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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

आकुस के परमाणु समझौते का ऑस्ट्रेलिया में विरोध

विवेक कुमार, सिडनी से
१३ अगस्त २०२४

आकुस देशों के बीच हुए परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी समझौते का ऑस्ट्रेलिया में विरोध हो रहा है. समझौते में दुर्घटना और परमाणु कचरे की पूरी जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया पर डाली गई है.

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2021 में ऑस्ट्रेलिया डार्विन में रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी की पनडुब्बी एचएमएएस रैनकिन
आकुस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को मिलेंगी तीन पनडुब्बियांतस्वीर: POIS Yuri Ramsey/Australian Defence Force/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया ने सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो अमेरिकाऔर ब्रिटेन के साथ परमाणु रहस्यों और सामग्री के आदान-प्रदान की अनुमति देगा. यह समझौता ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. लेकिन समझौते में परमाणु कचरे और परमाणु दुर्घटना की स्थिति से निपटने की शर्त को लेकर ऑस्ट्रेलिया में खासा विवाद हो रहा है.

सोमवार को जारी हुआ यह समझौता तीनों देशों को 2021 के त्रिपक्षीय आकुस सुरक्षा समझौते के हिस्से के रूप में संवेदनशील अमेरिकी और ब्रिटिश परमाणु सामग्री और जानकारी ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करने के तहत किया गया है. 2021 में जब आकुस के गठन का एलान हुआ था, तब यह घोषणा की गई थी कि ऑस्ट्रेलिया को परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों के निर्माण की तकनीक दी जाएगी और ऑस्ट्रेलिया में इनका निर्माण होगा.

आकुस समझौते में पनडुब्बियों के इस बेड़े का निर्माण और उन्नत युद्ध क्षमता का संयुक्त विकास शामिल है, जो प्रशांत क्षेत्र में चीनी सैन्य महत्वाकांक्षाओं के लिए एक रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जाता है.

ऑस्ट्रेलिया के लिए महत्वपूर्ण कदम

ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री और उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने कहा, "यह समझौता रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के लिए पारंपरिक रूप से सशस्त्र, परमाणु-संचालित पनडुब्बियों की अधिग्रहण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."

उन्होंने जोर देकर कहा कि ऑस्ट्रेलिया परमाणु हथियार हासिल करने का इरादा नहीं रखता और देश परमाणु अप्रसार के "उच्चतम मानकों" का पालन करेगा.

ताजा समझौते पर पिछले सप्ताह वॉशिंगटन में हस्ताक्षर किए गए थे और सोमवार को इसे ऑस्ट्रेलियाई संसद में पेश किया गया. समझौते में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया के सहयोगियों की परमाणु सामग्री से संबंधित जोखिमों के लिए किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं होगी.

भविष्य की पनडुब्बियों के लिए परमाणु सामग्री को संयुक्त राज्य अमेरिका या ब्रिटेन से "पूर्ण, वेल्डेड पावर यूनिट्स" के रूप में स्थानांतरित किया जाएगा. लेकिन ऑस्ट्रेलिया उन परमाणु पावर यूनिट्स से निकले हुए ईंधन और रेडियोधर्मी कचरे के भंडारण और निपटान के लिए जिम्मेदार होगा.

इस शर्त को लेकर ऑस्ट्रेलिया में एक वर्ग ने कड़ी आपत्ति जताई है. इंडिपेंडेंट अखबार के लिए एक लेख में अखबार की प्रबंध संपादक मिशेल पीनी ने लिखा, "ऐसा वक्त आ सकता है जब शक्तिशाली और खतरनाक संस्थाओं से मित्रता फायदेमंद हो सकती है, भले ही वे खुद दादागीरी करने वाले हों. लेकिन ज्यादातर जोखिम भरी संधियों की तरह, यह दोस्ती अंततः दादागीरी करने वाले के हित में ही काम करेगी और कमजोर पक्ष को नुकसान पहुंचाएगी."

2023 में सैन डिएगो में घोषित आकुस योजना के तहत, ऑस्ट्रेलिया 2030 के दशक में अमेरिका से कम से कम तीन वर्जीनिया क्लास की पनडुब्बियां खरीदने की योजना बना रहा है. इसके बाद, ऑस्ट्रेलिया और यूके मिलकर एसएसएन-आकुस नामक एक नई श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी का निर्माण करेंगे.

समझौते में क्या-क्या है

नए समझौते के अनुसार, यह "31 दिसंबर 2075 तक प्रभावी रहेगा," लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी पक्ष इसे समाप्त कर सकता है, बशर्ते वह अन्य देशों को कम से कम एक साल का लिखित नोटिस दे.

यदि कोई देश इस संधि का उल्लंघन करता है या इसे समाप्त करता है, तो अन्य देशों को पहले से आदान-प्रदान की गई किसी भी जानकारी, सामग्री, और उपकरणों की "वापसी या नष्ट करने की मांग करने का अधिकार" होगा.

इस संधि में कई सुरक्षा उपाय शामिल हैं, जिनमें यह भी है कि ऑस्ट्रेलिया को किसी भी परमाणु सामग्री के हस्तांतरण से पहले वैश्विक निगरानी संस्था, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ एक व्यवस्था करनी होगी.

यदि ऑस्ट्रेलिया वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत अपनी "अनिवार्य जिम्मेदारियों का उल्लंघन" करता है या "कोई परमाणु विस्फोटक उपकरण विस्फोटित करता है," तो अमेरिका और ब्रिटेन के पास "समझौते के तहत आगे के सहयोग को समाप्त करने और किसी भी परमाणु सामग्री या उपकरण की वापसी की मांग करने का अधिकार" होगा.

ऑस्ट्रेलिया द्वारा सार्वजनिक किए गए समझौते के दस्तावेज में यह भी खुलासा किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया ने किसी भी परमाणु सुरक्षा जोखिम की जिम्मेदारी लेने पर सहमति जताई है. अमेरिका और ब्रिटेन को ऑस्ट्रेलिया "डिजाइन, निर्माण, असेंबली, हस्तांतरण, या किसी भी सामग्री और उपकरण के उपयोग" से जुड़े किसी भी परमाणु जोखिम से उत्पन्न "किसी भी दायित्व, हानि, लागत, क्षति या चोट" के खिलाफ मुआवजा देगा.

कई तरफ से विरोध

सरकार की सफाई है कि दुर्घटना होने की संभावनाएं बहुत कम हैं. ऑस्ट्रेलियाई सबमरीन एजेंसी (एएसए) के प्रवक्ता ने कहा, "इस मुआवजे की मांग किए जाने की संभावना बहुत कम है. ब्रिटेन और अमेरिका के नौसैनिक परमाणु प्रोपल्शन कार्यक्रमों का सुरक्षा रिकॉर्ड अतुलनीय है."

लेकिन कई राजनीतिक दलों और परमाणु विशेषज्ञों ने ऑस्ट्रेलिया के पूरी जिम्मेदारी लेने को लापरवाही भरा बताया है. लेबर पार्टी की अल्बानीजी सरकार में शामिल ग्रीन्स पार्टी के रक्षा मामलों के प्रवक्ता, डेविड शूब्रिज ने एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने "ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा इतने गैरजिम्मेदाराना और एकतरफा अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर होते कभी नहीं देखे."

चीन हमेशा से आकुस समझौते का विरोधी रहा है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया की यात्रा के दौरान चेतावनी दी थी कि आकुस ने "परमाणु प्रसार के गंभीर खतरे" पैदा किए हैं और दावा किया था कि यह दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि का उल्लंघन करता है.

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