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असम सरकार ने तय किया स्कूली शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड

प्रभाकर मणि तिवारी
२२ मई २०२३

पूर्वोत्तर राज्य असम में स्कूल शिक्षक अब मनमाने तरीके से कपड़े पहन कर स्कूल नहीं जा सकेंगे. असम सरकार ने अब शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड तय कर दिया है.

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असम का पांरपरिक बिहू नृत्य
तस्वीर: David Talukdar/AA/picture alliance

असम ऐसा करने वाला पूर्वोत्तर का पहला राज्य है. असम स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड जारी करते हुए सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए टी-शर्ट, जींस और मनमानी पोशाक पहनने पर पाबंदी लगा दी है. महिला शिक्षकों के लेगिन्स पहनने पर रोक लगाते हुए उनसे सलवार सूट, साड़ी या असम की पारंपरिक पोशाक मेखला चादर पहनकर शिक्षण संस्थान में आने को कहा गया है.

इससे पहले इसी साल ओडिशा सरकार ने भी शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड तय किया था. उसके अलावा गुजरात सरकार भी इस पर विचार कर रही है.

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असम सरकार का कहना है कि इस तरह का आदेश जारी करना समय की मांग थी. शैक्षणिक संस्थानों के कुछ शिक्षक अपनी पसंद की ऐसी ड्रेस पहन कर आ रहे थे जो ज्यादातर लोगों को स्वीकार्य नहीं है.

असम शिक्षा विभाग के सचिव नारायण कोंवर की ओर से जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि सभी शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड तय किया गया है. पुरुषों के लिए अब औपचारिक शर्ट और पैंट पहनना अनिवार्य होगा जबकि महिला शिक्षकों को सलवार-सूट, साड़ी और मेखला-चादर (पारंपरिक असमिया पोशाक) पहनने के लिए कहा गया है. पुरुषों और महिला शिक्षकों के लिए टी-शर्ट और जींस के साथ महिला शिक्षकों के लिए लेगिंग प्रतिबंधित कपड़ों की सूची में शामिल हैं.

असम के मुख्यमंत्री हेमंत सरमा
असम के मुख्यमंत्री हेमंत सरमातस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

सरकार का तर्क

इस अधिसूचना के मुताबिक, शिक्षकों को "साफ-सुथरे, विनम्र और सभ्य" दिखने वाले शांत रंगों के कपड़े ही पहनने हैं. उनके ज्यादा रंगीन और चमकदार कपड़े पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है. इसके साथ ही शिक्षकों को कैजुअल और पार्टी में पहने जाने वाले कपड़ों से भी सख्ती से परहेज करने का निर्देश दिया गया है.

सरकार का कहना है चूंकि एक शिक्षक से विशेष रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय सभी प्रकार की शालीनता का एक उदाहरण होने की उम्मीद की जाती है. इसलिए एक ड्रेस कोड का पालन करना जरूरी हो गया है. इससे कामकाज के स्थान पर मर्यादा और शालीनता बनाए रखना संभव होगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

असम के शिक्षा मंत्री डॉ रनोज पेगू ने कहा है कि असम सरकार सभी सरकारी स्कूलों के लिए एक नियमावली शुरू करने जा रही है. उसमें स्कूलों के प्रबंधन और कक्षाओं के संचालन के नियमों की विस्तार से जानकारी दी जाएगी. उनका कहना है कि छात्रों के लिए ड्रेस तय है, इसलिए शिक्षकों को भी औपचारिक पोशाक पहनकर स्कूल आना चाहिए.

सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया

सरकार के इस फैसले से अभिभावक तो खुश हैं. लेकिन शिक्षकों के एक तबके में इससे नाराजगी है. राजधानी गुवाहाटी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले मनोज कुमार डेका (बदला हुआ नाम) कहते हैं, "सरकार का यह फैसला तानाशाही का सबूत है. तमाम शिक्षक शालीन कपड़े पहन कर स्कूलों में आते हैं. आखिर उनको भी अपनी गरिमा बनाए रखनी होती है. लेकिन सरकार के आदेश से ऐसा लगता है मानो ज्यादातर शिक्षक अजीबोगरीब फैशनेबल कपड़े पहन कर काम पर आते हैं."