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पुतिन की गिरफ्तारी "युद्ध का एलान" होगी: मेद्वेदेव

२३ मार्च २०२३

रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने चेतावनी दी है कि विदेश में व्लादिमीर पुतिन की गिरफ्तारी को "युद्ध का एलान" माना जाएगा. आईसीसी ने पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है.

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
तस्वीर: Russian President Press Office/dpa/picture alliance

17 मार्च 2023 की दोपहर नीदरलैंड्स के शहर द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया. आईसीसी ने पुतिन को यूक्रेन में युद्ध अपराधों का आरोपी करार देते हुए, उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया.

अब पुतिन के करीबी माने जाने वाले रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने इस वारंट के खिलाफ सख्त चेतावनी दी है. मेद्वेदेव रूस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके है. फिलहाल वह रूस की सुरक्षा काउंसिल के उपाध्यक्ष हैं. पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के करीब हफ्ते भर बाद मेद्वेदेव ने कहा कि जो भी देश पुतिन को गिरफ्तार करेगा, वो रूसी हथियारों का निशाना बनेगा. हालांकि उन्होंने खुद माना कि ऐसी नौबत नहीं आएगी, "कल्पना कीजिए- वैसे तो ऐसा कभी नहीं होगा, लेकिन फिर भी इसकी कल्पना कीजिए."

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दिमित्री मेद्वेदेव
रूस की सुरक्षा समिति के उपाध्यत्र दिमित्री मेद्वेदेवतस्वीर: Alexei Maishev/TASS/IMAGO

उदाहरण में जर्मनी का जिक्र

मेद्वेदेव ने कहा, "परमाणु शक्ति संपन्न देश का नेता किसी भूमि पर पहुंचता है, कल्पना कीजिए कि जर्मनी में, और वहां उसे गिरफ्तार किया जाता है. ये क्या है? ये रूसी संघ के विरुद्ध युद्ध का एलान है."

उदाहरण में बार बार जर्मनी का जिक्र करते हुए 57 साल के मेद्वेदेव ने कहा, अगर पुतिन को गिरफ्तार किया जाता है तो "पूरी क्षमता से हमारे रॉकेट और दूसरी चीजें (हथियार) बुंडेसटाग (जर्मन संसद) और चांसलर ऑफिस और अन्य ठिकानों की तरह उड़ेंगी."

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यूक्रेन युद्ध से बिगड़े जर्मनी और रूस के रिश्ते
यूक्रेन युद्ध से बिगड़े जर्मनी और रूस के रिश्तेतस्वीर: Zoonar/picture alliance

आईसीसी पर रूस का पलटवार

वारंट जारी होने के बाद रूस ने भी अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के खिलाफ कार्रवाई का एलान किया है. मॉस्को ने आईसीसी के अभियोजक करीम खान और कई अन्य जजों के विरुद्ध अपराधिक जांच शुरू कर दी है. रूस ने आईसीसी के फैसले को "गैरकानूनी" करार दिया है. मेद्वेदेव की चेतावनी इन कदमों के बाद आई है.

वहीं आईसीसी की लेजिस्लेटिव बॉडी ने वारंट के बाद जारी रूसी "धमकियों" की निंदा की है. एक बयान में आईसीसी ने कहा, "अंसेबली की प्रेसीडेंसी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिबंधित कार्रवाइयों के लिए जवाबदेही तय करने वाली अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को बाधित करने के इन कदमों पर खेद जताती है."

द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत
द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालततस्वीर: Florian Görner/DW

कितनी ताकतवर है अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत

इटली की राजधानी रोम में 17 जुलाई 1998 को संयुक्त राष्ट्र कूटनीतिक कॉन्फ्रेंस हुई. इसी कॉन्फ्रेंस में अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत की रोम संविधि को 120 देशों का समर्थन मिला. इसके चार साल बाद, अप्रैल 2002 में 60 देशों ने इसे मंजूरी देकर बाध्यकारी संधि बना दिया. एक जुलाई 2002 से यह संधि लागू हो गई. अब तक दुनिया के 123 देशों ने इस पर दस्तखत किए हैं.

अमेरिका, चीन, रूस, भारत, इस्राएल और लीबिया समेत कई देशों ने इस संधि पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी देश ने इससे जुड़ी संधि को मान्यता दी हो या नहीं. तकनीकी रूप से पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के अधिकार क्षेत्र में आती है. कोई याचिका सामने आने पर आईसीसी के जजों का पैनल तय करता है, उस पर क्या कार्रवाई करनी है. यूएन सिक्योरिटी कांउसिल भी आईसीसी के अभियोजकों को मामले सौंप सकती है.

आईसीसी की अक्सर इस बात के लिए आलोचना होती है कि उसकी ताकत सिर्फ कमजोर देशों के नेताओं पर ही दिखती है.

ओएसजे/सीके (रॉयटर्स)