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विधानसभा चुनाव: सिक्किम में एसकेएम, अरुणाचल में बीजेपी जीती

स्वाति मिश्रा
२ जून २०२४

अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है. अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी फिर सरकार बनाने जा रही है. वहीं, सिक्किम में सत्तारुढ़ एसकेएम फिर सत्ता में लौट रही है.

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इटानगर में विकास परियोजना के उद्घाटन समारोह में नरेंद्र मोदी और पेमा खांडू
मुख्यमंत्री पेमा खांडू और उपमुख्यमंत्री चोवना मीन, दोनों चुनाव के पहले ही निर्विरोध जीत गए थे. तस्वीर में, अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ. तस्वीर: hoto by Handout/PIB/AFP

अरुणाचल प्रदेश की 60 विधानसभा सीटों में से 10 बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत चुकी है. निर्विरोध जीतने वालों में मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी शामिल हैं.

2 जून की सुबह बाकी 50 सीटों पर वोटों की गिनती शुरू हुई. अब पूरे नतीजे आ चुके हैं और बीजेपी को 46 सीटों पर जीत मिली है. प्रदेश में बीजेपी का यह लगातार तीसरा कार्यकाल होगा. अन्य दलों में नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीईपी) को पांच सीटों पर जीत मिली है. कांग्रेस को एक, पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) को दो और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को तीन सीटें मिली हैं. 

बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी करीब चार फीसदी का इजाफा हुआ और यह बढ़कर 54.57 प्रतिशत हो गया. वहीं, कभी प्रदेश की सत्ता में रही कांग्रेस का वोट प्रतिशत दहाई संख्या तक भी नहीं पहुंच सका और पांच फीसदी पर सिमट गया. उसने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल एक बामेंग सीट पर ही जीत मिली. 1999 में इसी कांग्रेस को 53 सीटों के साथ प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी जीत मिली थी. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी का हासिल शून्य रहा था, लेकिन उसका वोट प्रतिशत 10.83 था.  

प्रदेश की खोंसा ईस्ट विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी वांगलाम साविन विजयी हुए हैं. उन्होंने बीजेपी के कामरांग तेसिया को 2,216 वोटों से हराया. इसी तरह नामपोंग सीट से लाइसाम सिमाई ने भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत हासिल की है. उनका मुकाबला काफी करीबी रहा और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार इजमिर तिकहाक को मात्र 68 वोटों से हराया. थरिजीनो-बुरागांव सीट पर भी निर्दलीय प्रत्याशी तेंजिन ग्लो जीत गए हैं. 

सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तवांग
सिक्किम विधानसभा चुनाव 2024 में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तवांग के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) को भारी बहुमत मिला है. तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

सिक्किम में एकतरफा मुकाबला

मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तवांग के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) को बंपर जीत मिली है.सिक्किम की कुल 32 विधानसभा सीटों में एसकेएम 31 सीटों पर जीत हासिल हुए है. इस भारी जीत पर सीएम प्रेम सिंह तमांग ने जनता के प्रति आभार जताया. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं सिक्किम की जनता और पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. हमने पूरे मन से जनता के लिए काम किया था. इसीलिए हम जीते हैं."

25 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग की सिक्किम डेमोक्रैटिक फ्रंट (एसडीएफ) को बस एक सीट पर जीत मिली है. दो सीटों से चुनाव लड़ रहे पार्टी अध्यक्ष चामलिंग दोनों ही सीटों पर हार गए हैं. पोकलोग-कामरांग सीट पर एसकेएम के भोज राज राय ने उन्हें 3,063 वोटों के अंतर से हराया. नमचेबुंग सीट पर भी वह 2,256 वोटों से एसकेएम के उम्मीदवार राजू बसनेत से हार गए.

भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान और एसडीएफ के प्रत्याशी बाइचुंग भूटिया बारफुंग सीट पर एसकेएम उम्मीदवार रिकशाल दोरजी भूटिया से 4,000 से ज्यादा वोटों से पीछे चल रहे हैं. बाइचुंग भूटिया ने 2018 में "हमरो सिक्किम पार्टी" नाम का अपना राजनीतिक दल बनाया था, लेकिन 2023 में उन्होंने अपनी पार्टी का एसडीएफ में विलय कर दिया. वह एसडीएफ के उपाध्यक्ष हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में संसदीय सीटों के साथ-साथ ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा के लिए भी मतदान हुआ. पहले अरुणाचल और सिक्किम के विधानसभा नतीजे 4 जून को ही आने थे, लेकिन चुनाव आयोग ने तारीख खिसका कर 2 जून कर दी क्योंकि दोनों विधानसभाओं का कार्यकाल 2 जून को ही पूरा हो रहा है. 

पेमा खांडू के मार्फत सत्ता में कैसे पहुंची बीजेपी?

अरुणाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की पटकथा का अहम किरदार रहा है. मौजूदा मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कांग्रेस से ही अपनी राजनीतिक पारी शुरू की. उनके पिता और मुख्यमंत्री दोरजी खांडू की जुलाई 2011 में एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. उनकी मुक्तो सीट पर हुए उपचुनाव में पेमा खांडू यहां से चुनाव जीते. 2014 में भी वह इस सीट से निर्विरोध चुने गए और प्रदेश सरकार में मंत्री बने. फिर उन्होंने मुख्यमंत्री नबाम तुकी सरकार से इस्तीफा देकर बगावत छेड़ दी.

एक नाटकीय घटनाक्रम के बीच नाबम तुकी ने इस्तीफा दिया और जुलाई 2016 में पेमा खांडू ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. फिर सितंबर 2016 में वह 43 विधायकों को साथ लेकर पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में चले गए और मुख्यमंत्री बने रहे. चूंकि पीपीए, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्टर्न डेमोक्रैटिक अलायंस का हिस्सा थी, ऐसे में खांडू की इस सरकार में बीजेपी भी हिस्सा बनी.

फिर दिसंबर में एक और नाटकीय घटनाक्रम में पीपीए ने सीएम खांडू समेत छह विधायकों को पार्टी से निकाल दिया. इसके दो ही दिन बाद खांडू 32 विधायकों को साथ लेकर बीजेपी में चले गए. तब आधिकारिक तौर पर प्रदेश में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई. 

विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भी बड़ी संख्या में दूसरे दलों के विधायक पार्टी बदलकर बीजेपी के साथ जुड़ते दिखे. कांग्रेस की स्थिति खासतौर पर गंभीर रही. पार्टी विधायकों के बीजेपी में शामिल होने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम नबाम तुकी ने पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस 50 सीटों पर लड़ना चाहती थी, लेकिन उसके पास इतने उम्मीदवार ही नहीं थे. उसके 25 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया और इनमें से भी छह ने आखिर में नॉमिनेशन वापस ले लिया. 

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