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भारत-कनाडा विवाद: अब क्या करेंगे भारतीय छात्र

६ अक्टूबर २०२३

कनाडा में लाखों की संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और ऐसे में कनाडा की यूनिवर्सिटियां भारतीय छात्रों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन दे रही हैं.

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कनाडा में भारतीय छात्र
कनाडा में भारतीय छात्रतस्वीर: NurPhoto/picture alliance

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संकट के कारण पैदा हुई अनिश्चितता से निपटने के लिए संसाधनों की पेशकश की जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि कनाडा की यूनिवर्सिटियां तेजी से बढ़ते व्यापार पर पड़ने वाले प्रभाव को सीमित करना चाहती हैं.

दोनों देशों के बीच जारी राजनयिक तनाव के कारण वे छात्र दुविधा में हैं जो कनाडा जाकर पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं. एक ओर कनाडा के कॉलेज नए सेमेस्टर शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं वहीं कुछ छात्र अपने कोर्स में देरी करने पर विचार कर रहे हैं.

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध उस वक्त खराब हो गए जब सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में कहा था कि उनकी सुरक्षा एजेंसियों के पास ऐसे पुख्ता सबूत हैं कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका हो सकती है. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को खारिज करते हुए उसे बकवास और प्रेरित बताया था.

निज्जर की हत्या पर भारत और कनाडा में तकरार तेज

बड़ी संख्या में कनाडा जाते हैं भारतीय छात्र

कनाडा के तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय शिक्षा कारोबार में भारत कनाडा के वैश्विक छात्रों का अब तक का सबसे बड़ा स्रोत है, जो स्टडी परमिट धारकों का लगभग 40 फीसदी है. भारत से कनाडा पढ़ाई के लिए गए छात्रों की संख्या तीन लाख के करीब है. अंतरराष्ट्रीय छात्र हर साल कनाडा की अर्थव्यवस्था में 14.6 अरब डॉलर से अधिक का योगदान देते हैं.

भारतीय कंसल्टेंट्स के अनुमान के मुताबिक भारत के एक लाख से अधिक छात्र अंग्रेजी भाषा में दक्षता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और अगले साल कनाडा में पढ़ाई करने के लिए फाइनेंस का इंतजाम कर रहे हैं.

दोनों देशों के बीच जारी विवाद के बीच कनाडा के टॉप विश्वविद्यालय प्रति वर्ष कनाडाई डॉलर 40,000 तक की लागत वाले कोर्स की पेशकश कर रहे हैं, जबकि कॉलेज छात्रों से जुड़ने के लिए शॉर्ट ड्यूरेशन कोर्स और सस्ते कोर्स की पेशकश कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनयिक विवाद कनाडा के बेहतर ज्ञात निर्यातों में से एक को नुकसान न पहुंचाए.

रॉयटर्स ने कनाडा और भारत के एक दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों और सलाहकारों से बात की जिन्होंने कहा कि वे छात्रों को आश्वस्त करने के लिए उपाय अपना रहे हैं.

टोरंटो यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष जोसेफ वोंग ने कहा, "हमने भारत में विभिन्न साझेदारों से भी संपर्क किया है, जिनमें कई शैक्षणिक संस्थान और फाउंडेशन हैं. हमने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

इस यूनिवर्सिटी में 2022-2023 सेशन के लिए 86,297 अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने दाखिला लिया था, जिनमें 2400 के करीब भारतीय छात्र हैं.

सुरक्षा का सवाल

कनाडाई विश्वविद्यालयों का कहना है कि गतिरोध कम समय के लिए हो सकता है, लेकिन नए सेमेस्टर और छात्रों के भविष्य के बारे में सवाल बने हुए हैं. छात्र कनाडा में अपनी सुरक्षा के बारे में पूछ रहे हैं.

एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज के अध्यक्ष अशोक कुमार भाटिया ने कहा कि कई भारतीय छात्र बढ़े हुए राजनयिक तनाव की पृष्ठभूमि में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

अब इन चिंताओं के जवाब में आईडीपी एजुकेशन जैसी कंसल्टेंसी छात्रों को वीडियो मैसेज भेजकर उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रही हैं. कनाडा ने हाल के सालों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की आमद में मजबूत बढ़ोतरी देखी है. कनाडा का शिक्षा उद्योग अब ऑटो पार्ट्स, विमान के पुर्जे आदि जैसे निर्यात क्षेत्रों को पीछे छोड़ चुका है. पिछले हफ्ते कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को "बहुत आकर्षक संपत्ति" बताया था.

25 सितंबर को हुए खालिस्तान समर्थक प्रदर्शन की तस्वीर
25 सितंबर को हुए खालिस्तान समर्थक प्रदर्शन की तस्वीरतस्वीर: Khalid Eid/DW

कनाडा में बसने का सपना

लेकिन भारत में परिवार और कनाडा जाकर पढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे छात्र परेशान हैं, खासकर पंजाब में जहां के हर चौथे परिवार का एक सदस्य या तो कनाडा में पढ़ाई कर रहा है या फिर वहां जाकर पढ़ने की तैयारी में जुटा है.

पिछले साल अमृतसर से 5,000 छात्र कनाडा पढ़ने के लिए गए थे. टैक्सी ड्राइवर जीवन शर्मा इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या उनके बेटे के लिए हाल ही में बुक की गई कनाडा की फ्लाइट में सवार होना सही फैसला होगा.

उन्होंने कहा, "मैंने अपनी पूरी जिंदगी की जमापूंजी लगा दी है. मैंने 25 लाख रुपये अपने बेटे को भेजने के लिए बचाए हैं ताकि वह कनाडा पढ़ने के लिए जाए और वहीं बस जाए और हमारे बुढ़ापे का सहारा बन सके."

भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव में कमी के संकेत नजर नहीं आ रहे हैं. मंगलवार को कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कनाडा भारत के साथ "निजी बातचीत" चाहता है. इससे पहले भारत ने कनाडा से कहा था कि वह भारत में अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला ले. भारत ने 10 अक्टूबर तक कनाडा को राजनयिकों की वापसी का समय दिया है.

अमृतसर में कॉमर्स के छात्र गुरबख्शीश सिंह ने कहा वह इस बात से निराश हैं कि छात्रों का स्वागत करने वाले कनाडा जैसे देश के साथ संबंध खराब खराब हो रहे हैं. उन्होंने कहा, "सरकार ने हमारा भविष्य खतरे में डाल दिया है."

एए/सीके (रॉयटर्स)