1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाजभारत

सवालों के घेरे में यूपीएसआई भर्ती परीक्षा

समीरात्मज मिश्र
१ जून २०२२

उत्तर प्रदेश में दारोगा भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी पिछले एक महीने से ज्यादा समय से लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि दारोगा भर्ती परीक्षा में धांधली हुई है और इसकी जांच कराई जाए.

https://p.dw.com/p/4C8uc
Indien Lucknow | Protest
तस्वीर: Shubham Tiwari/DW

भारत में इस समय ऐसी कई भर्ती परीक्षाएं हैं जो धांधली के आरोपों के चलते अटकी हुई हैं. उत्तर प्रदेश में दारोगा भर्ती परीक्षा में धांधली के मामले में भी अब तक दर्जनों लोग गिरफ्तार हो चुके हैं लेकिन परीक्षा रद्द नहीं की जा रही है. लखनऊ के इकोगार्डन मैदान में पिछले करीब एक महीने से सैकड़ों छात्र हाथों में कई तरह के बैनर लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं जिनकी मांग है कि पिछले साल हुई एसआई यानी दारोगा भर्ती परीक्षा में हुई कथित धांधली की जांच हो और परीक्षा रद्द की जाए.

राज्य भर से बड़ी संख्या में छात्रों ने मंगलवार को लखनऊ पहुंच कर यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया और वे विधान सभा तक भी पहुंचना चाहते थे लेकिन पुलिस बल का प्रयोग करके उन्हें खदेड़ दिया गया. छात्र फिर इको गार्डन पहुंचकर धरना-प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं.

अभ्यर्थियों की आपबीती

गाजीपुर से आए रवींद्र कुमार को उम्मीद थी कि वह इस परीक्षा में पास हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कहते हैं, "पहले तो हम यह मान रहे थे कि हमने पेपर ठीक नहीं किया होगा लेकिन जब यह पता चल रहा है कि कुछ लोगों को तो पहले से ही पेपर मिल गया था और कुछ को तो परीक्षा हाल में ही सारे उत्तर बता दिए गए, तब हमें खेल समझ में आया. यही खेल सभी अभ्यर्थियों के साथ हुआ है. हमारी मांग है कि परीक्षा दोबारा कराई जाए और इस परीक्षा में हुई धांधली की एसआईटी जांच कराई जाए.”

दरअसल, यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर यानी दारोगा के 9,534 पदों के लिए पिछले साल मार्च में वेकेंसी निकाली गई थी. 12 नवंबर से 2 दिसंबर तक राज्य के विभिन्न केंद्रों में ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया गया था. परीक्षा में करीब 12 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था और 7.61 लाख लोगों ने परीक्षा दी थी, इसलिए परीक्षा को कई शिफ्टों में आयोजित करना पड़ा था.

लेकिन परीक्षा के दौरान ही ऐसे कई मामले सामने आने लगे जब कुछ छात्र अनुचित तरीके से परीक्षा देते हुए पकड़े गए. ऐसे अनुचित तरीकों से परीक्षा देने या फिर किसी अन्य व्यक्ति की जगह बैठकर परीक्षा देने वाले अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और ऐसे मामलों में अब तक दर्जनों एफआईआर हो चुकी हैं.

14 अप्रैल 2022 को परीक्षा के पहले चरण के परिणाम जारी हुए जिसमें कुल 36,170 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए. लेकिन जब इन अभ्यर्थियों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया तो परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर हुई धांधली का पर्दाफाश होना शुरू हुआ. कई मामले ऐसे भी आए जिसमें कुछ छात्रों ने सभी प्रश्नों के उत्तर ही दिए थे. ऐसे लोगों का भी पता चला जिन्होंने पेपर के शुरुआती करीब एक घंटे तक एक भी सवाल हल नहीं किया और उसके बाद दस पंद्रह मिनट में 150 से ज्यादा सवाल हल कर दिए.

