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समाज

एलजीबीटी लोगों को आकर्षित करता बर्लिन

२३ सितम्बर २०२१

पोलैंड में एलजीबीटी समुदाय के लोगों के खिलाफ घृणा अपराध चरम पर है. दक्षिणपंथी नेताओं के निशाने पर समुदाय के लोग हैं. ऐसे में वे बर्लिन को सुरक्षित ठिकाना मानकर यहां रहना पसंद कर रहे हैं.

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तस्वीर: Jörg Carstensen/dpa/picture alliance

जब रूढ़िवादी नेताओं ने अपने भाषणों में एलजीबीटी समुदायों को निशाना बना शुरू किया तो पश्चिमी पोलैंड के एक समलैंगिक व्यक्ति पिओत्र कालवारिषकी ने फैसला किया अब देश छोड़ने का वक्त आ गया है. साल 2019 के यूरोपीय संसद चुनाव के हफ्तों बाद कालवारिषकी और उनके पार्टनर पॉज्नान शहर छोड़कर बर्लिन आ गए. उन्होंने अपने देश में बढ़ते होमोफोबिया के कारण बर्लिन में बसने का फैसला किया. कई और एलजीबीटी सदस्य हैं जो बर्लिन को अपने शहरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित मानते हैं और यहीं पनाह ले रहे हैं.

बर्लिन को मानते हैं सुरक्षित

टेक कंपनी में काम करने वाले 27 साल के कालवारिषकी कहते हैं, "यह पहली बार था जब नेता खुले तौर पर समलैंगिकता विरोधी बयान दे रहे थे. मुझे पता था कि पोलैंड समलैंगिक मित्र देश नहीं है, फिर भी आप बड़े शहरों में समलैंगिक हो सकते हैं. लेकिन यह बहुत ज्यादा हो रहा था."

आइएलजीए-यूरोप समर्थन समूह के मुताबिक एलजीबीटी+ लोगों के लिए कानूनी सुरक्षा के मामले में पोलैंड 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ में सबसे नीचे है. देश भर में दर्जनों स्थानीय अधिकारियों ने तथाकथित "एलजीबीटी विचारधारा मुक्त" घोषणाएं जारी की हैं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई और यूरोपीय संघ के वित्त पोषण तक पहुंच खोने का खतरा पैदा हुआ.

निशाने पर एलजीबीटी समुदाय

देश की सत्ताधारी कंजर्वेटिव 'लॉ एंड जस्टिस' पार्टी के कार्यकाल में समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों पर दबाव बढ़ता गया और पिछले चुनाव में तो उन पर दबाव और बढ़ गया. गैर-बाइनरी न तो पुरुष और न ही खुद को महिला बताने वाले 26 वर्षीय फिफी कुन्सविक्ज के मुताबिक, "दक्षिणपंथी पार्टी के लिए एलजीबीटी+ लोग एक विचारधारा हैं. हम इंसान नहीं है. हम सामान्य नहीं हैं. उन्होंने हमें जनता का दुश्मन बना दिया है."

कुन्सविक्ज साल 2019 में बर्लिन आने के बाद खुद को ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. सोशल मीडिया कंपनी में काम करने वाले कुन्सविक्ज कहते हैं, "मैं यहां पोलैंड की तुलना में अधिक सुरक्षित हूं."

पिछले साल दिसंबर में बर्लिन आई 31 वर्षीय लेस्बियन मार्ता मालाचोस्का कहती हैं कि वह वॉरसॉ में अपनी गर्लफ्रेंड का हाथ पकड़ने से डरती थीं क्योंकि नेताओं ने देश में एलजीबीटी विरोधी भावना भड़काई.

मालाचोस्का कहती हैं, "जब हमने सरकार को समलैंगिकता विरोधी कहते हुए सुनना शुरू किया तो हमने समाज में हिंसक व्यवहार का अनुभव किया."

मालाचोस्का भी सोशल मीडिया कंपनी के लिए काम करती हैं. वो कहती हैं, "बर्लिन में किसी को कोई परवाह नहीं कि आप किसके साथ रहते हैं, किससे प्यार करते हैं. यहां किसी को कोई मतलब नहीं." 

देखें: बर्लिन की वो नौ खास बातें जो आपके दिमाग में भी नहीं आएंगी

अपराध बढ़े 

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2019 पोलैंड में एलजीबीटी+ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट किए गए घृणा अपराध दोगुने हो गए. हालांकि असली आंकड़े कहीं अधिक हो सकते हैं क्योंकि लोग रिपोर्ट करने से डरते हैं.

यूरोपीय संघ के 2020 के एक सर्वे में पाया गया कि पोलिश एलजीबीटी+ लोगों में से केवल 16 प्रतिशत ने अपने खिलाफ अपराध की रिपोर्ट करने पुलिस के पास गए. पोलैंड में मानवाधिकार कार्यकर्ता लिडका मकोव्स्का कहती हैं, "चार साल पहले इन मामलों को पुलिस के पास ले जाना आसान था, लेकिन अब एलजीबीटी+ लोग पुलिस को रिपोर्ट करने से डरते हैं."

बर्लिन में रहने वाले कई एलजीबीटी+ समुदाय के लोगों का कहना है कि शहर का मुख्य आकर्षण लिंग और यौन अल्पसंख्यकों के प्रति इसकी स्वीकार्य संस्कृति है. हालांकि शहर में पिछले साल समुदाय के खिलाफ घृणा अपराधों में 36 फीसदी की उछाल दर्ज की गई है.

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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