मंगल पर 4.4 अरब साल पहले ही बन गया था पानी
२ नवम्बर २०२०कई साल पहले सहारा के रेगिस्तान में दो उल्कापिंड मिले थे, जिन्हें एनडब्ल्यूए 7034 और एनडब्ल्यूए 7533 नाम दिया गया था. इनके विश्लेषण से पता चला है कि ये उल्कापिंड मंगल ग्रह के नए प्रकार के उल्कापिंड हैं और अलग-अलग चट्टानों के टुकड़ों के मिश्रण हैं. इस तरह की चट्टानें दुर्लभ होती हैं.
हाल ही में एक अंतरराष्ट्री टीम ने एनडब्ल्यूए 7533 का विश्लेषण किया, जिसमें टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ताकाशी मिकोची भी शामिल थे. साइंस एडवांस नाम के जर्नल में प्रकाशित हुए शोध में मिकोची ने कहा, "एनडब्ल्यूए 7533 के नमूनों पर चार अलग-अलग तरह के स्पेक्ट्रोस्कोपिक विश्लेषण और रासायनिक परीक्षण किए गए. इससे मिले नतीजों से हमें रोचक निष्कर्ष मिले."
ग्रह विज्ञानियों को यह तो पहले से ही जानकारी है कि मंगल पर कम से कम 3.7 अरब सालों से पानी है. लेकिन उल्कापिंड की खनिज संरचना से, मिकोची और उनकी टीम ने खुलासा किया कि यह संभव है कि पानी करीब 4.4 अरब साल पहले मौजूद था.
मिकोची के मुताबिक, "उल्का पिंड या खंडित चट्टान, उल्कापिंड में मैग्मा से बनते हैं और आमतौर पर ऐसा ऑक्सीकरण के कारण होता है." यह ऑक्सीकरण तब ही संभव है जब मंगल की परत पर 4.4 अरब साल पहले या उस दौरान पानी मौजूद रहा होगा.
अगर मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी इंसान के सोचे गए समय से पहले की थी तो इससे पता चलता है कि ग्रह निर्माण की शुरुआती प्रक्रिया में संभवत: पानी भी बना हो. ऐसे में यह खोज शोधकर्ताओं को इस सवाल का जवाब तलाशने में मदद कर सकती है कि आखिर ग्रहों पर पानी कहां से आता है. इससे जीवन की उत्पत्ति और पृथ्वी से परे जीवन की खोज पर सिद्धांतों पर खासा असर पड़ सकता है.
आईएनएस
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