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मानवाधिकारनीदरलैंड्स

डारफुर युद्ध अपराधों पर आईसीसी में पहला मुकदमा शुरू

५ अप्रैल २०२२

यूएन के मुताबिक, 2003 से 2004 के बीच हुई डारफुर हिंसा में करीब तीन लाख लोग मारे गए और 25 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. बड़े स्तर पर हुई इस हिंसा में जंजावीड मिलिशिया और सूडान के सरकारी बलों की मुख्य भूमिका थी.

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Niederlande, Den Haag | Prozess gegen Ali Kushayb wegen Kriegsverbrechen in Darfur
आरोपी अली मुहम्मद अली अब्द-अल रहमान उर्फ अली कुशैब सरकार के बनाए कुख्यात सशस्त्र संगठन 'जंजावीड मिलिशिया' में सीनियर कमांडर था. तस्वीर: International Criminal Court/AA/picture alliance

डारफुर में की गई नृशंसताओं के लिए सूडान के एक पूर्व मिलिशिया लीडर पर यूरोप के द हेग स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) में मुकदमा शुरू हुआ है. 72 साल का अली मुहम्मद अली अब्द-अल रहमान उर्फ अली कुशैब, सूडान के पूर्व राष्ट्रपति और युद्ध अपराधों के आरोपी ओमर अल-बशीर का सहयोगी रहा है. वह सरकार के बनाए कुख्यात सशस्त्र संगठन 'जंजावीड मिलिशिया' में सीनियर कमांडर था. यह पहली बार है, जब डारफुर में हुई हिंसा और युद्ध अपराधों के किसी आरोपी पर मुकदमा शुरू हुआ हो.

डारफुर पश्चिमी सूडान का एक क्षेत्र है. 2003 में यहां सरकार के खिलाफ विद्रोह भड़का. ब्लैक अफ्रीकी विद्रोहियों ने तत्कालीन शासक बशीर के खिलाफ हथियार उठा लिए. उनकी शिकायत थी कि सरकार उनके साथ पक्षपात करती है. विद्रोह को दबाने के लिए बशीर ने वहां जंजावीड मिलिशिया को तैनात किया. संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक, 2003 से 2004 के बीच यहां हुई हिंसा में करीब तीन लाख लोग मारे गए और 25 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. बड़े स्तर पर हुई इस हिंसा में जंजावीड मिलिशिया और सूडान के सरकारी बलों की मुख्य भूमिका थी. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, डारफुर में की गई हिंसा कई एथनिक समूहों के सफाये की कोशिश थी. वहां हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं. अभी पिछले हफ्ते ही प्रतिद्वंद्वी मूलनिवासी गुटों के बीच हुई ताजा हिंसा में 45 लोग मारे गए थे.

क्या आरोप हैं?

जंजावीड मिलिशिया में अली मुहम्मद को "कर्नल ऑफ कर्नल्स" कहा जाता था. उसपर ना केवल हमलों का निर्देश देने, बल्कि जंजावीड मिलिशिया के लिए भर्ती करने और हथियार सप्लाई करने का भी आरोप है. इल्जाम है कि पश्चिमी डारफुर के कम-से-कम पांच गांवों पर हुए सिलसिलेवार हमलों में उसकी मुख्य भूमिका थी. इन हमलों में कम-से-कम 100 ग्रामीणों की हत्या की गई. महिलाओं और लड़कियों का बलात्कार किया गया.

आईसीसी ने अली मुहम्मद के खिलाफ अप्रैल 2007 में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. फरवरी 2020 में जब सूडान की नई सरकार ने आईसीसी जांच में सहयोग करने का ऐलान किया, तो अली मुहम्मद अली भागकर सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक चला गया. चार महीने बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि अली मुहम्मद ने गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिए गए मूलनिवासी समूह के कई लोगों को यातनाएं दीं. उन्हें नीचे लिटाकर उनपर चला, उन्हें पीटा, गालियां दीं. यह भी इल्जाम है कि उसने तीन कैदियों पर लकड़ी या कुल्हाड़ी जैसी किसी चीज से वार किया, जिसके चलते उनकी जान चली गई.

न्याय के लिए लंबा इंतजार

लंबे इंतजार के बाद अली मुहम्मद का मुकदमा शुरू हुआ है. ह्युमन राइट्स वॉच ने अपने बयान में कहा, "जंजावीड ने जिन लोगों और समुदायों को आतंकित किया, उनके लिए इस मिलिशिया के एक कथित सरगना पर मुकदमा चलते देखना एक बड़ा मौका है. इसका लंबे समय से इंतजार था." 

डारफुर में हुई हिंसा के मामले में आईसीसी को सूडान के पूर्व शासक ओमर अल-बशीर की भी तलाश है. 2019 में ओमर सत्ता से बाहर हो चुका है, लेकिन वह अभी भी सूडान में ही रह रहा है. आईसीसी चाहता है कि सूडान मुकदमा चलाने के लिए ओमर को उसके सुपुर्द करे. इस बारे में अपील करते हुए आईसीसी के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने जनवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा था, "डारफुर में मानवता के खिलाफ हुए अपराधों के शिकार लोगों को न्याय मिलने का लंबे समय से इंतजार है. इसे सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट से सहयोग बढ़ाना ही व्यावहारिक रास्ता दिखता है."

एसएम/आरपी (एपी, एएफपी)