

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रूस से पलायन
रूसी पासपोर्टतस्वीर: Lehtikuva via REUTERS

मंगोलिया की राजधानी उलानबातार में रूस से भाग कर आए हुए एक युवक से जब भागने का कारण पूछा गया तो उसका जवाब था, "मैं लोगों को मारना नहीं चाहता." वो उन हजारों रूसी नागरिकों में से है जो पिछले एक हफ्ते में रूस से भाग कर सीमा पार मंगोलिया आ गए हैं.

पिछले हफ्ते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए रूस के आम नागरिकों को सेना में शामिल करने की घोषणा की थी. उनकी घोषणा से पूरे देश में चिंता की लहर दौड़ गई और एक अंतरराष्ट्रीय पलायन शुरू हो गया. अभी तक हजारों लोग रूस छोड़ चुके हैं.

रूस-जॉर्जिया सीमा
रूस की सीमा पार कर जॉर्जिया जाते लोगतस्वीर: Yelena Afonina/dpa/TASS/picture alliance

हाल के दिनों में मंगोलिया की ही तरह फिनलैंड, नॉर्वे, तुर्किए और जॉर्जिया में भी रूस से आने वालों की संख्या बढ़ गई है. अपना नाम न बताने की शर्त पर मंगोलिया में इस युवक ने एएफपी को बताया, "घर, मातृभूमि, मेरे रिश्तेदार - सब कुछ पीछे छोड़ कर चले आना बहुत मुश्किल था, लेकिन यह लोगों को मारने से बेहतर है."

सीमाएं बंद कर दिए जाने का डर

उसने बताया कि उसने मंगोलिया आना इसलिए चुना क्योंकि उसे ऐसा लगा कि वहां पहुंचना आसान होगा. उसने कहा, "मैंने अपने कागजात और अपने बैग उठाए और भाग आया." उसने यह भी बताया कि रूसी पुरुषों को सेना में भर्ती से बचने के रास्ते तलाशने वाले लोगों की मदद के लिए ऑनलाइन समूहों का एक बड़ा नेटवर्क है.

इस तरह की मदद की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि यात्रा नियम निरंतर बदल रहे हैं. इस बात का भय भी है कि रूस सीमाओं को बंद न कर दे, जिसकी वजह से लोगों ने भागने की प्रक्रिया और तेज कर दी है. हालांकि क्रेमलिन ने सोमवार 26 सितंबर को कहा था कि अभी सीमाओं को बंद करने का कोई फैसला नहीं लिया गया है.

रूस को छोड़कर भागते लोग

मंगोलिया के एक सीमावर्ती शहर अल्तानबुलाग में एक नाके के प्रमुख ने एएफपी को रविवार को बताया था कि पुतिन की घोषणा के बाद से 3,000 से भी ज्यादा रूसी लोग वहां से मंगोलिया में प्रवेश कर चुके हैं. उनमें से अधिकांश पुरुष हैं.

एएफपी के एक रिपोर्टर ने भी उस नाके के पास अप्रवासन काउंटर पर हाथ में रूसी पासपोर्ट लिए लोगों की कतारें देखी थीं. मंगोलिया आने वालों में से कई अब उलानबातार चले गए हैं, जो सबसे करीबी सीमा पार करने के स्थान से 350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर है.

चाह कर भी रूस नहीं छोड़ पाए कई लोग

यूक्रेन युद्ध के बारे में एक और युवा रूसी नागरिक ने कहा, "शुरू में मुझे लगा मुझे मालूम है कि क्या हो रहा है. लेकिन सरकार ने जब अपने कहे के विपरीत कुछ कदम उठाए तब तब मुझे एहसास हुआ कि मैं इनका भरोसा नहीं कर सकता हूं."

उसने बताया कि उसने एक महीना मंगोलिया में रहने की योजना बनाई है. उसने यह भी बताया कि उसके कई दोस्त रूस छोड़ नहीं पाए क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं थे. वो उम्मीद कर रहा है कि पीछे छूट गए उसकेरिश्तेदारों को धमकाया नहीं जाएगा.

रूस से फिनलैंड जाते लोग
रूस से फिनलैंड जाने वाली बस की तरफ जाते लोगतस्वीर: Lehtikuva via REUTERS

रूस में युद्ध का विरोध करने वालों को या तो जेल में डाल दिया गया है या सरकारी मीडिया में उनकी आलोचना की गई है. इस वजह से सार्वजनिक रूप से युद्ध का विरोध करना बेहद खतरनाक हो गया है.

रूस के साथ 3,500 किलोमीटर लंबा  मंगोलिया की सरकार ने आक्रमण पर तटस्थता व्यक्त की है. यह देश एक पूर्व सोवियत सैटेलाइट देश है और हाल के दशकों में इसने रूस के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में किया है.

लेकिन पिछले सप्ताह पूर्व राष्ट्रपति साखिया एल्बेगदोर्ज ने पुतिन से युद्ध को खत्म करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि रूस में रहने वाले मंगोलियाई मूल के लोगों को "तोपों के लिए चारे" के रूप में इस्तेमाल किया गया है और यूक्रेन में हजारों की संख्या में मारा गया है.

सीके/एए (एएफपी)