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फिर इस्राएल पहुंचीं जर्मन विदेश मंत्री, संघर्षविराम की कोशिश

६ सितम्बर २०२४

जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक दो-दिन के मध्यपूर्व दौरे पर हैं. हमास और इस्राएल के बीच संघर्षविराम की सहमति अब तक नहीं बन पाई है.

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6 सितंबर को इस्राएली विदेश मंत्री इस्राएल कात्स और जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक की मुलाकात.
अक्टूबर 2023 में युद्ध शुरू होने के बाद अनालेना बेयरबॉक की यह 11वीं मध्यपूर्व की यात्रा है. जर्मनी भी संघर्षविराम, इस्राएली बंधकों की रिहाई और गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने की दिशा में कोशिश कर रहा है. तस्वीर: GIL COHEN-MAGEN/AFP

इस्राएल और हमास में संघर्षविराम की कोशिशों के मद्देनजर, जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक दो दिन की मध्यपूर्व यात्रा पर आज इस्राएल में हैं. इससे पहले अपनी यात्रा के पहले पड़ाव में बेयरबॉक 5 सितंबर को सऊदी अरब पहुंचीं. यहां उन्होंने सऊदी और इस्राएल के बीच संबंध सामान्य करने की अपील की. खबरों के मुताबिक, सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल-सऊद के साथ मुलाकात में बेयरबॉक ने अरब-इस्राएल विवाद में 'दो राष्ट्र समाधान' की ओर प्रयास करने पर जोर दिया. 

खबरों के मुताबिक, बेयरबॉक ने सऊदी के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल-सऊद के साथ बातचीत में जोर दिया कि इस्राएल और फलस्तीन के बीच दो-राष्ट्र नीति की दिशा में प्रयास जारी रहने चाहिए. सऊदी के बाद बेयरबॉक जॉर्डन गईं और उन्होंने एलान किया कि जर्मन सरकार गाजा को दी जाने वाली मानवीय सहायता में पांच करोड़ यूरो तक की वृद्धि करने पर विचार कर रही है.

जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक के साथ हाथ मिलाकर उनका स्वागत करते इस्राएली विदेश मंत्री इस्राएल कात्स.
इस्राएल और हमास में संघर्षविराम की कोशिशों के मद्देनजर, जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक दो दिन की अपनी मध्यपूर्व यात्रा के क्रम में 6 सितंबर को इस्राएल पहुंचीं. तस्वीर: GIL COHEN-MAGEN/AFP

6 सितंबर को इस्राएल में बेयरबॉक की मुलाकात विदेश मंत्री इस्राएल कात्स और रक्षा मंत्री योआव गालांत से हुई. इसके बाद बेयरबॉक वेस्ट बैंक जाएंगी, जहां वह फलस्तीनी अथॉरिटी के प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा से मिलेंगी. इस बातचीत का मुख्य मुद्दा वेस्ट बैंक में हिंसा को बढ़ने से रोकना है. मध्यपूर्व की अपनी इस यात्रा में बेयरबॉक संघर्षविराम पर बातचीत फिर शुरू करवाने की दिशा में प्रयास कर रही हैं.

हाल ही में छह इस्राएली बंधकों के शव मिलने के बाद सीजफायर की संभावनाएं जटिल हो गई हैं. पीएम नेतन्याहू ने बदला लेने की चेतावनी दी है. बढ़ते तनाव के बीच जर्मनी की विदेश मंत्री बेयरबॉक ने दोहराया है कि गाजा के लिए कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता. अपने एक सोशल पोस्ट में उन्होंने इस्राएल से अपील की, "इस्राएल के दोस्त के तौर पर मैं कहती हूं: जिंदा बचे बंधकों का भविष्य सबसे अहम है."

अमेरिका ने बताया, कुछ मुद्दों पर असहमति बाकी

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इस्राएल और हमास के बीच संभावित संघर्षविराम पर सकारात्मक संकेत दिए हैं. उन्होंने बताया कि समझौते के 90 फीसदी खाके पर सहमति बन गई है. अपना आकलन बताते हुए ब्लिंकेन ने कहा, "जो भी मैंने देखा है, उसके आधार पर (कहूं) तो 90 फीसदी चीजों पर सहमति बन गई है, लेकिन कुछ अहम मुद्दे बचे हैं."