परीक्षा के आयोजकों पर सवाल

एक अन्य अभ्यर्थी शुभम तिवारी कहते हैं कि परीक्षा कराने की जिम्मेदारी एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को दी गई थी जो पहले से ही कई राज्यों में इस तरह की धांधली कर चुकी है. वो कहते हैं, "राज्य सरकार ने एनएसआईईटी नाम की उस एजेंसी को ऑनलाइन परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी थी जो मध्य प्रदेश समेत देश के 6 राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस कंपनी पर साढ़े तीन करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. इसके बावजूद यूपी में इसी एजेंसी को दारोगा भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई. भ्रष्टाचार में लिप्त कंपनी को परीक्षा की जिम्मेदारी देने का साफ मतलब है कि इसमें बड़े स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं और इस धांधली में उनकी भी मिलीभगत है.”

पुलिस ने 14 नवंबर को लखनऊ के जानकीपुरम में एक परीक्षा केंद्र पर चार ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया था जो सेंटर के बाहर बैठकर ब्लूटुथ के जरिए भीतर बैठे कुछ छात्रों को नकल करा रहे थे. छात्रों का आरोप है कि परीक्षा पास कराने के लिए 8 से 10 लाख रुपए लिए गए थे और जिन लोगों ने ये पैसे दिए, उनमें से कई पहले चरण की परीक्षा में पास भी हुए हैं. इस परीक्षा में ऐसे कई सॉल्वर गैंग भी पकड़े गए हैं जो दूसरे की जगह परीक्षा दे रहे थे.

नतीजे भी घोषित

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की जांच के आधार पर अब तक करीब 150 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है और कई लोगों की धरपकड़ जारी है. लेकिन इस बीच, बोर्ड उन छात्रों को डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट के लिए भी बुला रहा है जो परीक्षा में पास हुए हैं. छात्रों को सबसे ज्यादा आपत्ति इसी बात से है कि जब बोर्ड को खुद मालूम है कि धांधली हुई है तो वह परीक्षा को रद्द क्यों नहीं कराती.

दिल्ली में एसएससी और अन्य परीक्षाओं की ऑनलाइन तैयारी कराने वाले संस्थान एक्जामपुर के निदेशक और शिक्षक विवेक कुमार बताते हैं कि परीक्षा में पास कई छात्र तो डर के मारे अपने डॉक्युमेंट्स का वेरिफिकेशन कराने भी नहीं जा रहे हैं ताकि वो पकड़ में न आ जाएं. डीडब्ल्यू से बातचीत में विवेक कुमार कहते हैं, "डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन में अब तक करीब एक हजार लोग अनुपस्थित हो गए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं जांच में पकड़ में न आ जाएं. कई लोग इसी तरह पकड़ में आए भी हैं. दरअसल, इस पूरे प्रकरण में कई बड़े अधिकारी शामिल हैं इसीलिए जांच नहीं हो रही है. कर्नाटक में भी ऐसा हुआ था और हिमाचल में भी हुआ था. इन दोनों जगहों पर तो सिर्फ तीन लोग पकड़े गए और परीक्षा निरस्त कर दी गई. यहां तो इतने ज्यादा लोग पकड़े गए और लगातार गिरफ्तारियां हो रही हैं, फिर भी परीक्षा रद्द नहीं की जा रही है.”

विवेक कुमार दावा करते हैं कि यदि जांच नहीं हुई तो पांच हजार से ज्यादा ऐसे लोग फाइनल मेरिट में भी आ जाएंगे जिन्होंने अनुचित तरीकों से परीक्षा पास की है.

स्टूडेंट धरने पर बैठे

इस पूरे प्रकरण के विरोध में दारोगा भर्ती परीक्षा देने वाले सैकड़ों छात्र-छात्राएं करीब चालीस दिन से धरने पर बैठे हैं. इनमें से कई छात्र ऐसे भी हैं जो बहुत कम अंतर से मेरिट लिस्ट में आने से चूक गए हैं.

