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अर्थव्यवस्थासंयुक्त राज्य अमेरिका

क्या है DEI और इससे पीछे हटती क्यों दिख रही हैं कंपनियां

लाउरा काबेल्का | अनिका जोस्ट
१७ जनवरी २०२५

अमेरिका में विविधता, समानता और समावेशिता की नीति का विरोध बढ़ रहा है. डॉनल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद यह प्रवृत्ति और बढ़ने की संभावना है.

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अमेरिका में वॉलमार्ट की एक शाखा के बाहर खरीदार
डॉनल्ड ट्रंप की जीत के कुछ ही हफ्ते बाद, वॉलमार्ट ने अपनी वेबसाइट पर ‘बिलॉन्गिंग, डायवर्सिटी, इक्वॉलिटी एंड इनक्लूजिविटी' सेक्शन को बदलकर सिर्फ ‘बिलॉन्गिंग' कर दियातस्वीर: Scott Olson/Getty Images

अमेरिका में ‘विविधता, समानता और समावेशिता' यानी डीईआई जैसे शब्द अब बहुत राजनीतिक हो गए हैं. इन शब्दों के इस्तेमाल को लेकर बहुत विवाद भी रहा है. हाल ही में कई बड़ी अमेरिकी कंपनियां, जैसे मेटा, मैकडॉनल्ड्स, वॉलमार्ट, बोइंग और फोर्ड डीईआई से जुड़ी नीतियों के मामले में अपने कदम पीछे खींचती दिखी हैं.

विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि कंपनियां अब इन मुद्दों की परवाह नहीं करती हैं. लेकिन इसका मतलब यह जरूर है कि कंपनियां अब इन नीतियों को लागू करने के नए तरीके खोज रही हैं ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि समाज के रूढ़िवादी समूह इन नीतियों के कारण उलटा भेदभाव होने का दावा करते हुए मुकदमे दायर कर रहे हैं और ऑनलाइन अभियान भी चलाए जा रहे हैं.

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डीईआई रणनीतिकार और राइटर लिली झेंग ने डीडब्ल्यू को बताया, "आजकल हर बड़ी कंपनी को इस बात का सामना करना पड़ रहा है कि 2025 में डीईआई बहुत अधिक विवादास्पद होने जा रहा है. अब डीईआई की नीतियों को लागू करना जोखिम भरा काम हो गया है. कंपनियों को ये नीतियां बहुत सावधानी से लागू करनी होंगी.

क्या है DEI और इससे किसे फायदा होता है?

हाल के दशकों में, खास कर 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत और ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन शुरू होने के बाद से, अमेरिका में डीईआई की अवधारणा तेजी से विकसित हुई. कई कंपनियों ने पूर्वाग्रहों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए. उन्होंने कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए सलाहकार नियुक्त किए. साथ ही, पदों पर भर्ती और प्रमोशन की प्रक्रिया में भी उन्होंने विविधतापूर्ण और पारदर्शी मानदंड लागू किए.

'डीईआई' यानि - डायवर्सिटी, इक्वॉलिटी एंड इनक्लूजिविटी - से जुड़ी नीतियों का उद्देश्य सभी जगहों पर समान और न्यायपूर्ण वातावरण बनाना है. इन जगहों में कार्यस्थल, शिक्षण संस्थान और अन्य संस्थान शामिल हैं. ये नीतियां व्यवस्थित असमानता और भेदभाव को दूर करने का प्रयास करती हैं. सभी लोगों को समान अवसर प्रदान करने पर जोर देती हैं, चाहे उनका लिंग, जाति, क्षमता, यौन रुझान या अन्य पहचान कुछ भी हो.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के मेल्टजर सेंटर फॉर डायवर्सिटी, इन्क्लूजन एंड बिलॉन्गिंग के कार्यकारी निदेशक डेविड ग्लासगो का कहना है कि डीईआई का मकसद ‘सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है.' ग्लासगो ने डीडब्ल्यू को बताया कि नैतिक वजहों के अलावा, डीईआई की नीतियों को लागू करने से कारोबारी फायदे भी मिलते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि अगर किसी जगह पर अलग-अलग समूहों के लोग काम करते हैं, तो उससे नई खोजें और रचनात्मकता बढ़ती है. इसके अलावा, इससे कंपनियों को अलग-अलग समूह के उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने में भी मदद मिलती है.

रुक-रुक कर हो रही इस दिशा में प्रगति

हालांकि, हर कोई डीईआई की नीतियों से खुश नहीं है. ग्लासगो ने कहा, "जून 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सकारात्मक कार्रवाई पर दिए गए फैसले के बाद से, डीईआई से जुड़ी नीतियों के खिलाफ मुकदमों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है.” इस फैसले ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति-आधारित प्रवेश को असंवैधानिक घोषित कर दिया और इसका सभी क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पड़ा. रॉबी स्टारबक जैसे डीईआई विरोधी कार्यकर्ता चौबीसों घंटे ऐसी पहलों पर हमला कर रहे हैं. नवंबर 2024 में, उन्होंने वॉलमार्ट के डीईआई कार्यक्रम को समाप्त कराने का श्रेय भी लिया.

डॉनल्ड ट्रंप के पूर्व नीति सलाहकार और नई कैबिनेट के संभावित मंत्री स्टीफन मिलर ने पहले ही मेटा और अमेजन सहित कई कंपनियों के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि डीईआई से जुड़े कार्यक्रमों की वजह से श्वेत लोगों के साथ भेदभाव होता है.