ब्लिंकेन नेइस्राएल और हमास दोनों से समझौते को निर्णायक रूप देने की अपील की. उन्होंने कहा कि अब दोनों पक्षों पर जिम्मेदारी है कि वे बचे हुए मसलों पर रजामंदी बनाएं. अमेरिका, कतर और मिस्र मध्यस्थता कर हमास और इस्राएल के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका और जर्मनी समेत कई देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं.

सऊदी अरब में विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद के साथ जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक.
अपनी दो दिन की ताजा यात्रा में विदेश मंत्री बेयरबॉक पहले सऊदी अरब पहुंचीं. यहां उन्होंने सऊदी के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल-सऊद के साथ मुलाकात में मध्यपूर्व क्षेत्र की चिंताजनक स्थितियों पर बात की. यमन के हूथी विद्रोहियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय जहाजों पर किए जाने वाले हमले भी वार्ता का हिस्सा थे.तस्वीर: Thomas Koehler/AA/photothek.de/picture alliance

संघर्षविराम के लिए क्या हैं बड़े अनसुलझे मुद्दे

इस्राएल और हमास के बीच संघर्षविराम की राह में सबसे बड़ी असहमति फिलाडेल्फी गलियारे को लेकर है. यह करीब 13 किलोमीटर लंबी और 100 मीटर चौड़ी संकरी जमीन की पट्टी है. यह गाजा के दक्षिणी छोर पर मिस्र के साथ जुड़ी है. इसके उत्तरपूर्व में गाजा पट्टी है और दक्षिणपश्चिम में मिस्र. इस्राएल इसे "फिलाडेल्फी कॉरिडोर" कहता है और मिस्र इसे "सलाह अल दीन कॉरिडोर" कहता है. इस्राएल के अलावा केवल मिस्र ही है, जिससे गाजा की सीमा जुड़ी है. 

इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वह किसी भी हाल में यहां इस्राएली सेना की मौजूदगी बनाए रखेंगे. वह इसे हमास की गतिविधियों के लिए "जीवनरेखा" बताते हुए कहते हैं कि इस कॉरिडोर में इस्राएली सेना की मौजूदगी सामरिक और कूटनीतिक मसला है. इस्राएली सेना ने इसी साल रफाह में अपने सैन्य अभियान के दरमियान इस कॉरिडोर पर नियंत्रण कायम किया था.

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मिस्र क्या कहता है?

नेतन्याहू इस कॉरिडोर पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं, जबकि हमास ने कहा है कि इस्राएल के यहां से पूरी तरह निकल जाने के बिना कोई समझौता नहीं हो सकता. मिस्र भी यहां इस्राएल की भारी सैन्य मौजूदगी का विरोध करता है. मिस्र ने चेतावनी दी है कि इस कॉरिडोर पर इस्राएल की सैन्य उपस्थिति मार्च 1979 में हुई ऐतिहासिक संधि "कैंप डेविड शांति समझौता" के लिए खतरा है.

इस्राएल और मिस्र के बीच हुई इस संधि के बाद कॉरिडोर में इस्राएली सैनिकों की सीमित उपस्थिति रही थी. फिर 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री आरिएल शरोन के आदेश पर इस्राएल ने 8,000 से ज्यादा यहूदी सेटलर्स को गाजा से निकाल लिया. इस्राएली सैनिक भी बाहर आ गए. यह एक बड़ा घटनाक्रम था, जिसे तब अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉर्ज बुश ने "साहसी कदम" बताया था.

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शांति कायम करने की इस कोशिश के क्रम में फिलाडेल्फी कॉरिडोर को भी सेना की गैर-मौजूदगी वाला (डीमिलिटराइज्ड) हिस्सा घोषित किया गया. यहां से तस्करी ना होने पाए, इसके लिए मिस्र के सीमा सुरक्षाकर्मी कॉरिडोर की निगरानी करते थे. साल 2007 में हमास ने गाजा पर नियंत्रण कायम कर लिया. इस्राएल के मुताबिक, हमास यहां सुरंगों की मदद से हथियार और सैन्य उपकरण गाजा में लाता है. इसी साल मई में इस्राएल ने दक्षिणी गाजा पर हमला किया और तब से ही उसके सैनिक यहां तैनात हैं.

एसएम/आरएस/सीके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)