उन्नाव की रहने वाली दिव्या भी पिछले कई दिन से अपनी कई साथियों के साथ धरने पर बैठी हैं. दिव्या कहती हैं, "परीक्षा के पहले दिन से ही धांधली के मामले सामने आ रहे थे, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया. हमारी सिर्फ यही मांग है कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट पर रोक लगाते हुए सरकार इस पूरी धांधली की उच्चस्तरीय जांच के लिए एसआईटी का गठन करे और इस जांच में पुलिस भर्ती बोर्ड का एक भी सदस्य शामिल न हो.”

इस मामले में भर्ती बोर्ड के कई जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी ने ऑन रिकॉर्ड बात करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. हालांकि एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यह जरूर कहा कि परीक्षा को निरस्त करने या एसआईटी जांच करने का फैसला शासन स्तर पर होना है, न कि बोर्ड के स्तर पर.

परीक्षा के चार चरण - प्री, मेन्स, इंटरव्यू और कोर्ट!

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में तमाम गड़बड़ियों के संबंध में एफआईआर दर्ज करने के लिए लखनऊ की सीजेएम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 16 जून को सुनवाई का आदेश दिया है.

छात्रों का आरोप है कि यूपी में एक तो वैसे ही वेकेंसी नहीं निकल रही हैं और जो निकल भी रही हैं, वो भ्रष्टाचार और कोर्ट-कचेहरी के चक्कर में उलझकर रह जा रही हैं. यह हाल न सिर्फ दारोगा भर्ती परीक्षा का है बल्कि एसएसएससी और अन्य भर्ती बोर्डों का भी है. यहां तक कि लोक सेवा आयोग तक की कई परीक्षाएं संदेह के दायरे में हैं. छात्रों के बीच यहां एक कहावत प्रचलित हो गई है कि परीक्षा पास करने के लिए चार चरणों से गुजरना पड़ता है- प्री, मेन्स, इंटरव्यू और कोर्ट.

छात्रों और युवाओं की समस्याओं को लेकर आंदोलन करने वाले संगठन युवा हल्ला बोल के प्रशांत कमल कहते हैं, "पिछले करीब एक साल के भीतर बीस से ज्यादा ऐसी परीक्षाएं हुई हैं जिनमें पेपर लीक की समस्या आई है और अन्य धांधलियों की वजह से ये परीक्षाएं अधर में लटकी हैं. इनमें से ज्यादातर परीक्षाओं का संबंध उत्तर प्रदेश से है."

यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड और एसएसएससी के जरिए हुईं करीब दो दर्जन से ज्यादा ऐसी परीक्षाएं हैं जिनके अभी तक रिजल्ट नहीं आए हैं. कुछ के रिजल्ट आए हैं तो वो जांच के फेर में पड़ी हैं. एक्जामपुर संस्थान के निदेशक विवेक कुमार बताते हैं कि टीचिंग की परीक्षा में पास हुए 6,800 लोगों को अभी ज्वॉइनिंग नहीं दी गई है. विवेक कुमार कहते हैं, "इन सबकी वजह से छात्र घोर निराशा में जी रहा है. घर वालों से इतने पैसे मिलते नहीं हैं क्योंकि इन परीक्षाओं की तैयारी करने वाले ज्यादातर छात्र गरीब घरों और ग्रामीण पृष्ठभूमि के होते हैं. यहां तक कि कई छात्र तो भंडारे में खाना खाकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. बच्चों की काउंसिलिंग करते-करते हम लोग परेशान हो गए हैं. हर समय डर लगा रहता है कि निराशा में ये छात्र कोई गलत कदम न उठा लें. लेकिन सरकार युवाओं के मामलों में बिल्कुल आंख मूंदे हुए है.” विवेक कुमार कहते हैं कि इन सब वजहों से परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है जो छात्रों की हताशा और निराशा को दिखाती है.