1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सौर मंडल के बाहर मिला आईने जैसा ग्रह

११ जुलाई २०२३

वैज्ञानिकों को एक ऐसा ग्रह मिला है, जिसका अस्तित्व तो उनके हिसाब से होना ही नहीं चाहिए. वो अपने सितारे के बेहद नजदीक है और अंतरिक्ष में अब तक की सबसे चमकीली चीज है.

https://p.dw.com/p/4ThWM
LTT9779b का काल्पनिक चित्र
LTT9779b का काल्पनिक चित्रतस्वीर: Ricardo Ramírez Reyes/Universidad de Chile/dpa/picture alliance

सोमवार को वैज्ञानिकों ने इस अनूठे ग्रह की खोज का ऐलान किया है जो हमारे सौर मंडल के बाहर एक बेहद गर्म और अनोखा ग्रह है. नेप्च्यून के आकार का यह ग्रह सूरज जैसे एक सितारे के इर्द-गिर्द 19 घंटे में अपना चक्कर पूरा करता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह ग्रह टाइटेनियम और सिलिका के बादलों में लिपटा हुआ प्रतीत होता है. इस पर पड़ने वाला प्रकाश परावर्तित होता है. वैज्ञानिकों ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी की अंतरिक्ष में चक्कर लगाती CHEOPS दूरबीन से इसका अध्ययन किया है.

चिली की डिएगो पोर्तालेस यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन एस्ट्रोफिजिक्स एंड एसोसिएटेड टेक्नोलॉजी (सीएटीए) में खगोलविद जेम्स जेनकिन्स बताते हैं, "यह अंतरिक्ष में टंगे एक विशाल शीशे जैसा है.”

इस खोज के बारे में शोध पत्र एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. रिपोर्ट बताती है कि इस ग्रह पर पड़ने वाला 80 फीसदी प्रकाश परावर्तित हो जाता है, इसलिए यह अब तक ज्ञान ब्रह्मांड की सबसे परावर्तक चीज है.

हमारे सौरमंडल में सबसे परावर्तक चीज का दर्जा शुक्र ग्रह को हासिल है जो रात के आकाश में चांद के बाद सबसे चमकीली चीज होती है. शुक्र ग्रह सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों से घिरा हुआ है और अपने ऊपर पड़ने वाले 75 फीसदी प्रकाश को परावर्तित करता है. पृथ्वी मात्र 30 फीसदी प्रकाश को परावर्तित करती है.

इतनी कम दूरी

नये ग्रह को वैज्ञानिकों ने LTT9779b नाम दिया है. यह जिस सितारे का चक्कर लगाता है, वो हमारी आकाशगंगा में पृथ्वी से 264 प्रकाश वर्ष दूर है. एक प्रकाश वर्ष लगभग 95 खरब किलोमीटर के बराबर होता है.

अंतरिक्ष में रहने का मस्तिष्क पर क्या असर होता है?

ग्रह का व्यास पृथ्वी से 4.7 गुना ज्यादा है और यह अपने सितारे के बेहद करीब रहता है. उनकी दूरी सूरज और बुध ग्रह की दूरी से भी कम है, जो सौर मंडल में सबसे कम दूरी है. पृथ्वी और सूरज की दूरी  LTT9779b और उसके सितारे से 60 गुना ज्यादा है.

इस कम दूरी का एक परिणाम यह है कि LTT9779b का तापमान लगभग 1,800 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो कि पिघलते उबलते लावा से भी ज्यादा है. इतने अधिक तापमान के कारण वैज्ञानिकों को संदेह है कि वहां कोई वातावरण होगा क्योंकि वातावरण पानी भरे बादलों से बनता है, जैसा कि पृथ्वी पर होता है. सोलर किरणों के कारण ऐसे बादलों का मौजूद होना LTT9779b पर संभव नहीं लगता.

फिर भी, वहां अपनी तरह का वातावरण मौजूद है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि LTT9779b के बादल टाइटेनियम और सिलिका से बने हैं. पृथ्वी की सतह के नीचे की परत इन्हीं धातुओं से बनी है. जेनकिन्स बताते हैं, "हमें ऐसा भी लगता है बादल भाप में बदलते होंगे और फिर ठंडे होने से टाइटेनियम की बारिश होती होगी.”

अब तक का सबसे अनूठा ग्रह

मुख्य शोधकर्ता सर्गियो ओयर फ्रांस की मार्से एस्ट्रोफिजिक्स लैबोरेट्री में काम करते हैं. वह कहते हैं, "आज तक ऐसा कोई ग्रह नहीं खोजा गया है. एक ऐसा ग्रह जो सितारे के इतने करीब है और फिर भी उस पर वातावरण है. असल में तो इसका वजूद होना ही नहीं चाहिए.”

ब्रह्मांड बिग बैंग से पांच गुना ज्यादा तेजी से फैल रहा हैः शोध

यह ग्रह अपने सितारे से इस तरह बंधा है जैसे, चांद पृथ्वी से बंधा है. इसलिए एक ही तरफ हमेशा रोशन रहती है और दूसरी तरफ हमेशा अंधेरा रहता है. अब तक ऐसे जितने भी ग्रह खोजे गये हैं जो अपने सितारे का चक्कर लगाने में 24 घंटे से कम का समय लेते हैं, उन पर वातावरण मौजूद नहीं है.

हमारे सौर मंडल के बाहर अब तक 5,000 से ज्यादा ग्रह खोजे जा चुके हैं, जिन्हें बाह्य-ग्रह कहा जाता है. ज्यादातर का रंग-रूप और स्वभाव हमारे सौर मंडल के आठ ग्रहों से भिन्न है. पिछले साल जेम्स वेब टेलीस्कोप के काम शुरू करने के बाद से अब और ज्यादा ग्रहों की खोज संभव हो पायी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में और कई तरह की अनूठी चीजें दिखाई देंगी.

वीके/एए (रॉयटर्स)

 

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी