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राजनीतिऑस्ट्रिया

अब ऑस्ट्रिया में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी की ऐतिहासिक जीत

३० सितम्बर २०२४

ऑस्ट्रिया के संसदीय चुनाव में धुर-दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी ने सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं. नीदरलैंड्स, फ्रांस, जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों में धुर-दक्षिणपंथ का जनाधार बढ़ता जा रहा है.

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एफपीओ के मौजूदा प्रमुख हेरबेर्ट किकल 29 सितंबर को मतदान करने के बाद मीडिया से बात करते हुए.
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी एफपीओ चांसलर कार्ल नेहामर की सत्तारूढ़ 'ऑस्ट्रियन पीपल्स पार्टी' पर लगातार बढ़त बनाए हुए थी तस्वीर: Lisa Leutner/REUTERS

प्रवासी विरोधी, यूरोपीय संघ और यूरोपीय एकजुटता के लिए संशयी, और रूस समर्थक. धुर-दक्षिणपंथी राजनीतिक दल "फ्रीडम पार्टी ऑफ ऑस्ट्रिया" (एफपीओ) की नीतियों और विचारधाराओं को चिह्नित करने में ये तीन बिंदु प्रमुख हैं. 29 सितंबर को ऑस्ट्रिया में संसदीय चुनाव के लिए मतदान हुआ. इसमें 29.2 प्रतिशत वोट पाकर एफपीओ सबसे बड़ा दल बन गया है.

29 सितंबर को ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में एक मतदान केंद्र के बाहर कार्ल नेहामार.
चांसलर कार्ल नेहामार की 'ऑस्ट्रियन पीपल्स पार्टी' को काफी नुकसान हुआ है. 2019 के चुनाव के मुकाबले उसे 37 प्रतिशत कम वोट मिले हैंतस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार है जब किसी धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ने ऑस्ट्रिया में यह मकाम हासिल किया हो. ऐसा नहीं कि एफपीओ ऑस्ट्रिया में नई राजनीतिक ताकत बनकर उभरा है. कई दशकों से इसकी अच्छी उपस्थिति रही है. जून में हुए यूरोपीय संसद के चुनाव में भी करीब 25 फीसदी मत हासिल करके एफपीओ ऑस्ट्रिया में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. हालांकि, देश के आम चुनाव में यह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. 2019 के चुनाव में 16.2 प्रतिशत वोट पाने वाली एफपीओ ने बड़ी छलांग लगाई है. 

यूरोपीय चुनाव: ऑस्ट्रिया में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी को सफलता

29 सितंबर को वोट डालने के बाद मतदान केंद्र से बाहर निकलते ऑस्ट्रिया के धुर-दक्षिणपंथी नेता हेरबेर्ट किकल.
फिलहाल कोई भी दल हेरबेर्ट किकल के नेतृत्व में एफपीओ के साथ गठबंधन सरकार बनाने को राजी नहीं हैतस्वीर: Heinz-Peter Bader/AP/picture alliance

क्या है एफपीओ का इतिहास?

'फ्रीडम पार्टी ऑफ ऑस्ट्रिया' का गठन 1956 में हुआ था. इसका नाजियों के साथ बहुत करीबी संबंध था. इसके शुरुआती दो अध्यक्ष एंटन राइंटहालर और फ्रीडरिष पीटर, कुख्यात नाजी संगठन एसएस (शुत्सश्टाफेल) के अधिकारी रह चुके थे.

अपने शुरुआती स्वरूप में एसएस का गठन हिटलर के निजी अंगरक्षकों के तौर पर हुआ था. आगे चलकर एसएस समूचे 'थर्ड राइष' की पुलिसिंग करने लगा. यही एसएस था, जो नाजी शासन में यातना शिविरों का नेटवर्क चलाता था. होलोकॉस्ट के रूप में यूरोपीय यहूदियों की नृशंस हत्याओं का जिम्मा भी एसएस का ही था.

गठन के बाद के दशकों में एफपीओ चरम दक्षिणपंथ से मध्यमार्गी राजनीति की ओर बढ़ा, लेकिन 1980 के दशक के दौरान उसकी राह धुर-दक्षिणपंथ की ओर मुड़ गई. एफपीओ के मौजूदा प्रमुख हेरबेर्ट किकल अतिवादी नेताओं में गिने जाते हैं.

किकल 2021 से पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. उनकी पार्टी उन्हें "फॉक्सकांसलर" बुला चुकी है. जर्मन भाषा के इस "विशेषण" का अनुवाद होगा, "लोगों का चांसलर." खुद किकल भी अपने लिए इस शब्द का इस्तेमाल कर चुके हैं. इस शब्द का संदर्भ नाजी इतिहास से जुड़ा है. हिटलर के लिए नाजी इस शब्द का इस्तेमाल करते थे.

एफपीओ के प्रमुख हेरबेर्ट किकल संसदीय चुनाव में अपनी पार्टी की जीत का जश्न मनाते हुए.
हेरबेर्ट किकल ने इस नतीजे को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि पहली बार फ्रीडम पार्टी संसदीय चुनाव में नंबर एक बनी हैतस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

एफपीओ को सहयोगियों की तलाश

किकल की शैली के बारे में पत्रकार नीना होरात्सेक ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "वह देश (ऑस्ट्रिया) में सबसे अभद्र नेता हैं." होरात्सेक की इसी साल एक किताब आई है, जिसमें उन्होंने किकल के भाषणों की समीक्षा की है. किकल की प्रोफाइल पर रिपोर्ट में एएफपी ने उन्हें "तीखी जुबान" का नेता बताया है.

यूरोप: महंगाई और आर्थिक मंदी से धुर दक्षिणपंथी पार्टियों को बड़ा फायदा

अपनी पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए किकल ने मीडिया से कहा, "आज के नतीजे इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकते थे." किकल जोर दे रहे हैं कि ऑस्ट्रिया की अगली सरकार का नेतृत्व उनकी पार्टी को करना चाहिए. हालांकि, इसके लिए एफपीओ को सहयोगियों की जरूरत होगी, जिनके साथ वह गठबंधन सरकार बना सके. उन्होंने कहा, "हम सभी दिशाओं में हाथ बढ़ा रहे हैं."

29 सितंबर को ऑस्ट्रिया में मतदान खत्म होने के बाद आए शुरुआती रुझानों के बाद विरोध जता रहे प्रदर्शनकारी. इस बैनर पर लिखा है, "नाजी संसद से बाहर."
इंटरनेशनल आउशवित्स कमेटी ने एफपीओ की जीत को यूरोप के लिए 'खतरनाक' घटनाक्रम बताया हैतस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS

"लोकतंत्र के लिए खतरा हैं किकल"

चांसलर कार्ल नेहामर की 'ऑस्ट्रियन पीपल्स पार्टी' 26.5 फीसदी मत पाकर दूसरे नंबर पर है. 21 प्रतिशत वोटों के साथ मध्य-वाम राजनीति की पार्टी 'सोशल डेमोक्रैट्स' तीसरे स्थान पर है. हालांकि, अब तक दोनों में से किसी भी दल ने एफपीओ के साथ मिलकर सरकार बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

नेहामार पहले भी किकल की आलोचना करते रहे हैं. वह उन्हें देश के लिए "सुरक्षा जोखिम" भी बता चुके हैं. मतों की गिनती के बाद भी उन्होंने किकल के साथ गठजोड़ की संभावना को खारिज करते हुए कहा, "मैंने चुनाव से पहले जो कहा, वही मैं चुनाव के बाद भी कह रहा हूं." 

सोशल डेमोक्रैट्स के नेता आंद्रेयास बाबलर ने भी किकल के साथ हाथ मिलाने की संभावनाओं को सिरे से नकार दिया है. किकल और खुद को दो विपरीत ध्रुवों पर बताते हुए बाबलर ने कहा कि किकल "लोकतंत्र के लिए एक खतरा हैं."

इन दलों के एफपीओ से परहेज दिखाने की किकल ने आलोचना की है. उन्होंने सवाल किया है कि बाकी दलों से पूछा जाना चाहिए कि "वे लोकतंत्र के बारे में कैसा महसूस करते हैं."

29 सितंबर को ऑस्ट्रिया में मतदान के बाद आए एक्जिट पोल्स में धुर-दक्षिणपंथी एफपीओ की जीत के अनुमानों का विरोध करते लोग.
अपने चुनावी घोषणापत्र में "फोरट्रेस ऑस्ट्रिया-फोरट्रेस फ्रीडम" के नारे के साथ एफपीओ ने बेहद सख्त माइग्रेशन नीति के समर्थन में अभियान चलायातस्वीर: Elisabeth Mandl/REUTERS

यूरोप में प्रवासी विरोधी रुझान का फायदा मिला?