इनमें से कुछ मुकदमों में जीत भी हासिल हुई है. सितंबर में, फियरलेस फंड ने एक्टिविस्ट एडवर्ड ब्लम के नेतृत्व वाले एक रूढ़िवादी समूह के साथ समझौते के तहत अश्वेत महिला उद्यमियों के लिए अपने अनुदान कार्यक्रम को स्थायी रूप से बंद करने पर सहमति व्यक्त की. मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि इस कार्यक्रम की वजह से नस्ल के आधार पर भेदभाव हुआ है और इससे 1866 के नागरिक अधिकार अधिनियम का उल्लंघन हुआ है.

ग्लासगो का मानना है कि जब जनवरी में ट्रंप फिर से अमेरिका की सत्ता संभालेंगे, तो ऐसे मुकदमों को और भी मजबूती मिल सकती है. उन्होंने कहा, "वे और अधिक ऐसे न्यायाधीशों की नियुक्ति करने जा रहे हैं जो भेदभाव-विरोधी कानून की रूढ़िवादी तरीके से व्याख्या करते हैं. हम जिन मुकदमों पर नजर रख रहे हैं, मुझे लगता है कि उनका फैसला डीईआई विरोधी तरीके से दिया जाएगा.”

ग्लासगो ने डीईआई से जुड़ी नीतियों की कुछ आलोचनाओं को स्वीकार किया है. इन आलोचनाओं में उन दृष्टिकोण को शामिल किया गया है जो दोषारोपण पर आधारित हैं या जो प्रभावी नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि सामाजिक न्याय के मुद्दों पर प्रगति के खिलाफ भी व्यापक विरोध हो रहा है.”

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संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे बड़े निजी नियोक्ता, खुदरा विक्रेता वॉलमार्ट ने डीडब्ल्यू के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि उन्होंने अपनी नस्लीय-समानता प्रशिक्षण को समाप्त करने का फैसला क्यों किया. डीईआई से दूरी बनाने वाली एक अन्य बड़ी कंपनी ने कहा कि वह इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकती, क्योंकि उसे इसके लिए काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

डीईआई रणनीतिकार झेंग का मानना है कि कुछ बड़ी कंपनियां पहले से ही इस जोखिम भरे माहौल से डरी हुई हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि ‘वे ऐसे फैसले ले रही हैं जिनका उनके कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. इन फैसलों से उनकी कंपनी की छवि खराब हो सकती है, उनके कर्मचारी कंपनी छोड़ सकते हैं और कर्मचारियों का मनोबल भी गिर सकता है.'

क्या बात सिर्फ कंपनियों की रीब्रैंडिंग की है?

गैर-लाभकारी व्यावसायिक शोध संगठन ‘द कॉन्फ्रेंस बोर्ड' द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि फिलहाल, अमेरिका की अधिकांश बड़ी कंपनियों में अभी भी डीईआई से जुड़ी नीतियां लागू हैं. सर्वे में शामिल करीब 80 फीसदी कंपनियों का कहना है कि वे अगले तीन वर्षों तक डीईआई से जुड़े कार्यक्रमों को बनाए रखने या बढ़ाने की योजना बना रही हैं.

लिली झेंग जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी भी कई कंपनियां हैं जो इन नीतियों को कम जोर-शोर से लागू कर रही हैं या उनके बारे में कम बात कर रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे इन मूल्यों को मानना बंद कर देंगी. झेंग का कहना है, "शायद वे इसे ‘संबंधन यानी बिलॉन्गिंग' कह रही हों. शायद वे ‘निष्पक्षता' पर ध्यान केंद्रित कर रही हों. हालांकि, कुल मिलाकर डीईआई को लेकर उनकी मौजूदा प्रतिबद्धताओं में बहुत अधिक बदलाव होता नहीं दिख रहा है.”

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दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए ट्रंप ने डीईआई प्रयासों को खत्म करने की बात कही है तस्वीर: Brian Snyder/REUTERS

दरअसल, डॉनल्ड ट्रंप की जीत के कुछ सप्ताह बाद, वॉलमार्ट ने अपनी वेबसाइट को अपडेट किया. इसने ‘बिलॉन्गिंग, डायवर्सिटी, इक्वॉलिटी एंड इनक्लूजिविटी' नामक सेक्शन को बदलकर सिर्फ ‘बिलॉन्गिंग' कर दिया.

वॉलमार्ट और अन्य कंपनियों की बदलती रणनीतियों पर टिप्पणी करते हुए ग्लासगो ने कहा कि वे यह नहीं कह रही हैं कि "हमें अब ऐसा कार्यस्थल नहीं चाहिए जहां अलग-अलग समूहों के लोग काम करें, बल्कि ये कंपनियां यह कह रही हैं कि वे कुछ खास डीईआई कार्यक्रमों को लागू नहीं करेंगी.”

वहीं, लिली झेंग का कहना है कि अगर डीईआई के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं किए गए तो इसमें निवेश कम हो सकता है. झेंग ने चेतावनी दी कि अगर कंपनियां इन मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने में हिचकिचाती हैं, तो ‘हम इन मूल्यों के बारे में लोगों की सोच को नहीं बदल पाएंगे.' दूसरे शब्दों में कहें, तो अगर डीईआई के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं किए गए, तो लोग इन मूल्यों को महत्व नहीं देंगे और कंपनियों में विविधता लाने के लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा.