डायबिटीज के मरीजों के लिए चीनी से कितना बेहतर है एल्यूलोज?
२७ दिसम्बर २०२४एल्यूलोज एक खास तरह की चीनी है जो बहुत कम मात्रा में पायी जाती है. इसे पहली बार 1940 के दशक में गेहूं के पत्तों में खोजा गया था. हालांकि, इसका इस्तेमाल बहुत कम होता था और इस पर बहुत कम शोध भी हुआ था. 1990 के दशक तक ऐसा ही चलता रहा. फिर जापान की कागावा यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर फैकल्टी के प्रोफेसर केन इजुमोरी ने इस पर काम शुरू किया. इजुमोरी ने यूनिवर्सिटी के पास की मिट्टी में एक ऐसा सूक्ष्मजीव खोजा जो एक एंजाइम की मदद से फ्रुक्टोज को एल्यूलोज में बदल सकता था.
इसके बाद, अगले 20 से 30 साल तक लगातार शोध होता रहा. अब एल्यूलोज धीरे-धीरे एक मीठे पदार्थ या चीनी के विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहा है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए भी इसे मंजूरी मिल गई है.
दक्षिण एशिया में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा
एल्यूलोज को डी-एल्यूलोज या डी-साइकोज के नाम से भी जाना जाता है. इसे अभी भी दुर्लभ माना जाता है, क्योंकि यह अंजीर, किशमिश, कीवी, गेहूं, मेपल सिरप और गुड़ में ही पाया जाता है और वह भी काफी कम मात्रा में.
कहा जाता है कि यह सामान्य चीनी (सुक्रोज) की तुलना में 70 फीसदी मीठा होता है, लेकिन इसमें कैलोरी की मात्रा सिर्फ 10 फीसदी होती है. इसे ‘कैलोरी-फ्री', ‘वजन घटाने के लिहाज से अच्छा' या ‘टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए फायदेमंद' माना जाता है.
हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या एल्यूलोज के बारे में जो बातें कही जा रही हैं वे पूरी तरह सही हैं? क्या इन दावों को वैज्ञानिक रूप से सही माना जा सकता है? आइए जानें कि अलग-अलग अध्ययनों से क्या नतीजे मिले हैं.
क्या एल्यूलोज में जीरो-कैलोरी होती है?
अमेरिकी नियामक संस्था ‘फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए)' ने खाद्य पदार्थों में एल्यूलोज के इस्तेमाल को ‘आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है' के तौर पर मंजूरी दी है. दूसरे शब्दों में कहें, तो अमेरिकी संस्था का मानना है कि एल्यूलोज को खाने में इस्तेमाल करना सुरक्षित है.
वहीं दूसरी ओर, यूरोपीय संघ, कनाडा और अन्य देश एल्यूलोज को नया खाद्य पदार्थ मानते हैं. इन देशों का कहना है कि एल्यूलोज के इस्तेमाल को लेकर अभी पर्याप्त शोध नहीं हुआ है और यह पता नहीं चल पाया है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है या नहीं.
यही कारण है कि वैज्ञानिक अभी यह आकलन कर रहे हैं कि एल्यूलोज से हमारे शरीर पर किस तरह का असर पड़ता है. हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि हमारा शरीर एल्यूलोज को अवशोषित करता है, लेकिन इसे पचा नहीं पाता है. इसका मतलब यह हो सकता है कि इसमें वास्तव में ग्लूकोज और कैलोरी न हो.
सामान्य तरीके से कहें, तो शरीर को यह पता नहीं चलता है कि एल्यूलोज में कैलोरी है. इसलिए, शरीर इसे पचा नहीं पाता है और अधिकांश कैलोरी को शरीर से बाहर निकाल देता है. इससे उन लोगों के लिए एल्यूलोज का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित हो सकता है जो अपना वजन तो कम करना चाहते हैं, लेकिन कभी-कभी मीठा भी खाना चाहते हैं.
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यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है जो कीटोजेनिक डाइट पर हैं. कीटोजेनिक डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम रखी जाती है और चूंकि चीनी भी एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है, इसलिए कीटोजेनिक डाइट में चीनी की मात्रा बहुत कम होती है. ऐसे में एल्यूलोज एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी बहुत कम होती है और यह शरीर में शुगर के स्तर को भी प्रभावित नहीं करता है.
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि एल्यूलोज खाने से दांतों में कोई नुकसान नहीं होता है, जबकि चीनी खाने से दांतों में सड़न हो सकती है.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स: चीनी की तुलना में कहां है एल्यूलोज
ऐसे भी दावे हैं कि एल्यूलोज से ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ता है. ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) खाद्य पदार्थों को इस आधार पर रैंक करता है कि वे कितनी तेजी से पचते हैं और कितनी तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ाते हैं.
0 से 100 तक के पैमाने के हिसाब से आकलन करें, तो साधारण चीनी खाने पर ब्लड शुगर लेवल 65 तक बढ़ जाता है. व्हाइट ब्रेड का जीआई 100 है. इसे पचने में काफी ज्यादा समय लगता है और यह ब्लड शुगर लेवल को बहुत तेजी से बढ़ा देता है.
हालांकि, अब तक किए गए अध्ययनों से मिले साक्ष्य के मुताबिक, एल्यूलोज के सेवन से ब्लड शुगर लेवल बिल्कुल भी नहीं बढ़ता है.
टाइप 2 डायबिटीज वालों के लिए कितना सुरक्षित है एल्यूलोज?
एल्यूलोज से ब्लड शुगर लेवल पर बहुत कम या न के बराबर असर पड़ता है. इसलिए, यह टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों या जिन लोगों को डायबिटीज होने का खतरा है उनके लिए चीनी का एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
अध्ययनों में पाया गया है कि एल्यूलोज का ज्यादा सेवन करने से भी डायबिटीज से पीड़ित या स्वस्थ लोगों में शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव नहीं होता है.
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि एल्यूलोज के सेवन से लोगों में भोजन के बाद शुगर और इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है. इसके अलावा, एल्यूलोज के सेवन से खून में शुगर और इंसुलिन के स्तर में उतार-चढ़ाव भी कम हो जाता है यानी शरीर में शुगर का स्तर एक जैसा रहता है.
यह डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए अच्छी खबर हो सकती है. डायबिटीज वाले लोगों के शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता है, जिससे उनके शरीर में शुगर लेवल नियंत्रित नहीं रहता है. एल्यूलोज के सेवन से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रह सकता है, इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है.
हालांकि, अभी तक हुए शोधों से पता चलता है कि एल्यूलोज डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इस बात को पूरी तरह से साबित करने के लिए और भी ज्यादा शोध करने की जरूरत है.
क्या नैचुरल चीज हमेशा ज्यादा सेहतमंद भी होती है?
एल्यूलोज का स्वाद खाने के बाद मुंह में नहीं रहता है, इसलिए इसे खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल करना अच्छा है, खासकर चॉकलेट जैसी चीजों में.
गोल्ज नामक एक कंपनी अपने उत्पादों को मीठा बनाने के लिए सिर्फ एल्यूलोज का इस्तेमाल करती है. इस कंपनी की संस्थापक मिशेल ओटेन ने कहा, "हमने अपनी चॉकलेट में कैलोरी को 40 फीसदी तक कम कर दिया है, क्योंकि हम चीनी की जगह ऐसी चीज इस्तेमाल करते हैं जिसमें कैलोरी की मात्रा न के बराबर है.”
ओटेन ने कहा कि वह ‘कुछ ऐसा चाहती थीं जो प्राकृतिक रुप से उपलब्ध हो, न कि प्रयोगशाला में बनाया गया हो'. हालांकि, एल्यूलोज को प्राकृतिक और सेहत के लिए अच्छा बताना भ्रामक भी हो सकता है.
उदाहरण के लिए, ऐसे संकेत भी मिले हैं कि एल्यूलोज का काफी ज्यादा सेवन करने से पेट में दर्द, दस्त, सूजन या गैस की समस्या हो सकती है.
टेबल शुगर यानी साधारण चीनी भी प्राकृतिक है, जैसे कि एल्यूलोज. यह चीनी गन्ने या चुकंदर के पौधों से तैयार की जाती है. वहीं, एल्यूलोज को फ्रुक्टोज (फलों में पाई जाने वाली चीनी) से एंजाइमों की मदद से बनाया जा सकता है.
चीनी खाने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं. जैसे, डायबिटीज, हृदय रोग, अवसाद, दांतों में सड़न, खराब त्वचा और कैंसर. इसलिए, यह नहीं सोचना चाहिए कि अगर कोई चीज प्राकृतिक है, तो वह सेहतमंद भी होगी.
आखिर में, बात फिर वहीं आकर रुक जाती है कि क्या चीनी के विकल्प के तौर पर एल्यूलोज का इस्तेमाल करना सही रहेगा? नियम-कानून बनाने वाली कई संस्थाओं का कहना है कि एल्यूलोज का सेवन करना हानिकारक नहीं है, खासकर चीनी की तुलना में. हालांकि, अभी और शोध की जरूरत है. हमें अभी तक पूरी तरह से पता नहीं चला है कि एल्यूलोज खाने से सेहत पर क्या असर पड़ता है.
ये लेख लिलिया ब्रेटनबाख ने डीडब्ल्यू साइंस विभाग में अपनी इंटर्नशिप के दौरान लिखा था.