चुनाव प्रचार के दौरान एफपीओ और किकल ने प्रवासन, महंगाई और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों पर जोर दिया. किकल कहते हैं कि उनकी पार्टी प्रवासी विरोधी नीतियों के साथ एक "ऑस्ट्रियाई किले" का निर्माण करना चाहती है. इसमें ना केवल ऑस्ट्रिया की आप्रवासन व्यवस्था में बदलाव करना शामिल है, बल्कि एफपीओ "बिन बुलाए विदेशियों का रीमाइग्रेशन" भी करना चाहती है. यानी, माइग्रेंट्स को वापस उस देश भेजना जहां से वो आए हैं.

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ऑस्ट्रिया को ज्यादा "समरूप" देश बनाने के लिए एफपीओ सीमाओं पर नियंत्रण बढ़ाना चाहती है और शरण मांगने के अधिकार को भी निलंबित करना चाहती है. कई आलोचक इन प्रस्तावों को ना केवल प्रवासी और विदेशी विरोधी, बल्कि नस्लभेदी भी बताते हैं. आलोचकों के मुताबिक, जर्मनी और फ्रांस समेत यूरोप के कई देशों की तरह ऑस्ट्रिया में भी आप्रवासन के लिए बढ़ती फिक्र का फायदा एफपीओ को मिला है.

यूक्रेन और रूस के युद्ध पर एफपीओ का क्या मत

एफपीओ को रूस समर्थक माना जाता है. पार्टी पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन को मिल रही सैन्य सहायता की तीखी आलोचना करती है. वह यूक्रेन पर हमला करने के कारण रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म किए जाने की मांग करती है. वह 'यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव' से भी ऑस्ट्रिया को निकालना चाहती है.

जर्मनी के नेतृत्व में इस अभियान का मकसद नाटो की हवाई रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर मॉस्को के हमले के बाद यूरोपीय देशों में असुरक्षा की भावना गहरी हुई है. दशकों तक उपेक्षित रक्षा क्षमताओं के कारण नाटो अब एयर और मिसाइल डिफेंस को मजबूत करना चाहता है.

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ऑस्ट्रिया नाटो का सदस्य नहीं है. वह खुद को "तटस्थ" बताता है. हालांकि, वह यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य है. ईयू का सदस्य होने के कारण उसकी विदेश नीति भी संघ की विदेश नीति के जैसी ही है. ईयू ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए, उनमें ऑस्ट्रिया भी शामिल है. वह यूरोपीय हवाई रक्षा व्यवस्था के लिए दस्तखत करने वाले देशों में भी एक है. किकल, ईयू की ऐसी नीतियों का विरोध करते हैं. वह ऐसे मसलों में ऑस्ट्रिया के पास ज्यादा अधिकारों का समर्थन करते हैं.

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अगर किकल और एफपीओ सरकार नहीं बना सके, तब भी इतने बड़े जनाधार के कारण ऑस्ट्रिया की राजनीति में उनके असर को नकारना मुश्किल होगा. हालांकि, कई विशेषज्ञों का यह भी अनुमान है कि अगर एफपीओ किकल की जगह किसी और को नेतृत्व दे, तो उस स्थिति में वैकल्पिक गठबंधन की संभावना अपेक्षाकृत आसान होगी.

अगर ऐसा नहीं भी हुआ, तब भी सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी पांच साल विपक्ष में रहना एफपीओ और किकल दोनों को फायदा पहुंचा सकता है. यूरोप में प्रवासियों के लिए सख्त होते रुझान और कई धड़ों में यूक्रेन को दिए जा रहे समर्थन पर उठ रहा सवाल, आने वाले सालों में धुर-दक्षिणपंथी और पॉपुलिस्ट पार्टियों को और मजबूती दे सकता है.

नीदरलैंड्स में धुर-दक्षिणपंथी नेता गीएट विल्डर्स, फ्रांस का राजनीतिक घटनाक्रम और धुर-दक्षिणपंथ का बढ़ता दबदबा और बीते दिनों जर्मनी के तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) का बढ़ता जनाधार व पॉपुलिस्ट दल 'जारा वागनक्नेष्ट अलायंस' (बीएसडब्ल्यू) को पहले ही चुनाव में मिली सफलता इसी रुझान का एक संकेत है.

एसएम/एनआर (एएफपी, डीपीए, एपी, रॉयटर्स)