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द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में करोड़ों के घोटाले का आरोप

चारु कार्तिकेय
२१ अगस्त २०२३

भारत सरकार ने द्वारका एक्सप्रेसवे को लेकर सीएजी की रिपोर्ट को गलत बताया है. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई सीएजी की ऑडिट प्रक्रिया में गलती है या परियोजना में करोड़ों रुपयों का घोटाला हुआ है.

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द्वारका एक्सप्रेसवे
गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे का एक हिस्सातस्वीर: Charu Kartikeya/DW

द्वारका एक्सप्रेसवे का काम अभी पूरा भी नहीं हुआ है लेकिन इस परियोजना को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सीएजी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले पांच सालों में इस परियोजना का खर्च कई गुना बढ़ गयाहै.

रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में जब परियोजना की मंजूरी दी गई थी तब इसकी लागत 18 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर थी, लेकिन अब यह लागत बढ़ कर 250 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर हो गई है.

पहले हरियाणा सरकार की थी परियोजना

सीएजी ने कहा है कि द्वारका एक्सप्रेसवे पहले हरियाणा सरकार की परियोजना थी, जिसके लिए उसने 150 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया था. लेकिन जब राज्य सरकार की तरफ से परियोजना आगे नहीं बढ़ी तब आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने इसे केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत लाने के अनुमति दे दी.

ताकि जलवायु संरक्षण के पैसे से सड़क न बना दे सरकार

इसके बाद हरियाणा सरकार ने केंद्रीय सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय को इसके लिए 90 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए जमीन निशुल्क भी दे दी. सीएजी के मुताबिक 14 लेनों का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने के लिए सिर्फ 70-75 मीटर चौड़ी सड़क की जरूरत थी, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कुछ अलग ही काम कर दिया.

सीएजी का कहना है कि एनएचएआई ने बिना कोई कारण दर्ज किये परियोजना के हरियाणा वाले हिस्से में एलिवेटेड सड़क बनाने की योजना बना ली, जिससे कुल लागत 18 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर से बढ़ कर 250 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर हो गई. सीएजी के मुताबिक एनएचएआई को ऐसा नहीं करना चाहिए था.

सीएजी एक संवैधानिक संस्था हैजिसकी रिपोर्टें संसद में पेश की जाती हैं. उसके बाद संसद की पब्लिक एकाउंट्स कमिटी (पीएसी) इन रिपोर्टों का अध्ययन करती है और अपनी सिफारिशें सरकार को देती है.

लेकिन द्वारका एक्सप्रेसवे वाली रिपोर्ट के सामने आने के बाद राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री और अधिकारी कई तरीकों से अपनी सफाई देने में लगे हैं. पहले तो बिना नाम लिए मंत्रालय के अधिकारों के बयान मीडिया में छपे जिसमें उन्होंने दावा किया कि सीएजी की रिपोर्ट ही गलत है.

सीएजी को ही कहा गलत

फिर मंत्री नितिन गडकरी ने खुद कमान संभाल लीऔर इस विषय पर बयान दिए. आजतक टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस परियोजना की लागत को बढ़ाने की जगह 12 प्रतिशत घटाया है.

उन्होंने यह भी कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 563 किलोमीटर है, ना कि 56 किलोमीटर जैसा की सीएजी ने समझ लिया. लेकिन विपक्षी पार्टियों ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर नरेंद्र मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.

सरकार ने इन आरोपों का जवाब प्रचार से दिया है. गडकरी ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें द्वारका एक्सप्रेसवे को इंजीनियरिंग का चमत्कार बताया गया है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि इसके बनने के 100 साल बाद तक दिल्ली की जनता इसे याद करेगी.

  

हालांकि इस परियोजना की समस्या यह भी है कि यह बहुत देरी से चल रही है. सीएजी के मुताबिक परियोजना जिन चार परियोजनाओं में विभाजत है उन्हें नवंबर 2020 से लेकर सितंबर 2022 तक पूरा हो जाना चाहिए था.

लेकिन हालात यह हैं कि परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है. सीएजी के मुताबिक मार्च 2023 तक चारों परियोजनाओं में सिर्फ 60.50 से लेकर 99.25 प्रतिशत की तरक्की दर्ज की गई है. द्वारका एक्सप्रेसवे के नाम पर दिल्ली के द्वारका और हरियाणा के गुरुग्राम के बीच हजारों फ्लैट वाली कई रिहायशी परियोजनाएं सालों पहले बना ली गईं.