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समाजबांग्लादेश

बांग्लादेश को झटका देता बिजली संकट

२४ अगस्त २०२२

क्या बढ़ती महंगाई बांग्लादेश की हालत श्रीलंका जैसी कर सकती है? बांग्लादेश भयानक बिजली संकट से गुजर रहा है. स्कूल और सरकारी दफ्तरों के कामकाज में कटौती की जा रही है.

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बांग्लादेश में बिजली संकट
तस्वीर: S.Hossain/DW

अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे हुए तेल के कारण बांग्लादेश का खजाना खाली हो रहा है. विदेशों से तेल और गैस खरीद कर बांग्लादेश बिजली बनाता है. महंगे ईंधन के कारण बिजली का उत्पादन गिर रहा है. अब बिजली बचाने के लिए सभी स्कूलों को हफ्ते में एक और दिन बंद रखने का एलान किया है. बांग्लादेश के ज्यादातर स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी होती है, लेकिन अब शनिवार को भी विद्यालय बंद रहेंगे. इस फैसले की जानकारी देश के कैबिनेट सचिव खांडकर अनवारुल इस्लाम ने दी.

सरकारी दफ्तरों और बैंकों में बुधवार से सात घंटे काम का निर्देश लागू हो गया है. इससे पहले हर दिन काम करने के लिए आठ घंटे तय थे. हालांकि निजी दफ्तरों को इन निर्देशों से अलग रखा गया है, उन्हें अपना शेड्यूल खुद तय करने की छूट दी गई है.

एक्सपोर्ट पर काफी ज्यादा निर्भर है बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था
एक्सपोर्ट पर काफी ज्यादा निर्भर है बांग्लादेश की अर्थव्यवस्थातस्वीर: private

खजाने का तेल निकालता ईंधन

यूक्रेन युद्ध की वजह से बांग्लादेश अनाज और ईंधन की किल्लत झेल रहा है. जुलाई में देश में पेट्रोल और डीजल के दाम 50 फीसदी बढ़ा दिये गये. सरकार पर तेजी से खाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को संभालने का दबाव है. विदेशी मुद्रा भंडार में अब 40 अरब डॉलर बचे हैं. सरकार का कहना है कि वह खास इंतजाम कर रूस से सस्ता तेल खरीदने की कोशिश कर रही है.

बांग्लादेश ने डीजल से बिजली बनाने वाले सारे पावर प्लांट कुछ समय के लिए बंद कर दिए हैं. इसके चलते 1,000 मेगावॉट बिजली कम बन रही है. देश में खूब बिजली कटौती हो रही है. प्रशासन का कहना है कि उद्योगों को लगातार बिजली देने की पूरी कोशिश की जा रही है. 416 अरब डॉलर की बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, काफी हद तक निर्यात पर निर्भर है.

बांग्लादेश में पेट्रोल और डीजल के दाम 50 फीसदी बढ़े
बांग्लादेश में पेट्रोल और डीजल के दाम 50 फीसदी बढ़ेतस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

लकड़ी के चूल्हों की ओर लौट रहे हैं श्रीलंका के लोग

कैसे बिजली बनाता है बांग्लादेश

16.47 करोड़ आबादी वाला बांग्लादेश फिलहाल 25,514 मेगावॉट बिजली बनाता है. इसके अलावा यह देश भारत से भी बिजली खरीदता है. इस बिजली का ज्यादातर हिस्सा देश के कारखानों और रिहाइशी इलाकों को जाता है. बांग्लादेश के ज्यादातर बिजलीघर प्राकृतिक गैस से चलते हैं और यह गैस भी विदेशों से खरीदी जाती है. आर्थिक डाटा के मुताबिक अगर बांग्लादेश को अपनी विकास दर 7 फीसदी बनाए रखनी है तो उसे 2030 तक कम से कम 34,000 मेगावॉट बिजली की जरूरत पड़ेगी. बिजली की मांग को पूरा करने के लिए रूपपुर में एक परमाणु बिजली घर भी बनाया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि प्लांट 2023 में चालू हो जाएगा. इसकी क्षमता 2.4 गीगावॉट होगी.

कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक बांग्लादेश के ऊर्जा संकट की जड़ यूक्रेन युद्ध नहीं है. असल में देश ने एलएनजी (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) से बिजली बनाने पर बहुत ज्यादा निवेश किया. इस वक्त देश की करीब 60 फीसदी बिजली गैस बिजलीघरों से आती है. इन बिजलीघरों को चालू रखने के लिए जरूरी गैस का 25 फीसदी हिस्सा विदेशों से आता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलएनजी को हमेशा बेहद उतार चढ़ाव वाली कमोडिटी माना जाता है.

क्या श्रीलंका जैसे संकट की तरफ बढ़ रहा है बांग्लादेश?

आईएमएफ के एशिया एंड पैसिफिक डिपार्टमेंट के डिविजन चीफ राहुल आनंद कहते हैं कि बांग्लादेश की हालत श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी नहीं हैं. आनंद के मुताबिक, "बांग्लादेश में कर्ज डूबने का खतरा कम है और यह श्रीलंका से बहुत अलग है." फिलहाल देश का विदेशी मुद्रा भंडार 40 अरब डॉलर है.

दक्षिण एशिया के छोटे देशों पर कितना विदेशी कर्ज
दक्षिण एशिया के छोटे देशों पर कितना विदेशी कर्ज

सरकार पर लापरवाही के आरोप

सरकार के इस फैसले की आलोचना हो रही है, लेकिन ढाका का कहना है कि मंहगे तेल के कारण होते नुकसान से बचने का और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. हाल के दिनों में मंहगे तेल के खिलाफ कई छिटपुट प्रदर्शन भी हुए हैं. सरकार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम कम होते ही घरेलू बाजार में भी कीमतें नीचे आएंगी.

विपक्ष का आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचार और ऊर्जा क्षेत्र को हो रहे नुकसान को रोकने में नाकाम हुई है. जुलाई में बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज मांगा. सरकार ने इसकी कोई खास वजह नहीं बताई. हाल के महीनों में अचानक आईएमएफ से लोन मांगने वाला बांग्लादेश तीसरा दक्षिण एशियाई देश है. ढाका से पहले कोलंबो और इस्लामाबाद भी ऐसा कर चुके हैं.

ओएसजे/एनआर (एपी, रॉयटर्स)