कल्पना कीजिए कि आप एक ट्रैवल पॉड में बैठे हैं और एक बेहद कम दबाव वाली ट्यूब के माध्यम से 1,200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहे हैं. इस यात्रा से कार्बन उत्सर्जन की चिंता भी नहीं. सवाल ये है कि क्या इसे सच करने वाली हाइपरलूप 2030 तक इस्तेमाल में आ सकती हैं?